दीपक शर्मा
पन्ना एक फरवरी ;अभी तक; श्रीमद् भागवत कथा में लिखें मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है। श्रीमद्भागवत की कथा में वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुड़े हुए लोगों का भी कल्याण होता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है।
उक्त बातें श्री श्री जुगुल किशोर जी मंदिर पन्ना में दुवेदी परिवार मड़ई जिला सतना हाल पन्ना की चल रही संगीतमय भागवता कथा में आचार्य श्री राम दुलारे पाठक जी महाराज ने ब्यास पीठ से कहीं। संतों का परिचय उनका भेष नहीं गुण होता है श्री पाठक ने संतो के संबंध में कहा है कि संत का परिचय संत का भेष नहीं होता है। उनका तो मुख्य भेष उनका गुण होता है। आज के समय में कई बहुरूपिया संत भी चोला धारण कर विचरण कर रहे हैं। लेकिन कथा वाचक व्याकरणाचार्य श्री पाठक ने संत के 6 गुण बताएं। जिसमें उन्होंने कहा कि संत में सहनशीलता, करुणा, सबको अपना मानना, किसी से शत्रुता ना रखना, निष्कामता एवं परोपकारी होना ही संत की असली पहचान है।उन्होंने कहा जब भी आप किसी संत या महात्मा से मिले तो इन 6 गुणों के माध्यम से उसकी पहचान कर सकते हैं। संत की पहचान होना आवश्यक है क्योंकि वही तो आपका मार्गदर्शन करते है।
कथा बाचक श्री पाठक ने कहा कि कई बार कहा जाता है कि “पानी पियो छान के, संत करो जांच के“ क्योंकि सच्चा संत ही आपको सदमार्ग और ईश्वर से प्रेम करना सिखा सकता है। श्री पाठक ने भागवत कथा में चौथे दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव वर्णन किया। जिसमें उन्होंने श्री कृष्ण से संस्कार की सीख लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं जानते थे कि वह परमात्मा हैं उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख में भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव मे कथा प्रेमी लोग झूम उठे, ओर भगवान के नारों से पंडाल गूँज उठा। कथा आयोजक मनोज विवेक दुवेदी ने शहर वासियों से अधिक से अधिक संख्या मे पहुंचकर धर्म लाभ उठाने का आग्रह किया है.