महावीर अग्रवाल
मन्दसौर , भोपाल १४ फरवरी ;अभी तक; मप्र मानव अधिकार आयोग ने *भोपाल शहर के* रेलवे स्टेशन, नादरा बस स्टेण्ड और अन्य प्रमुख बस स्टाॅप्स पर यात्रियों को रात 10 बजे के बाद सहज, सुलभ व सस्ते आवागमन साधन (लो-फ्लोर बस आदि) की सुविधा न मिलने के कारण यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिये आॅटोचालकों को मनमाना किराया देने के लिये मजबूर होने संबंधी एक विस्तृत मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शहर के अल्पना तिराहा, भारत टाॅकीज, रेलवे-बस स्टेशन, प्रभात चौराहे व अन्य स्थलों पर यात्रियों को गंतव्य तक जाने के लिये बेहद परेशान होना पड़ता है। यात्रियों की शिकायत है कि देर रात आॅटोचालक मुंहमांगा किराया वसूलते हैं, क्योंकि रात के वक्त न तो उन्हें बस मिलती है, न ही मैजिक। मामले में आयोग ने *उप पुलिस कमिश्नर (यातायात) भोपाल शहर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।*
मप्र मानव अधिकार आयोग ने *भोपाल शहर की सडकों में* चल रहे करीब आठ हजार पुराने आॅटोचालन से निकलने वाली 100 डेसिबल की आवाज और कालिख से धुएं से शहर की आब-ओ-हवा को प्रदूषित होने संबंधी एक विस्तृत मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कर्णरोग विशेषज्ञों का कहना है कि 45 डेसिबल तक की आवाज कानों के पर्दों के लिये अनुकूल है। मनुष्य के कान 90 डेेसिबल तक की आवाज को अच्छे से सुन सकते हैं। यदि आवाज इससे भी तेज हो जाये, तो मनुष्य में ह्रदय की धड़कन बढ़ना, सिरदर्द, बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा शहर में सीएनजी आॅटो आ जाने के बाद भी यहां बड़ी संख्या में पेट्रोल आॅटो चल रहे हैं, जिसमें आॅइल भी मिलाया जाता है। इससे निकलने वाले धुएं से ही प्रदूषण फैलता है। *मामले में आयोग ने पुलिस कमिश्नर, भोपाल तथा जिला परिवहन अधिकारी, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का दो माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने इन दोनों अधिकारियों से प्रतिवेदन में यह जानकारी भी देने को कहा है – 01. कितने आॅटो रिक्शाओं की जांच की गई ? 02. इनमें से कितने तय मानक स्तर से कम पाये गये ? 03. उनपर क्या कार्यवाही की गई ? 04. प्रदूषण नियंत्रण के लिये आवश्यक उपायों का पालन सुनिश्चित कराने के संबंध में क्या कार्यवाही की गई ?*
मप्र मानव अधिकार आयोग ने *’भोपाल जिले के परवलिया विद्युत वितरण केंद्र में* बिजली के बिल जमा करने के बाद भी खराब ट्रांसफामर्स नहीं बदले जाने की वजह से ग्रामवासियों के परेशान होने, शिकायतें करने के बावजूद समाधान न होने और बाधित विद्युत आपूर्ति के कारण बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होने के मामले में संज्ञान लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि खराब ट्रांसफामर्स बदलने के बजाये क्षेत्र की दूसरी डीपी पर दबाव बढ़ाकर उन्हें भी खराब किया जा रहा है। *मामले में आयोग ने ’मुख्य प्रबंध निदेशक (सीएमडी), मध्य क्षेत्र विविकंलि, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।’*
मप्र मानव अधिकार आयोग ने *विदिशा जिले के गुलाबगंज की* करीब 22 करोड़ रूपये की लागत वाली नल-जल योजना के पूर्ण हो जाने के बाद भी इसके संचालन में पीएचई की भारी उदासीनता के चलते यहां के निवासियों को बूंद-बूंद पानी के लिये तरसने के मामले में संज्ञान लिया है। क्षेत्र के जिला पंचायत सांसद प्रतिनिधि का कहना है कि उन्होंने लगभग हर स्तर पर गुलाबगंज नल-जल योजना के संचालन में की जा रही विभागीय हीलाहवाली की शिकायत की, पर शासन-प्रशासन कोई भी उनकी बात नहीं सुन रहा है। *मामले में आयोग ने कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत तथा कार्यपालन यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, विदिशा से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।*
मप्र मानव अधिकार आयोग ने *’विदिशा जिले के गंजबासौदा शहर में* चौक-चौराहों सहित चाय-पान होटलों पर काफी तेजी से सट्टे, जुएं की लत और इसके शौकीनों का खेल बढ़ने के कारण शहर व गांव के लोगों के परेशान होने पर इस पर अंकुश लगाने के लिये शिकायत करने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने के मामले में संज्ञान लिया है। चश्मदीदों का कहना है कि शहर के साथ-साथ ग्राम मूडरा, पचमा, गमाखर, ककरावदा, सेमरा, घटेरा, मूडरी, वारोद सहित कई गांव ऐसे हैं, जहां जुआ व लकड़ी जुआ का खेल लाखों में खेला जाता है। अनेक लोग चार-पहिया और दो-पहिया वाहनों से आते हैं और दिनभर बेखौफ होकर जुआ खेलते रहते हैं। उन्हें किसी का भी डर-भय नहीं है। *मामले में आयोग ने ’कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक, विदिशा से प्रकरण की जांच कराकर इस संबंध में की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।*