महावीर अग्रवाल
मंदसौर 6 नवंबर ;अभी तक; कलेक्टर श्री मनोज पुष्प की अध्यक्षता में मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया के नियंत्रण के संबंध में सुशासन भवन स्थित सभाकक्ष में बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश देते हुए कहा कि मलेरिया की रोकथाम के लिए पूरे जिले में व्यापक अभियान चलाया जाए। इसके नियंत्रण के लिए सर्वे भी किया जाएगा। जितने भी कर्मचारी इस अभियान में लगेंगे उनकी सतत मॉनिटरिंग की जाए तथा उसकी रिपोर्ट जल्द बनाकर प्रस्तुत करें। बैठक के दौरान कलेक्टर श्री मनोज पुष्प, सीईओ जिला पंचायत श्री ऋषभ गुप्ता, अपर कलेक्टर श्री बी एल कोचले सहित सभी जिला अधिकारी एवं स्वास्थ विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
बैठक के दौरान बताया कि मलेरिया एक बुखार है जो मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से होता है। यह मादा एनाफिलीज मच्छर रात के समय काटता है। जब संक्रमित मादा एनोफिलिज किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटती है तो वह मलेरिया बुखार से ग्रसित हो जाता है। जब मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को एक स्वस्थ मादा एनोफिजिलिज काटती है तो वह संक्रमित हो जाती है। इस प्रकार मलेरिया का फैलाव होता है।
मलेरिया का लक्षण
ठण्ड लगकर बुखार आना एवं पसीना होकर बुखार उतरना सामान्य लक्षण हैं। सर्दी व कम्पन के साथ बुखार आना। एक दिन छोड़कर बुखार आना। उल्टियां और सिरदर्द होना। बुखार उतरने के बाद थकावट, कमजोरी। मादा एनोफिलिज का जीवनचक्र 9 से 11 दिन में पूर्ण होता है। मच्छर साफ रुके हुए पानी में अंण्डे देते है। अण्डे से लार्वा 5 से 7 दिन में, लार्वा से प्यूपा 1-2 दिन में ओर प्यूपा से मच्छर 1-2 दिन में बन जाते है। मादा मच्छर करीब 30 से 45 दिन जिंदा रहता है। यह मच्छर तीन किलोमीटर तक उड़कर जा सकता है अर्थात इसकी उड़ान तीन किलोमीटर तक होती है।
इनका विश्राम स्थल – यह मच्छर घरों में, घर के बाहर, नमीयुक्त एवं अंधेरे वाली जगहों पर। इनका उत्पत्ति स्थल – मच्छर साफ रुके हुए पानी मे जैसे नदी, तालाब, स्टाप डेम एवं बारीश के जमा जमा पानी में। इनके लार्वा का विनिष्टिकरण- टेमाफॉस का छिड़काव, गबुशिया मछली आदि के द्वारा लार्वा को नष्ट किया जा सकता है। मलेरिया का उपचार – मलेरिया का उपचार संभव है। पी एफ केस में तीन दिनों का उपचार, एसीटी व प्राईमाक्वीन से दिया जा सकता है। पीवी केस में क्लोरोक्वीन तीन दिन तक व प्राईमाक्वीन 14 दिन तक टाईम दी जाती है।
मलेरिया से बचने के उपाय
मच्छरों की उत्पत्ति रोकने हेतु मॉडल बॉयलाज बनाए गए हैं उनका क्रियान्वयन करें। ग्राम/मोहल्लों में घरों से निकलने वाले पानी की उचित निकासी व्यवस्था, नालियां साफ रखकर अवांछित जलसंग्रहों को मिट्टी भरकर (पूरकर) समाप्त करना। दलदली जमीन को सुखा कर वृक्षारोपण करना। स्टाप डेम, कुओं, नदियों के रुके पानी में ला्वाभक्षी मछलियां डालकर, घरों के आसपास रखी बेकार सामग्री जिनमें पानी जमा हो सकता है, हटाने की समझाईश देकर, मच्छरों की पैदावार नियंत्रित की जा सकती है।
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