मयंक शर्मा
खंडवा २६ फरवरी ;अभी तक; पाकिस्तान की जेल में साढ़े तीन साल की सजा पूरी कर राजू पिंडारे 30 साल शुक्रवार देर रात खंडवा जिले के पुनासा ब्लाक के ग्राम ईधावडी अपने घर लौट आया हे। उसे पाकिस्तान की जेल से 14 फरवरी को रिहा किया गया। पुनासा एसडीएम चंदर सिंह सोलंकी ने बताया 16 फरवरी को सूचना प्राप्त होते ही पटवारी, कोटवार व स्थानीय जनप्रतिनिधि को राजू के माता-पिता के पास भेजा और उसे लाने की प्रक्रिया शुरू की। राजू मानसिंक रूप से वि़़़़़क्षप्त हे।
श्री सोंलकी ने बताया कि कानूनी प्रकिया पूरी करने में एक सप्ताह लग गया। मंगलवार देर रात ट्रेन से खंडवा पहुंचा, यहां पुलिस ने मेडिकल कराया, उसके बाद उसे परिजन के सुपुर्द कर दिया। शुे्रकवार गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने राजू का भव्य स्वागत किया। परिवार के लोगों को देखते ही राजू के आंसू छलक पड़े। मां गले से लगाकर रोने लगी। पिता दोनों के आंसू पोंछने लगे।
मीडिया से चर्चा में राजू ने बताया कि पाक जेल में रहने दौरान हुए प्रताड़ना की बात कही है। आगे कहा कि उसे सबकुछ ठीक से तो याद नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी आर्मी के टाॅर्चर को वो नहीं भूल पायेगा। उसकी व्यथा सुनकर ही परिवार वालों के दिल दहल जा रहा है।पाकिरूतान ने अपने स्तर से भी मेरे बारे में पता किया, उन्हें मालूम हुआ कि मैं यहां भूलवश आया हूं। इसके बाद उन्होंने मुझे जेल भेज दिया। पाकिस्तान आर्मी मुझे राजस्थान का रहने वाला समझ रही थी। मुझे कहा जा रहा था कि तुम जासूसी करने आए हो, ऐसा बोल दोगे तो छोड़ दिया जाएगा। कई बार मुझसे ऐसी-ऐसी बातें पूछते थे, जिसके बारे में मैंने कभी सुना ही नहीं।मैं समझ ही नहीं पाया। आर्मी कैंप में सभी मुझे जासूस नाम से जानने लगे थे। आर्मी वाले कहते थे कि तू यहां आ गया है, सबकुछ बोल देगा। यहां अच्छे-अच्छों की जुबान खुल जाती है। आर्मी कैंप में मेरी इतनी पिटाई की गई कि मुझे कई-कई दिनों तक होश नहीं रहता था।जब होश आता, तो बंद कमरे में खुद को पाता। तीन महीने तक कैंप में मुझे रखा। चलना-फिरना तो दूर मैं लेटकर सरक भी नहीं चल पाता था। वो मुझे गर्म पानी के ड्रम में डुबोते और तुरंत निकालकर ठंडे पानी के ड्रम में डाल देते थे। कई बार तो ऐसा लगा कि अब जिंदा नहीं बचूंगा। कुछ दिनों बाद तो दर्द में जीने की जैसे आदत हो गई थी।जब तक आर्मी कैंप में रहा। भूख-प्यास से तड़पाया और बर्फ पर लिटाकर पीटते थे। वहां की सेना और पुलिस ने खूब जुल्म किए।
राजू ने कहा कि वह हमेशा यही कहता था कि मैं गलती से इस पार आ गया हूं, लेकिन कोई भरोसा नहीं करता था। चार दिन बाद यानी 3 अगस्त को भारतीय एजेंसियों से माध्यम से वहां पता चला कि मैं खंडवा जिले के इंधावड़ी गांव का रहने वाला हूं। जेल में मुझे खाने के लिए दाल-रोटी के अलावा नानवेज देते थे। नानवेज में हमेशा गोश्त परोसा जाता था। सुबह, दोपहर और शाम तीन समय खाना मिलता था, लेकिन शर्त ये थी कि पहले पाकिस्तान के कैदियों को खाना बांटते थे। फिर जो कुछ भी बचता था, भारतीय कैदियों को दिया जाता था।
राजू पिण्डारे ने बताया कि जेल के अंदर बाहरी कैदियों से भेदभाव किया जाता था। सुबह नहाने से लेकर खाना खाने तक पहले पाकिस्तानी कैदियों को प्राथमिकता देते थे। बाद में मुझे जेल में ही मूंगा-मोती की माला बनाना सिखाया गया। फिर यही काम रोज करने को मिलता था। डेरा गाजी खान के जेल में मेरे साथ 16 और भी भारतीय कैदी थे। सजा पूरी होने पर मुझे तो छोड़ दिया, लेकिन वो लोग अभी भी सजा काट रहे हैं।
