महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ९ मार्च ;अभी तक; अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर के अंग्रेजी विभाग द्वारा लैंगिक समानता पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें महाविद्यालय की शैक्षणिक स्टाफ में सभा गीता दर्ज की कार्यक्रम के प्रारंभ में कार्यक्रम की संयोजिका अंग्रेजी विभाग की डॉ वीणा सिंह ने विषय प्रवर्तन किया एवं परिचर्चा के लिए हाउस ओपन किया।
इस अवसर पर प्रो.उषा अग्रवाल ने बाधाओं से निकलकर ऊंचाइयों को छूने की बात कही उन्होंने कहा कि हमारा कार्य ऐसा हो कि वह दिखे , स्वयं बोले एवं निर्णय लेने की क्षमता अपने अंदर हर महिला विकसित करें। प्रो. सरिता अग्रवाल ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि जाति केवल दो ही होती है पुरुष और नारी की।नारी अपनी आरक्षण की मांग ना करते हुए ओर सीमित न रहकर अनंत आकाश में उड़ने के लिए की बात कही । वहीं प्रो. कुलश्रेष्ठ ने कहा कि स्त्री-पुरुष इस तरह से समायोजित रूप में कार्य करें कि वह एक पूर्ण मूर्ति के रूप में निखरे। डॉ प्रेरणा मित्रा ने कहा कि सुपरवुमन न बने । अपनी सीमित क्षमताओं में भी आप अच्छा कार्य कर सकते हैं।
प्रो. एसपी पवार ने फेमिनिज्म आँफ एग्रीकल्चर एवं इकोफेमिनिज्म के बारे में टू-वे रिलेशनशिप को समझाया एवं क्लाइमेट चेंज और उसके महिलाओं पर होने वाले इंपैक्ट के बारे में चर्चा की ।डॉ पवार ने लैगिक समानता विषय पर आयोजित परिचर्चा में भाग ले रही विशिष्ट महिलाओं पर केंद्रित करने का नहीं वरन यह उन महिलाओं के लिए अधिक प्रासंगिक है जो निम्न वर्ग से यथा मजदूर ,कृषक वर्ग मजदूर , दैनिक मजदूर या घरेलू कामगार महिलाएं जो असंगठित क्षेत्र में कार्य करती हैं उन्हें आज भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जाता। उन्हें पारिवारिक अतिरिक्त जिम्मेदारी के चलते अपनी प्रतिभा एवं सृजनात्मकता को निखारने का अवसर ही नहीं मिल पाता । वही प्रो. बीआर नलवाया ने सभी को समानता के साथ आगे आने को कहा । डॉ निशा शर्मा, डॉ रितीबाला भोर एवम् प्रो आभा मेघवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
अंत में प्रो. सोहोनी ने कहा कि औरतों को मनुष्य मानना होगा । उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में अर्धनारीश्वर की कल्पना स्त्री पुरुष की समानता को दर्शाती है। स्वयं शिव भी शक्ति को धारण किए रहते हैं । महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता स्थापित करने के लिए सर्वप्रथम अपनी मानसिकता में परिवर्तन लाना आवश्यक है ।औरतों में ज्यादा ताकत होती है दर्द को झेलने की, रिश्तो को निभाने की, रिश्तो को संभालने की, रिश्तो को बनाने की, रिश्तो को सहेजने की और इसीलिए औरत से ज्यादा उम्मीद की जाती है। उन्होंने विभिन्न आंकड़ों के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किये । अंत में प्रोफेसर डॉ वीणा सिंह ने नकारात्मक ऊर्जा से भी किस प्रकार प्रेरित हुआ जाए पर बात की एवं कार्यक्रम के अंत मे सभी का आभार व्यक्त किया ।
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