भिण्ड से डॉ. रवि शर्मा–
भिंड २१ नवंबर ;अभी तक; मोटी रकम कमाने के लालच में ब्रांड मीडिया ने अफसर शाही के सामने सरेंडर कर दिया है विषेश कर रेत अवैध उत्खनन के मामलो में तो प्लांड खबरें ही छापने को मजबूर हो गए है। किसी खबर पर इंपेक्ट दिखाने के लिए भी अफसरो के सामने खड़ा होना पड़ रहा है। मीडिया को मेनेज कर दाम कमाने का काम वैसे तो अधिकारी लम्बे समय से कर रहे है। लेकिन असली खेल 2 साल पहले शुरू हुआ था जब एक पुलिस के आला अधिकारी ने वाट्सपिया मीडिया तक को रेत के ट्रेक्टर चलाने की व्यवस्था कर दी थी । कथित बडे थ्री प्लस के वेतनभोगी मीडिया कर्मीयों के लिए थानो में खाते खोल दिए थे ।
अब हाल यह है कि जैसे ही कोई कलेक्टर(आईएएस) या पुलिस अधीक्षक (आईपीएस) अधिकारी जिले में पदस्थ होता है उस पर प्लांड खबरे छापकर प्रेसर बनाया जाता है। अंत में खुद को बडा बताकर माल निकालने का रास्ता निकाल लिया जाता है। वर्तमान में तथा कथित बड़ो का यह हाल है कि इनका जितना समय दिन के समय खबरे लिखने में खत्म होता है उससे अधिक रात के समय जागकर थानो से रेत से लदी गाडि़यां निकालने में। इनमें से अधिकांश ने रेत परिवहन माफिया पावर मेक कंपनी से डील कर रखी है। ट्रेक्टर ट्रॉली निकलवाने पर 1 हजार और ट्रक पर 5 हजार बड़े डंपर पर 10 हजार प्रत्येक वाहन तय है। ब्रांड मीडिया के कुछ साथियों ने खुद को सफेद पोश साबित करने के लिए अपने दलाल बना रखे है। पैसे का लेनदेन इन्ही के माध्यम से होता है। तथा कथित ब्रांडेड मीडिया की अवैध कमाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ 10 से 15-20 हजार के बीच पगार होने के बाद भी कई लोगो ने ग्वालियर, भोपाल, इंदौर जैसे महानगरों में 80से 1 करोड़ तक के फ्लेट, मकान, जमीन पर अपने या अपने परिजन के नाम से खरीद रखे तो कई ने भिण्ड शहर में ही 4-6 भू-खण्ड और मकान खरीद लिए है ।
माफिया और प्रशासन के अधिकारी भी निशचिंत है ये तों प्रतिदिन 5-20 हजार कमा पाते है माफिया और अफसरो का गठजोड़ रोज लाखो का खेल कर रहा है। इन कथित मीडिया कर्मियों को महीने के 5 तारीख को पावर मेक रेत खदान माफिया के ऑफिस में आमद दर्ज कराकर रुपए दिए जाते है। पावर मेंक कंपनी ने ब्रांड मीडिया का पीआरओ मनोनित किया है वो ही ब्रांड मीडिया का कार्य व पैसो का लेन-देन करता है। ये वो लोग है जो चने की चोरी करने वालो को बड़ा चड़ाकर फॉसी के फंदे पर चढाने का माहोल क्रियेट कर देते है। लेकिन जहां जनता का धन लुट रहा होता है वहां तक इनकी निगाहें पहुंच नही पाती। शायद इनको ये पता नही की ये दूसरो पर एक उंगली उठाते है चार उंगली इनके ही कारनामो की ओर ही इशारा कर रही होती है। लोकतंत्र के फोर्थ पिलर में आ रही इस गंदगी को साफ करने के लिए जनता को चेतना होगा अन्यथा ये यूं ही आनके भरोसे को तोड़ते रहेगे यहां पर बता दे कि आज भी भोली- भाली जनता अखबार में छपी खबर को पत्थर की लकीर मानती है । लेकिन ये अपना मतलब निकालने के लिए राई को पहाड़ ओर पहाड को राई बनाने में कोई संकोच नही करते है।
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