संतोष मालवीय
, भोपाल २३ नवंबर ;अभी तक; वकीलों की मांग पर अदालत ने उन्हें ट्रायल के तौर पर कोर्ट रूम में कुछ मामलो में पैरवी करने की छूट दी। लेकिन इसमें वकीलों की दिलचस्पी ज्यादा नही दिखाई दी। सोमवार को ट्रायल का यह पहला दिन था लेकिन पहले ही दिन वकीलों की संख्या अदालत में कम ही दिखाई दी। राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों को संख्या को लेकर वकीलों में आज भी जबरदस्त भय व्याप्त दिखाई दिया। सोमवार को पहले दिन वकीलों ने जज के सामने खड़े होकर अपना पक्ष रखने की बजाय प्रवेश द्वार से ही अपना पक्ष रखना उचित समझा।
ज्ञात हो कि कोरोना वायरस को लेकर 22 मार्च से पूरे भारत की अदालते बन्द थी। वायरस का असर कम होने के बाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश की सभी जिला अदालतों में पुराने प्रकरणों को छोड़कर जमानत के अलावा अन्य अर्जेंट मामलों की सुनवाई के लिए वकीलों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में अपना पक्ष रखने की अनुमति दी थी। वकीलों और पक्षकारो का अदालत ( कोर्ट रूम ) में प्रवेश पूरी तरह से वर्जित था ताकि अदालत में वायरस न फैल सके। वीडियो कांफ्रेंसिंग में सुनवाई के दौरान बराबर नेटवर्क नही मिल पाने के कारण वकील जज के सामने सही तरीके से अपना पक्ष नही रख पाते थे।
वकीलों की ओर से बार एसोसिएशन ने जिला न्यायाधीश के समक्ष अपनी समस्या बताते हुए कोर्ट रूम में वकीलों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पैरवी करने की मांग की थी। ताकि वे प्रकरण में सही तरीके से अपना पक्ष रख सके। जिस पर जिला न्यायाधीश ने ट्रायल के तौर पर वकीलों को 23 तारीख से एक दिन छोड़कर कोर्ट रूम में व्यक्तिगत उपस्थिति होने की इजाजत दे दी थी। लेकिन सोमवार को पहले ही दिन इसमें भी उनकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई दी। अधिकांश वकीलों ने तो यहा तक कहा कि इस भीषण वैश्विक ( बीमारी ) वायरस के कारण अदालत में कामकाज ज्यादा नही बढ़ाना चाहिए और न ही पक्षकारो को अदालत परिसर में प्रवेश की अनुमति देना चाहिए अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती हैं।
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