महावीर अग्रवाल
मन्दसौर ६ अप्रैल ;अभी तक; अंचल के प्रमुख कवि, विचारक शिशु रोग विशेषज्ञ, प्रगतिशील लेखक संघ मंदसौर इकाई के पूर्व अध्यक्ष डॉ. चंद्रकांत द्विवेदी के निधन पर शोक सभा आयोजित की गई। सभा में वक्ताओं ने डॉ. द्विवेदी की सेवाओं को स्मरण करते हुए उनके लेखन पर प्रकाश डाला।
शोक सभा की अध्यक्षता करते हुए प्रलेस इकाई अध्यक्ष डॉ. एस.एन. मिश्रा ने कहा कि डॉ. द्विवेदी ने चिकित्सा के पेशे की नैतिकता को बनाए रखा, उनकी संवेदना ने उन्हें समाज के वंचित वर्ग के साथ जोड़ा। वही मानवीयता का स्वर उनकी कविताओं में भी आया। कवि नरेंद्र भावसार ने विज्ञान के पेशे से जुड़े चिकित्सक के साहित्यिक लगाव को रेखांकित करते हुए डॉ. द्विवेदी को गहरी संवेदना का कवि बताया।
अभिभाषक कीर्ति नारायण कश्यप ने कहा कि यह संयोग है कि जब हम डॉ. द्विवेदी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं वही दिन उनका जन्मदिन भी है। चित्रकार हस्तीमल सांखला ने कहा कि डॉ. द्विवेदी की पुस्तकों पर उन्हें रेखांकन करने का अवसर मिला जिस पर वह स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं। प्रकाश गुप्ता ने डॉ. द्विवेदी के साथ बिताए दिनों को याद किया। हरनाम सिंह ने कहा कि डॉ. द्विवेदी का जीवन संघर्षों से प्रारंभ हुआ था, पद और प्रतिष्ठा को कभी स्वयं पर हावी नहीं होने दिया। अंचल के वे लोकप्रिय चिकित्सक थे।
सभा में हेमंत कच्छावा, राजा कोठारी, हूरबानू सैफी, सचिव दिनेश बसेर ने भी डॉ. द्विवेदी से प्रेरणा लेने का अनुरोध किया। शोकसभा में प्रलेस के हित चिंतक एवं पुराने साथी कृषि वैज्ञानिक डॉ. जी.एन. पांडे के निधन पर भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संचालन प्रलेस के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य असअद अंसारी ने किया।
आई मिस यू
शोकसभा में डॉ. द्विवेदी परिवार की युवा कवियत्री रिशिता ने भी कविता के माध्यम से अपने नाना को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। रिशिता ने कहा कि कविता उन्हें विरासत में मिली है। अब मेरा पेन नहीं चल पा रहा है, क्योंकि मेरी कविताओं को शीर्षक देने, सुधारने वाला नही रहा। मैं अपने नाना की वाणी, उनके साथ गुजारे बचपन को सदैव याद रखूंगी।
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