महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १३ नवंबर ;अभी तक; महर्षि पतंजलि संस्कृत पाठशाला भोपाल से सम्बद्ध श्री पशुपतिनाथ संस्कृत पाठशाला मंदसौर में जिला संस्कृत जिला शिक्षा कार्यालय मंदसौर द्वारा आयोजित धन्वन्तरि प्राकट्योत्सव के उपलक्ष्य में कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए मास्क एवं सोशल डिस्टेसिंग व सीमित संख्या में आयुर्वेद गोष्ठी का आयोजन किया गया।
उक्त कार्यक्रम पतंजलि योग संगठन के जिलाध्यक्ष बंशीलाल टांक के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय शिक्षण मण्डल के अध्यक्ष श्यामसुन्दर देशमुख ने की। कार्यक्रम के विशेष अतिथि श्री दक्षिणेश्यवरी ज्योतिष योग साधना संस्था व श्री धरा शक्तिपीठ शंखोद्धार तीर्थ के परमाध्यक्ष पूज्य घनश्याम ज्ञानी रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला संस्कृत प्रभारी दिनेश पालीवाल ने किया। आभार प्रदर्शन संस्कृत पाठशाला के प्राचार्य विष्णुप्रसाद ज्ञानी ने किया।
श्री टांक ने अपने उद्बोधन में भारतीय योग एवं आयुर्वेद की महत्ता पर प्रकाश डाला। आपने कहा कि भगवान धनवन्तरी का प्राकट्य समुद्र मंथन के समय नारायण के 24 अवतारों में से बारहवें अवतार के रूप में हाथ में अमृत कलश लेकर हुआ था। भगवान धनवन्तरी आयुर्वेद के जनक रहे है। चिकित्सा पद्धति में सबसे प्रमुख भगवान धनवन्तरी के जिस आयुर्वेद को हम भूलते जा रहे है वर्तमान कोरोना वैश्विक महामारी में योग एव आयुर्वेद को विशेष रूप से सहायका माना जा रहा है। योग महर्षि स्वामी रामदेव ने योग के साथ ही आयुर्वेद को भी विश्व स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाकर भारत के घर-घर में योग और आयुर्वेद के महत्व को सिद्ध कर दिया है।
श्री देशमुख ने अध्यक्षीय उद्बोधन में भारतीय आहार विहार व दिनचर्या को आरोग्य का मूल बताया व साथ ही संस्कृत पाठशाला के बटुकों के त्यागमय जीवन की प्रशंसा करते हुए वैदिक जीवन का महत्व बताया। घनश्याम ज्ञानी ने पुनः अपनी प्राच्य जीवन पद्धति पर लौटने का आग्रह करते हुए गाय, पीपल, तुलसी जैसी दिव्य औषधियों के महत्व का वर्णन किया।
शुभारंभ श्री पशुपतिनाथ संस्कृत पाठशाला के वैदिक बटूकों के वेदमंत्रों के साथ धनवन्तरी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप
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