विधिक संवाददाता
इंदौर १५ फरवरी ;अभी तक; जिला अभियोजन मिडिया सेल प्रभारी श्री अभिषेक जैन ए.डी.पी.ओ., ने बताया कि दिनांक 13/02/2023 को माननीय न्यायालय- श्रीमती रश्मि वाल्टर, पंचम अपर सत्र न्या्याधीश एवं विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) , इंदौर ने विशेष प्रकरण क्रमांक 108/2021 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी राजेश डावर उम्र 25 वर्ष निवासी जिला धार को धारा 5(एम)/6 एवं 5(एन)/6 पॉक्सो एक्ट) मे आजीवन कारावास तथा कुल 4000 रुपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया । प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती प्रीति अग्रवाल द्वारा की गई। प्रकरण मे पीडित बालिका को 2 लाख रूपये पृथक से प्रतिकर राशि दिलवाए जाने का भी आदेश किया गया ।
नोट – उक्त प्रकरण में आरोपी द्वारा अपने को बचाने के लिए न्यायालय में स्वयं को परीक्षित कराते हुए पत्नी पर आरोप लगाते हुए स्वयं ही यह स्वीकार कर लिया था कि उसने बच्ची के साथ पत्नी के कहने पर दुष्कृत्य किया ।
अभियोजन के अनुसार दिनांक 25.02.2021 को फरियादी (पीड़िता की माता) ने आरक्षी केन्द्र एरोड्रम इंदौर पर मौखिक प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई कि अभियुक्त राजेश डाबर उसकी भतीजी का पति है और उसने उसे अपना गुरु भाई बनाया है, इसलिए उसका राजेश के घर आना जाना था। दिनांक 14.02.2021 को राजेश उसके घर आया था और पीड़िता को अभियुक्त की बेटी के साथ खेलने का कहकर अपने घर लेकर गया। पीडिता की माता अभियुक्त से पीड़िता से फोन पर बात करवाने का कहती जिस पर अभियुक्त बहाने बनाता था। दिनांक 25.02.2021 को राजेश पीड़िता को लेकर सुबह घर आया। अभियुक्त के जाने के बाद पीड़िता ने बताया कि अभियुक्त के घर जाने के 04-05 दिन पश्चात उसकी मामी काम पर गई थी तब अभियुक्त ने उसे टापरे पर बुलाया और दरवाजा अटका दिया और पीड़िता के साथ गलत काम किया और मना करने पर गला काटकर मारने की धमकी दी। अभियुक्त राजेश ने किसी को न बताने और जान से मारने की धमकी दी।फरियादी की उक्त सूचना के आधार पर आरक्षी केन्द्र एरोड्रम इंदौर पर अपराध क्रमांक 112/2021. अंतर्गत धारा 376 (3), 376 (2) (च), 506 एवं पॉक्सो अधिनियम की धारा 5 (एम) (एन) / 6 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान घटना स्थल का नक्शा मौका बनाया गया। अभियुक्त को गिरफतार किया गया, साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। पीड़िता का मेडिकल करवाया गया। संपूर्ण विवेचना पूर्ण होने पर अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिस पर से आरोपी को उक्ति सजा सुनाई गई।