बुंदेलखंड-विकास पर भारी है मुफ्त का माल और जातीय समीकरण

7:14 pm or March 12, 2023

रवीन्द्र व्यास

 
                मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में  २६ विधानसभा सीटें आती हैं | २०१८ के चुनाव में यहाँ से 14  सीटों पर बीजेपी और   10 पर कांग्रेस ,  सपा और बसपा एक एक सीट पर चुनाव जीती थी | आगर  इन समीकरणो को ही देखें तो बुंदेलखंड ही वह इलाका था जिसने कांग्रेस के हाथों सत्ता की बागडोर सौंपी थी | साल भर बाद ही कांग्रेस के दल बदल के कारण  सत्ता  बदल गई और सरकार बीजेपी की बन गई | जिसका बड़ा असर बुंदेलखंड में भी देखने को मिला | वर्तमान के   सियासी  हालातों को देखें तो इस बार सीएम के तमाम प्रयासों के बावजूद बीजेपी के हालातों में बड़ा परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है | 
                    बुंदलखंड इलाके के सागर संभाग में सागर जिले की ८ विधान सभा सीट में से पांच पर बीजेपी और 3 पर कांग्रेस ने चुनाव जीता था | सुरखी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे गोविन्द राजपूत ने सिंधिया समर्थकों के साथ दलबदल किया | जिसके चलते सागर में अब कांग्रेस २ विधायक रह गए   और बीजेपी 5 से बढ़कर  6 विधायक हो गए  | 
बुंदेलखंड  में सत्ता परिवर्तन के बाद बड़ा असर सियासी समीकरणो में देखने को मिला |  सागर के बाद सबसे ज्यादा विधान सभा सीट वाले छतरपुर जिले में 2018 के चुनाव में कांग्रेस के  4, बीजेपी और सपा का एक एक विधायक चुनाव जीता था | बड़ामलहरा के कांग्रेस विधायक प्रदुम्न लोधी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी | उप चुनाव उन्होंने बड़े अंतर से जीता था | बिजावर से सपा के राजेश शुक्ला ने भी सपा का दामन  छोड़ बीजेपी की सदस्यता ले ली थी | दमोह में कांग्रेस के राहुल लोधी जो प्रदुम्न लोधी के रिश्तेदार लगते हैं उन्होंने भी बीजेपी का दमन थाम लिया था | पर उप चुनाव में जब उन्हें प्रत्यासी बनाया गया तो वे कांग्रेस के अजय टंडन से बुरी तरह से हार गए | निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर विधान सभा सीट कांग्रेस के दबंग नेता ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह के निधन से रिक्त हुई और यहाँ हुए उप चुनाव में बीजेपी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दर किनार कर सपा से 2018 का चुनाव लड़ चुके  शिशुपाल यादव को प्रत्यासी बनाया और चुनाव जीता | 
                            २०२२ के अंत तक बुंदेलखंड में बीजेपी विधायकों की संख्या 14 से बढ़कर १८ हो गई , कांग्रेस की १० से घटकर ७ हो गई | सत्ता के सबलीकरण का ये असर २०२२३ के चुनाव में कितना रहता है यह तो आने वाले समय में ही स्पष्ट हो जाएगा | २४ घंटे  चुनावी मोड़ में रहने वाली बीजेपी , के लिए आने वाले विधान सभा चुनाव वर्तमान में बहुत ज्यादा उम्मीदों वाले नहीं कहे जा सकते | एन्टी इंकम्बेंसी फेक्टर के अलावा बुंदेलखंड में लोग ये कहने लगे हैं कि ” काठ की हांडी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती ” | इन सबके मूल में अगर देखा जाए तो एक समस्या ऐसी है जो बुंदेलखंड भर में देखने को मिल रही है वह है ” कानून और व्यवस्था की स्थिति ” | अपराधी तत्व बेलगाम हैं आम आदमी की कोई सुनने वाला नहीं है , बगैर दाम के काम नहीं होता |अधिकाँश  विधायकों के काम काज के तरीके को लेकर लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है | 
