मोहम्मद सईद
रायपुर 1 नवंबर अभी तक। छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया का जो नारा सुना था, वाकई में वो चरितार्थ होता है। राज्य गठन के बाद के इन वर्षों में आज छत्तीसगढ़ राज्य अपने पैरों पर खड़ा हो गया है। यहां के लोगों में आत्मविश्वास जागा है और इसी विश्वास के बलबूते छत्तीसगढ़वासियों का देश ही नहीं, देश के बाहर भी परचम लहरा रहा है। यह बात आज राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित वर्चुअल राज्य अलंकरण सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि आज राज्योत्सव के अवसर पर मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता और गर्व की अनुभूति हो रही है कि परमात्मा और प्रकृति ने छत्तीसगढ़ को जो वरदान दिए हैं, छत्तीसगढ़वासी उन वरदानों को सहेजने और उनसे अपना जीवन संवारने में सफल हुए हैं।

राज्यपाल ने समारोह में सम्मानित होने वाले प्रबुद्धजनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़वासियों के दिल में इतना प्यार समाया है कि जो भी उनसे मिलता है, उनका ही होकर रह जाता है। छत्तीसगढ़िया बड़े सरल और सौम्य हैं। आज मुझे छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का दायित्व ग्रहण किए करीब सवा साल हो रहे हैं, इस अल्प समय में छत्तीसगढ़वासियों ने मुझे इतना जल्दी आत्मसात कर लिया कि मुझे ऐसा लगता है कि मैं उनके ही परिवार की सदस्य हूं। सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के लिए पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी का स्मरण किया और राज्य निर्माण के संघर्ष में अपना बहुमुल्य योगदान देने वाले महापुरूषों को नमन भी किया।
राज्यपाल ने राजनांदगांव जिले के ग्राम सुकुलदैहान निवासी श्रीमती फूलबासन यादव का उद्धरण भी दिया। उन्होंने कहा कि इन वर्षों में आधारभूत संरचना बेहतर होने के कारण कनेक्टिविटी अच्छी हुई, जिसके कारण विकास की गति में तेजी आई है और छत्तीसगढ़ में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हुई है। साथ ही शासन के प्रयासों के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है।
राज्यपाल ने कोरोना काल की चर्चा करते हुए कहा कि इस बीमारी का छत्तीसगढ़वासियों ने हिम्मत से सामना किया। उन्होंने इसके लिए समस्त कोरोना वारियर्स की सराहना की। सुश्री उइके ने कहा कि कोरोना काल में प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से रोजगार की व्यवस्था की गई, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था बेहतर रही।
राज्यपाल ने प्रदेश की नागरिकों की सहजता, कर्मठता और ईमानदारी की भावना को रूपांकित करते हुए कहा कि इसके बल पर हम अपने संसाधनों का बेहतर उपयोग कर देश के विकसित राज्यों में शामिल होंगे और पूरे विश्व में स्थान बनाएंगे। उन्होंने प्रसिद्ध साहित्यकार हरि ठाकुर की पंक्तियां दोहराते हुए छत्तीसगढ़ की माटी को माथे का चंदन भी बताया।
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