महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २३ अक्टूबर ;अभी तक; केंद्र सरकार द्वारा घोषित अफीम नीति एक छलावा व गुमराह करने की होकर धीरे धीरे अफीम की खेती को बंद करने का षडयंत्र है। मार्फिन की औसत के कारण अफीम उत्पादक किसान अफीम खेती से बाहर हो रहे है। क्षेत्रीय सांसद की उदासीनता के चलते अफीम नीति पर यह सिर्फ बयानों तक ही सीमित रहे है इन्होंने कभी भी किसानों के हित की बात नही की ।
उक्त आरोप कांग्रेस नेता परशुराम सिसौदिया, मल्हारगढ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शर्मा ने लगाते हुवे बताया कि भाजपा की मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है लगातार किसानों विरोधी निर्णय लेकर अफीम काश्तकारों पर मनमाने व तुगलकी निर्णय लेकर हिटलरशाही चला रही है। अफीम के पट्टो में मार्फिन की बाध्यता को समाप्त किया जाना चाहिए। नई नीति से कई किसान पट्टे से वंचित हो जायगे। प्राकृतिक आपदा के कारण अफीम काश्त व अन्य कारणों से अफीम काश्त में रोगों की भी संभावना बनी रहती है मंहगी दवाइया निदाई गुड़ाई के साथ ही इस फसल पर काफी राशि खर्च होती है। अफीम लूनी व चिरनी में 500 से 700 रुपये प्रतिदिन मजदूरी देना पड़ती है और सरकार द्वारा किसानों से खरीदी गई अफीम को ओने पोने दामो में ही खरीदा जाता है, इसे 20000 रुपये के हिसाब से खरीदा जाए। साथ ही अफीम की फसल में काली मस्सी खाखरिया रोग पत्ते पीले पड़ना जैसे रोगों से फसल खराब होने पर ईमानदार किसानों को बेईमान बताकर जांच में वाटर मिक्स अफीम बताकर उनके पट्टो को काट दिया जाता है व जांच में भी धांधलियां होती है।
सिसौदिया व शर्मा ने कहा कि सरकार को शीघ्र ही डोडा चुरा पर भी अपना रुख स्प्ष्ट करना चाहिए। डोडा चुरा के नाम पर किसानों पर पुलिस द्वारा अत्याचार किये जाते है व उनका आर्थिक शोषण भी किया जाता है सरकार की गलत नीति का खामियाजा किसान भुगत रहे है।
सिसोदिया व शर्मा ने कहा कि अभी तक कटे हुवे सभी पट्टो को तत्काल बहाल किया जाए, अफीम का मूल्य 20000 रुपये किया जाए मार्फिन की बाध्यता को समाप्त किया जाए अगर किसान हित में यह निर्णय नही किए तो चरण बाध्य आंदोलन किए जाएंगे।
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