मयंक शर्मा
खंडवा ३१ जुलाई ;अभी तक; गांव कोठाघाट में 26 जुलाई की रात तीन सगी आदिवासी बहनों ने
फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस अधीक्षक विवेकसिंह ने शुक्रवार शाम
को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि तीन सगी बहनों की आत्महत्या की
वजह गेहूं के आटे से लेकर पिता की मृत्यु का सदमा और एक बहन के पति का
शराबी होना है।
26 जुलाई की रात कोठाघाट निवासी तीन बहनें सोनूए छोटी बहन सावित्री व
ललिता ने नीम के पेड़ पर एकसाथ फांसी लगा ली थी। एसपी विवेक सिंह ने बताया
कि सोनू ने जीजा वीरू व बड़े भाई कालू को वॉट्सऐप पर वॉइस मैसेज भेजकर
बताया कि भूरू की पत्नी राधा उन्हें पूड़ी बनाने के लिए गेहूं नहीं दे
रही। हमारे बैल से भूरू खेती करता है। खेत भी जोतता है। राधा झगड़ा करती
है तो वह कुछ नहीं बोलता। सावित्री का तीन माह पहले ही खारकड़ी गांव के
दीपक से विवाह हुआ था। दीपक शराब पीता था। इससे सावित्री दुरखी थी।
परेशानियां बढ़ने लगी थी लेकिन बहनें उसका हल नहीं निकाल पा रही थी
पुलिस का मानना है कि फांसी लगाने वाली रस्सी तीनों बहनों ने सिंगोट के
हाट बाजार से खरीदी थी। सिंगोट हाट बाजार सोमवार को लगता है। उस दिन
बहनें बाजार जाकर रस्सी लाई थी। मंगलवार की रात परिवार में विवाद हुआ और
उन्होंने सुसाइड किया। जबकि तात्कालिक विवाद में सुसाइड होना माना जा रहा
है तो रस्सी एक दिन पहले ही खरीदना कहानी से परे है।
मामले में पुलिस ने जांच शुरु की तो कॉलेज पढ़ने वाली बहन ने घटना से
पहले अपने मोबाइल से कुछ वॉइस मैसेज भाई और जीजा को भेजे थे। इससे खुलासा
हुआ कि बहनों का उनकी भाभी से गेहूं की बात पर विवाद हुआ था। पुलिस ने
इसी विवाद को आत्महत्या का कारण माना है लेकिन इस कहानी पर सवाल उठने लग
गए है। मां का कहना है कि भाभी ने कभी विवाद नहीं किया। घर में पर्याप्त
मात्रा में गेहूं हैए ऐसा तो कोई विवाद नहीं हुआ।
पुलिस अधीक्षक विवेकसिंह ने शुक्रवार शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए
बताया कि तीन सगी बहनों की आत्महत्या की वजह गेहूं के आटे से लेकर पिता
की मृत्यु का सदमा और एक बहन के पति का शराबी होना है। कोठाघाट निवासी
मृतक बहनों के परिजन ने इस बात को नकार दिया। जबकिए पुलिस ने परिजन के
बयान लिए थे।
मृतक बहनों की मां का कहना है कि मेरा बेटा और बहू हमेशा मेरी बेटियों
के लिए समर्पित थे। अच्छे से ख्याल रखता था। आसपास बाजार घूमने के लिए
भाई भूरू ने अपनी बाइक तक दे रखी थी। भाभी राधा तो अपने हाथों से खाना
देती थी। गेहूं के आटे को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ। उनके यहां खोट.बटाई
से लिए खेतों में इस बार 100 क्विंटल गेहूं निकला। 70 क्विंटल गेहूं
बेचने के बाद बाकी का घर में रखा हुआ है।
पिता की मृत्यु को 4 साल हो गए हैं। उसके बाद से मृतिका सोनू ने सिंगोट
के बाद खंडवा कॉलेज में पढ़ाई की। यदि सदमा रहता तो 4 साल तक किस तरह
उन्होंने अपनी जिंदगी का सफर तय किया। जिरोती बाद सोनू तो कॉलेज की पढ़ाई
के लिए हॉस्टल में रहने जाने वाली थी।
रस्सी एक दिन पहले खरीदी थी.
फांसी लगाने वाली रस्सी तीनों बहनों ने सिंगोट के हाट बाजार से खरीदी
थी। सिंगोट हाट बाजार सोमवार को लगता है। उस दिन बहनें बाजार जाकर रस्सी
लाई थी। मंगलवार की रात परिवार में विवाद हुआ और उन्होंने सुसाइड किया।
जबकि तात्कालिक विवाद में सुसाइड होना माना जा रहा है तो रस्सी एक दिन
पहले ही खरीदना कहानी से परे है।