राजू ने कहा कि अब मुझे अपने घर लौटने की खुशी है, लेकिन उन लोगों के साथ इतने दिन रहा, अब सबकी याद आ रही है। जेल में बंद 16 कैदियों को जब पता चला कि मैं रिहा होने वाला हूं तो सभी खुश थे। उनमें से ज्यादातर राजस्थान के रहने वाले हैं।
राजू 30 जुलाई 2019 को आलू-टमाटर से भरे ट्क में बैठकर राजस्थान बॉर्डर पर पहुंच गया था। पाकिस्तान की सीमा में वो कैसे पहुंचा, यह ठीक से याद नहीं है। उसने बस इतना बताया कि जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो पता चला कि वो पाकिस्तान पहुंच गया है। वो गाजी खान डेरा जिला था। राजू इधर-उधर घूम रहा था, तभी कुछ पुलिसवाले उसके पास आए। राजू से पूछताछ की तो उन्हें बताया कि मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का रहने वाला है। यह सुनते ही पुलिसवालों ने राजू को पकड़ लिया और थाने लेकर चले गए। चार दिन थाने में ही रखा फिर आर्मी वालों के हवाले कर दिया गया।पाक सरकार ने जासूस की संदेह में गिरफ्तार पर अवैधानिक तरीके से बॉर्डर पार करने का मुकदमा भी चलाया।
राजू के छोटे भाई दिलीप ने बताया कि राजू आसपास के गांवों में घूमता रहता था। कई बार हफ्ते-हफ्ते तक घर नहीं आता था। आने के बाद फिर गायब हो जाता था। पहले भी उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। 2019 में गायब हुआ तो महीनों तक नहीं लौटा। इसके बाद उसकी खोज शुरू की। वह पाकिस्तान पहुंच जाएगा सोचा भी नहीं था। 17 फरवरी 2023 को खंडवा पुलिस ने परिवार को सूचना दी। कहा कि आपका बेटा लौट आया है, उसे लेने पंजाब जाना होगा।
राजू के माता-पिता ने बताया कि मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने से राजू अक्सर कहीं भी चला जाता था, लेकिन महीने 15 दिन में लौट भी आता था। पांच साल पहले गया तो एक-दो महीने इंतजार के बाद तलाश शुरू की। बैंक से 80 हजार रुपए का कर्ज लेकर कई जगह ढूंढा, लेकिन नहीं मिला। इस बीच एक दिन दो पुलिस जवान घर आए और राजू का फोटो दिखाकर पूछताछ की।
उन्होंने बताया कि राजू पाकिस्तान पहुंच गया है। पाकिस्तान से संबंधों को देखते हुए लगा अब राजू को जिंदा देख पाएंगे या नहीं। राजू की घर वापसी के लिए इंधावड़ी के देवेंद्र सिंह सोलंकी ने तत्कालीन सांसद विधायक से निवेदन कर राजू को लौटाने का आग्रह किया था, लेकिन इन सब से कुछ नहीं हो सका।
राजू को उसके परिजन के सुपुर्द करने से पहले सुबह 10 बजे यहां मेडिकल टेस्ट कराया गया। इस टेस्ट में ब्लड प्रेशर, शुगर, ईसीजी के साथ मुख्य रूप से एचआईवी की जांच की गई । एचआईवी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अभी कुछ रिपोर्ट आना बाकी है। डॉक्टरों ने राजू को स्वस्थ बताया है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतते हुए सभी जांच कराई गई है।
शुक्रवार को गांव की सीमा पर पहुंचते ही सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने राजू का स्वागत किया। घोड़े पर बैठाकर देशभक्ति गीतों पर झूमते ही ग्रामीण राजू को लेकर गांव पहुंचे।गाजे-बाजे के साथ जब राजू अपने घर पहुंचा तो आसपास के गांव के लोग और जनप्रतिनिधि उसे देखने जुट गए थे।
राजू से कलेक्टर, एसपी और विधायकों ने की मुलाकात की है।