महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २२ जुलाई ;अभी तक; मनुष्य को अपने जीवन में मैं और मेरा का भाव नहीं रखना चाहिये तथा जीवन में समभाव रखना चाहिये। मैं और मेरा की भावना अहंकार को बढ़ाती है तथा हमें इससे बचना चाहिये जीवन मे मैं को मूल परमात्मा से नाता जोड़ना चाहिये।
उक्त उद्गार परम पूज्य जैन आचार्य श्री पियुषभद्रसूरिश्वरजी म.सा. ने नईआबादी स्थित आराधना भवन मंदिर हाल में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने शुक्रवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि जब तक हम अपने जीवन में अहंकार को नहीं छोड़ेंगे। परमात्मा से नहीं जुड ़ पायेंगे। इसलिये जीवन में परमात्मा से नाता जोड़ना है तो अहंकार को छोड़े।
देव, गुरू का महत्व समझो- आचार्य श्री ने कहा कि जीवन में जो भी व्यक्ति देव गुरू का महत्व समझता है उसका बेड़ा पार हो जाता है जो भी देव गुरू का हाथ थामता है वह जीवन में तिर जाता है, जीवन में देव गुरू की कृपा होना जरूरी है। वीर परमात्मा को नमस्कार करने से सभी दोष दूर हो जाते है तथा जीवन में गुणों का विकास होता है।
परमात्मा की भक्ति को पहचाने- आचार्य श्री ने कहा कि महाभारत की कथा में द्रोपति के चिरहरण का वृतान्त मिलता है जिसके अनुसार द्रोपति ने दूर्योधन व दूशासन से रक्षा के लिये माता, पिता भाई व रिश्तेदार सभी को पुकारा था लेकिन कोई उसकी मदद को नहीं आ सका लेकिन द्रोपति ने जब अपने को ईश्वर के सहारे छोड़ दिया और कृष्णजी को याद किया तो कृष्ण ने ही उसके शील की रक्षा की, इसलिये जीवन में परमात्मा की शक्ति को पहचाने।
कल्पधु्रम शास्त्र की महत्ता बताई- आचार्य श्री पियुषभद्रसूरिश्वरजी म.सा. ने कल्पधु्रम शास्त्र की महिमा बताते हुए कहा कि इस शास्त्र में 16 विषय (अध्याय) है। इस शास्त्र मंे जीवन को अध्यात्म की ओर प्रवृत्त होने की प्रेरणा दी गई है।
प्रतिदिन हो रहे है प्रवचन व अन्य क्रियाये- मंदसौर में चातुर्मास हेतु विराजित परम पूज्य आचार्य श्री यशोभद्रसूरिश्वजी म.सा. व आचार्य श्री पियुषभद्रसूरिश्वरजी म.सा. आदि ठाणा 8 के प्रतिदिन प्रातः 9.15 से 10.15 बजे तक नईआबादी स्थित आराधना भवन मंदिर के हाल में प्रवचन हो रहे है। प्रवचन के पूर्व प्रतिदिन प्रातः 6.30 बजे चेत्यवंदन एवं भक्ताम्बर का पाठ हो रहा है। सायंकाल प्रतिदिन प्रतिक्रमण हो रहे है। जिसमें बड़ी संख्या में महिलाये व पुरूष अलग अलग भागीदारी कर रहे है।
गुजरात व राजस्थान से धर्मालुजन आकर ले रहे है दर्शन वंदन का लाभ- आचार्य श्री यशोभद्रसूरिश्वरजी व श्री पियुषभद्रसूरिश्वरजी म.सा. का गुजरात व राजस्थान में काफी प्रभाव है। यहां के जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक आमनाथ को मानने वाले श्रावक श्राविकायें मंदसौर आकर उनके दर्शन वंदन का धर्मलाभ ले रहे है। गुरू पूर्णिमा पर्व के मौके पर बड़ी संख्या में गुजरात व राजस्थान के धर्मालुजन भी यहां पहुंचे थे और उन्होंने दोनों आचार्यों के दर्शन वंदन का धर्मलाभ प्राप्त किया गया था।