गणगौर उत्सव की शुरुआत चैत्र कृष्ण दशमी से बाडिय़ों में ज्वारे बोने के साथ हुई

6:15 pm or March 18, 2023

मयंक शर्मा

खंडवा 18 मार्च अभीतक

निमाड़ का लोक पर्व कहलाने वाले गणगौर उत्सव की शुरुआत शुक्रवार चैत्र कृष्ण दशमी से बाडिय़ों में ज्वारे बोने के साथ हो गई। बाड़ी संचालक परिवार की महिलाएं सुबह होली की राख से खड़े (पत्थर) चुनकर लाईं। गणगौर स्थापना वाले श्रद्धालु ज्वारे लेकर बाडिय़ों में पहुंचें और यहां बाड़ी संचालक द्वारा ज्वारों की स्थापना की गई। चैत्र शुक्ल तीज पर बाडिय़ा खुलेंगी और श्रद्धालु ज्वारे अपने घर ले जाएंगे। यहां ईसर-पार्वती रूप में रथ भी बौढ़ाए जाएंगे।

शीतला संस्कृत पाठशाला के आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया कि गणगौर पूजन में महिलाएं अपने लिए अखंड सौभाग्य, पीहर और ससुराल की समृद्धि तथा गणगौर से प्रतिवर्ष फिर से आने का आग्रह करती हैं। कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती है और पूजन करती है। गणगौर का महापर्व परिवार को जोड़े रखने का एक दूसरे से मिलकर रहने का संदेश देता है। जिससे पूरे परिवार, समाज में प्रेम बना रहे।ा

शहर में गणगौर की शुरुआत ग्यारस से होती है, लेकिन इस साल ग्यारस, बारस एक तिथि पर होने से एक दिन पहले दशमी पर बाडिय़ां बोई गई। शहर में 10 से ज्यादा स्थानों पर माता की बाडिय़ों में गणगौर स्थापना हुई। कहारवाड़ी स्थित बाड़ी संचालक पं. लक्ष्मीनारायण लोहार ने बताया सुबह 10 बजे माता के खड़े लाए गए। शाम को महिलाएं-पुरुष जोड़े से टोकनियों में ज्वारे लेकर आए, जिनकी स्थापना बाड़ी में की की गई। 21 मार्च अमावस्या पर माता घुंघराई जाएगी और घुंघरी-लापसी प्रसादी वितरण होगा। 24 मार्च तीज पर बाड़ी खुलेगी। शहर में ब्राह्मणपुरी, पड़ावा, गणेश तलाई, इंदौर नाका पवन चैक, जबरन कॉलोनी, चंपा तलाब, नाई मोहल्ला, कहारवाड़ी, गुरवा मोहल्ला में बाडिय़ां बोई गई। सात दिन तक बाडिय़ों में झालरियां गीतों की गूंज सुनाई देगी।