द्वय अतिणकारियो ने बताया कि जंगलों में कटाई एवं पट्टों की मांग के लिए होने वाले आंदोलन से पहले संगठन के पदाधिकारी जंगलों में मीटिंग करते थे। लेकिन मीटिंग से पहले सभी के मोबाइल बंद करवाए जाते थे ताकि प्लान लीक न हो। किसी प्रकार की तस्वीर बाहर नहीं आए। इसी तरह की मीटिंग का पुलिस ने ड्रोन कैमरे के माध्यम से भी फोटोग्राफ लिए हैं। जंगल कटाई के मुख्य आरोपी फूलसिह, हेमा, लीला, सहित अन्य आरोपियों से संगठन के पदाधिकरियों के चेहरे सामने आये है।
डीएफओ ने बताया कि आदिवासियों से संगठन सदस्यता शुल्क के नाम पर 200-1000 रुपए तक लिए जाते थे। इस राशि का उपयोग धरना, आंदोलन में गांव-गांव से आदिवासियों के लिए वाहन भेजकर एकत्रित करने के लिए होता था। पट्टों का सत्यापन होने के बाद आदिवासियों से 15 हजार रुपए तक वसूले जाते थे। राशि की पर्चियां भी मिलने के साथ लोगों ने वन विभाग में लिखित शिकायतें की है। एसपी ने कहा कि संगठन को रुपए देने के बाद भी पट्टा नहीं मिलने की शिकायतें मिली है।