न्यायालय के आदेश पर एनएचएआइ और एसडीएम कार्यालय की संपति कुर्क

4:32 pm or February 15, 2023
मयंक शर्मा
खंडवा १५ फरवरी ;अभी तक;  लंबे समय से मुआवजे के लिए परेशान हो रहे जिले के ग्राम कुमठी के एक किसान के लिए सोमवार को राहतभरा फैसला आया। किसान के पक्ष में फैसला देते हए जिला एवं सत्र न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) की दलीलों को खारिज कर दिया। न्यायालय के आदेश पर एनएचएआइ और एसडीएम कार्यालय की संपति कुर्क की गई। अब इस मामले में अगली सुनवाई गुरूवार  16 फरवरी को होगी।

किसान रामेश्वर पिता धीसाजी पटेल के अधिवक्ता अभिषेक पाराशर ने बताया-इंदौर-ऐदलाबाद फोरलेन निर्माण में जमीन अधिग्रहण को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी।

13 जुलाई  जिले के पंधाना एसडीएम ने किसान रामेश्वर पुत्र घीसाजी पटेल को बगीचे में लगे अमरूद के वृक्षों, पाइप लाइन और अन्य संसाधनों जो कि गाइडलाइन अंतर्गत साढ़े चार एकड़ जमीन के लिए दो करोड़ 44 लाख 58 हजार रुपये का अवार्ड पारित किया था। एनएचएआइ ने मध्यस्थता के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था जिसे एसडीएम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद एनएचएआइ ने पारित अवार्ड को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पारित अवार्ड की राशि कोे पचास फीसदी कर दी थी।

मामला यू है किसान रामेश्वर पटेल ने अपने खेत में अमरूद का बगीचा लगा रखा था। इसमें करीब 2100 पौधे थे। नेशनल हाईवे बनाने वाली कंपनी ने जमीन अधिग्रहण हो जाने से इन पौधों को काट दिया। इसके बदले में किसान को किसी तरह का मुआवजा नहीं दिया। मुआवजा निर्धारण में यह बात सामने आई कि किसान को 2100 पौधों से 20 साल तक आय होती। इसके अनुसार एक-एक पौधे की गाइडलाइन के हिसाब से आय तय की गई। इसके मुताबिक ही मुआवजा भी तय किया गया, लेकिन एनएसएआइ ने किसान को मुआवजा नहीं दिया।

हाईकोर्ट के इस फैसले पर किसान रामेश्वर पटेल सहमत हो गया था, लेकिन इसके बाद एनएचएआइ ने कलेक्टर कार्यालय में अपील की। यहां उसे किसी तरह की राहत नहीं मिली। इस मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय ने किसान के पक्ष में सोमवार को फैसला देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। एनएचएआइ को आदेश दिया कि वह किसान को एक करोड़ 47 लाख रुपये का मुआवजा दें । सोमवार को खंडवा में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परियोजना निदेशक के इंदौर रोड पर दादाजी कालेज के पास सिद्धी विनायक कालोनी में किराये के मकान में संचालित कार्यालय की संपति कुर्क की गई है। कार्यालय में रखे टेबल कुर्सी समेत समस्त फर्नीचर, कंप्यूटर, प्रिंटर, फोटोकापी, मशीन, फ्रिज सहित कार्यालयीन शासकीय वाहन कुर्क करने की कार्रवाई की है।कोर्ट के आगामी आदेश तक संपति कुर्क रहेगी।

मध्यप्रदेश के खंडवा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी वाले प्राधिकरण( विभाग )ने इंदौर से ऐदलाबाद तक निर्माणाधीन फोरलेन हाईवे के लिए एक किसान की जमीन अधिग्रहित कर ली गई। सरकार ने जमीन का मुआवजा तो दिया लेकिन उस जमीन पर अमरूद का बगीचा था, उन फलदार वृक्षों को मुआवजे की राशि में शामिल नहीं किया गया। किसान ने राजस्व न्यायालय में केस लड़ा और अमरूद के बगीचे को लेकर एनएचएआई के खिलाफ डेढ़ करोड़ का अवार्ड पारित कराया। इस अवार्ड को एनएचएआई ने जिला एवं सत्र न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन अपने पक्ष में कोर्ट के समक्ष कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सका।यह फैसला 31 जनवरी 2023 का है, कोर्ट ने आदेश जारी न्यायालयीन अफसरों से कहा कि, उक्त प्रकरण में पारित अवार्ड की राशि जब तक एनएचएआई द्वारा किसान रामेश्वर पिता घीसाजी पटेल निवासी बलरामपुर (कुमठी) को नहीं लौटाई जाती, तब तक एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के खंडवा स्थित कार्यालय की चल संपत्ति कुर्क की की जाये। अब  प्रकरण में अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी। कुर्क की गई संपत्ति को कोर्ट के आगामी आदेश तक कुर्क रखा जाएगा। बता दें कि, एनएचएआई को अवार्ड की राशि एक करोड़, 47 लाख, 97 हजार, 90 रूपए की अदायगी करना है।

3 जनवरी 2022 को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इंदौर-ऐदलाबाद फोरलेन निर्माण में जमीन अधिग्रहण को लेकर  पारित अवार्ड को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने पारित अवार्ड की राशि पर एनएचएआई को 50फासदी की राहत दी। हाईकोर्ट के इस फैसले पर किसान रामेश्वर पटेल भी राजी हो गया लेकिन एनएचएआई ने इसके बाद भी एसडीएम, एडीएम और कलेक्टर कार्यालय में अपील की। सभी कोर्ट से एनएचएआई को हार का सामना करना पड़ा। अब जिला एवं सत्र न्यायालय ने भी किसान के पक्ष मे ेंताजा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के पूर्व में दिए फैसले के मुताबिक, एनएचएआई से कहा कि, किसान को कुल मुआवजे के 2 करोड़ 44 लाख की बजाय राशि 1 करोड़ 47 लाख रुपए दी जाए।

गांव बलरामपुर निवासी किसान रामेश्वर पिता घीसाजी पटेल के पास अलग-अलग रकबे में साढ़े 4 एकड़ जमीन है। जो कि नेशनल हाईवे में अधिग्रहीत कर ली गई। किसान की जमीन पर अमरूद का बगीचा था, इस हिसाब से राजस्व विभाग ने मुआवजे का निर्धारण किया। गाइडलाइन के अनुसार जिला प्रशासन ने उद्यानिकी विभाग के सहयोग से मुआवजा 2 करोड़ 44 लाख 58 हजार रुपए निर्धारित कर अवार्ड पारित कर दिया। किसान के खेत पर 2100 अमरूद के पौधे थे, नेशनल हाईवे बनाने के लिए निर्माण कंपनी ने पौधे काट दिए। मुआवजा निर्धारण में बताया गया कि, बगीचे के उन 2100 पौधों से किसान को अगले 20 साल तक इनकम होती। इस हिसाब से प्रति पौधे से गाइडलाइन अनुसार इनकम तय की गई। जो कि अवार्ड की राशि के बराबर निकली। यह राशि एनएचएआई द्वारा किसान रामेश्वर पिता घीसाजी पटेल को दी जाना थी। लेकिन एनएचएआई ने कानूनी अड़चनें पैदा कर किसान को परेशान किया।