राजेंद्र तिवारी
जगदलपुर ११ सितम्बर ;अभी तक; छत्तीसगढ़ के जाने-माने आर्य समाजी नेता स्वामी अग्निवेश को दिल्ली के इंस्टिट्यूट ऑफ़ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस में गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया है। उनके शरीर के कई ऑर्गन काम नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वामी अग्निवेश की तबियत बिगड़ने के बाद दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। वे लिवर सिरोसिस से पीड़ित हैं। मल्टी ऑर्गन फेल्योर के कारण विगत मंगलवार से ही वेंटिलेटर पर हैं।फिलहाल उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। डॉक्टरों की एक टीम उनकी हालत पर कड़ी नजर रखे हुए है।
स्वामी अग्निवेश का जन्म आंध्र प्रदश के श्रीकाकुलम में हुआ था। छत्तीसगढ़ में उनका बचपन उनके ननिहाल में बीता था। अग्निवेश जब चार साल के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उनका लालन पालन उनके नाना ने किया जो कि छत्तीसगढ़ में तत्कालीन रियासत ‘सक्ती’ के दिवान थे। लॉ और कॉमर्स में डिग्री लेने के बाद वे कोलकाता के प्रसिद्ध सेंट जेवियर्स कॉलेज में मैनेजमेंट के लेक्चलरर रहे। सब्यससाची मुखर्जी के अधीन श्री अग्निवेश ने वकालत भी की थी, जो बाद में भारत के चीफ जस्टिस भी बने। अग्निवेश आर्य समाज में शामिल होने 1968 में हरियाणा गए , जहां उन्होंने 25 मार्च 1970 को संन्यास ले लिया। 1970 में अग्निवेश ने आर्य सभा नाम की राजनीति पार्टी भी बनाई । 1977 में वे हरियाणा विधासनभा में विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी बने। 1981 में उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के संगठन की स्थापनी की थी। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में नक्सली समस्या के निदान के लिए वे सरकार और नक्सलवादियों के बीच मध्यस्थता कराना चाह रहे थे। इसके लिए बकायदा उन्होंने मध्यस्थता की पेशकश भी की थी ।लेकिन नक्सलियों के विरुद्ध सलवा जुडूम अभियान चलाने वाले नेताओं ने उन पर नक्सलियों से सांठगांठ का आरोप लगाया था। दक्षिण पश्चिम बस्तर में उनके दौरे के दरमियान उन पर हमले की कोशिश भी की गई थी।
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