                            वर्तमान में सरकार विकास यात्रा निकाल रही है जगह जगह  शिलान्यास और लोकार्पण हो रहे हैं |   विकाश यात्रा को लेकर पन्ना कलेक्टर का बयान भले ही अलग हो पर  सरपंच और पंचायत सचिवों में नाराजगी देखने को मिली रही  है | सचिवों  का कहना है कि  चार -चार महीने से हम लोगों को वेतन नहीं मिल रहा , पंचायत के लिए कोई बजट नहीं मिला उस पर से  विकास यात्रा के लिए इंतजाम हम लोगों को करना पढ़  रहा है |  इसे विनास यात्रा कहने से भी नहीं चूकते | चुनावी साल में बिजली कम्पनी के अधिकारियों द्वारा चलाया जा रहा वसूली अभियान भी लोगों को ही नहीं बीजेपी विधायकों को भी बेचैन किये हुए है | छतरपुर जिले की  राजनगर विधानसभा सीट के हरद्वार गाँव पहुंची थी विकास यात्रा , गाँव वालों ने बीजेपी नेता अरविन्द पटेरिया को जैम कर खरी खोटी सुनाई , और कहा आज यात्रा लेकर आ गए हमारे गाँव में लाइट नहीं है कभी पूंछने तक नहीं आये | 
सागर के नरयावली विधायक प्रदीप लारिया ने तो बिजली अधिकारियों पर कांग्रेस के एजेंट होने का ही आरोप लगा दिया था | 
                        हालंकि चुनावी वर्ष में बीजेपी की शिवराज सरकार ने खजाना खोल दिया है , लाड़ली लक्ष्मी योजना के बाद लाड़ली बहना योजना | इस तरह की योजंना उत्तर प्रदेश में चलती है जिसका बड़ा लाभ बीजेपी को मिला है | उसी नक़्शे कदम पर मध्यप्रदेश में यह योजना शुरू की गई है , आप के जबाब में सी एम् राइस स्कूल | चुनावी वर्ष में दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए सागर में बड़ा आयोजन रविदास महाकुम्भ के नाम पर किया गया | यहाँ सौ करोड़ की लागत से संत रविदास का मंदिर बनेगा , एस सी एस टी के लिए औद्योगिक क्षेत्र में २० फीसदी भूखंड आरक्षित होंगे, स्कालरशिप की आय सीमा भी 6 लाख से बढ़ाकर ८ लाख की गई है | जातीय और मतदात समीकरण को देखें तो बुंदेलखंड में  अनुसूचित जाति के लगभग 22 फीसदी मतदाता हैं | इनमे अधिकांश संत रविदास के अनुयाई हैं | बीजेपी की निगाह इन वोटों पर काफी पहले से है | 2013 में 22 सीट जितने वाली बीजेपी 2018 के चुनाव में 14 सीट पर सिमट गई थी | 4  सीट जितने वाली कांग्रेस 2018 में बढ़कर 10 पर पहुँच गई थी ,परिणामतः बीजेपी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी | अब वह किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती | 
                      बुंदेलखंड में उमा भारती के प्रभाव को भी नहीं नकारा जा सकता है | शराब और अपने लोधी समाज के वोटरों को लेकर भी वे सरकार पर हमलावर थी | इस माह के शुरुआत में उन्होंने ओरछा के राम राजा सरकार के मंदिर के पास से शराब दुकान को लेकर शिवराज सरकार को सीधी चेतावनी दे डाली थी , जिसका असर सरकार की नई शराब नीति में देखने को मिला | अब वही उमा भारती  शिवराज का भोपाल में सम्मान करेंगी | 
                       दरअसल बुंदेलखंड इलाके में लोधी मतदाताओं पर पकड़ बनाने वाला उमा भारती से बड़ा कोई नेता बीजेपी के पास नहीं है | बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद  उमा भारती के ही इशारे पर प्रदुम्न और राहुल लोधी बीजेपी में आये थे | सियासी समीकरणों के बीच बुंदेलखंड में भी मतदातओं को मुफ्त की योजना और जातीय समीकरण ज्यादा प्रभावित करते हैं |