महावीर अग्रवाल
मंदसौर २२ अक्टूबर ;अभी तक; पूर्व मंत्री एव प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री नरेन्द्र नाहटा ने आज कलेक्टर श्री मनोज पुष्प को नगर के एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर लिखे एक पत्र में कहा कि आज समाचार पत्रों से पता लगा कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यनल के निर्णय के क्रियान्वयन के लिए आपने सम्बंधित अधिकारियों की बैठक बुलाई है।कोरोना और उपचुनाव की व्यस्तता के चलते भी आपने इस गंभीर मसले पर बैठक के लिए समय निकाला ,शहर हितेशी नागरिक आपके आभारी हैं।
श्री नाहटा ने पत्र में कहा कि हमें बताया गया था कि पूर्व में आपके द्वारा बनाई गई कमेटी इसलिए काम नहीं कर पाई कि प्रशासन कोरोंना नियंत्रण में व्यस्त था। खुशी की बात है कि इस बार कोरोना आड़े नहीं आया। यदि जिला प्रशासन आपके नेतृत्व में या उसके पहले भी अपना कर्तव्य निभा लेता तो ग्रीन ट्रिब्युनल को जहमत नहीं उठाना पड़ती।पता नहीं वे क्या कारण थे कि जिला प्रशासन कार्यवाही नहीं कर सका ।
श्री नाहटा ने कहा कि मै उस पार्षद का आभारी हूं जिसने अपनी राजनीति से ऊपर उठ कर शहर के हित में ट्रिब्युनल में अपील की। यदि ट्रिब्यूनल का निर्णय नहीं आता तो क्या इस शहर के साथ न्याय हो पाता। प्रशासन जवाबदेह तो है। मेरा डर है कि क्या वे अधिकारी जो या तो स्वयं इसमें शामिल थे या राजनैतिक दबाब में काम कर रहे थे , अब निष्पक्षता और ईमानदारी से काम कर पाएंगे। हम शहर के लोग उत्सुकता से देख रहे है।
पत्र में कहा कि कृपया कुछ कीजिये कि सुप्रीम कोर्ट में तेली समाज के साथ सरकार खड़ी रहे। इसके पहले कि सुप्रीम कोर्ट ट्रिब्यूनल की तरह फैसला करे , प्रशासन फैसला कर ले। शहर आपका सदैव आभारी रहेगा।
पत्र में साथ ही पूर्व मंत्री श्री नाहटा ने यह भी कहा कि मेरे डर के कुछ कारण है। पहला तो यही कि जब पिछली सरकार ने माफिया के विरुद्ध अभियान चलाया तो हम सब निष्पक्षता से प्रशासन के साथ खड़े रहे। जब बस स्टैंड की जमीन पशुपतिनाथ मंदिर को दी गयी तो मुझ जैसे बदनाम सेक्युलर लोगों ने भी समर्थन और स्वागत किया। पर लक्ष्मण मंदिर को लेकर तो प्रशासन अपनी ही बातों को भूल गया।ऐसा क्यों हुआ ,आप समझायेंगे तो अच्छा लगेगा। यही वे लोग नहीं है जिनके विरुद्ध अनेक गंभीर शिकायते राजनैतिक दबाब के चलते ,प्रशासन ने ठंडे बस्ते में डाल रखी है।
पत्र में कहा कि क्या यहीं वे लोग नहीं है जिनके दबाब में मेडिकल कॉलेज की जमीन तीन टुकड़ों में बाय पास पर आवंटित हुई। आप ही मेरे गवाह है कि मै किसी स्थान विशेष के पक्ष में नहीं था , पर आपसे मिल कर निवेदन किया था कि भविष्य के विस्तार को देखते हुए कम से कम 50 एकड़ भूमि आवंटित की जाए। आपने मुझे विश्वास दिलाया था कि ऐसा ही होगा। फिर क्या कारण बन गए कि क्षेत्र के हित पीछे छूट गए।
श्री नाहटा ने कहा कि कलेक्टर साहब इसीलिए डर लग रहा है कि ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले का भी यही हश्र नहीं हो। उन युवा पार्षदों और जागरूक पत्रकारों की मेहनत बेकार नहीं जाए जिन्हे प्रशासन की कमजोरियों के कारण वहां तक जाना पड़ा। मै उम्मीद कर रहा हूँ की अब इस शहर के साथ न्याय होगा। मीटिंग के बाद बताइयेगा कि क्या निर्णय हुए। समय बद्ध कार्यक्रम बनाइयेगा। बताइयेगा कि नालों की नपती कहाँ से शुरू होगी। विश्वास दिलाइएगा कि इस प्रक्रिया का हश्र भी पहले की कमेटियों की तरह नहीं होगा।
शहर को विश्वास जागेगा कि प्रशासन बड़े भूमि स्वामियों और नेताओं के दबाब से बाहर निकल चुका है।
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