महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १९ सितम्बर ;अभी तक; नातन धर्म के प्रवर्तक आचार्य सद्गुरु स्वामी के टेऊॅराम जी महाराज द्वारा स्थापित श्री प्रेम प्रकाश पंथ की शाखा मंदसौर में स्थित श्री प्रेम प्रकाश आश्रम में जहां सनातन धर्म के सभी त्योहार बड़े ही शिद्दत एवं धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाए जाते हैं । उसी कड़ी में आज रिद्धि -सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा का अत्यंत ही मनमोहक एवं सुंदर दरबार सजाया गया धार्मिक अनुष्ठान के साथ आरती की गई।
इस आशय जानकारी श्री प्रेम प्रकाश सेवा मंडली के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शिवानी ने देते हुए बतलाया की अनंत चोदस 28 सितम्बर तक दसों दिन प्रतिदिन सुबह एवं शाम को सत्संग सभा में भगवान श्री गणेश जी की महिमा के भजनों का सत्संग एवं महा आरती की जावेगी। सिंधी समाज के स्त्री पुरुष बच्चे एवं सनातन धर्मी अधिक से अधिक संख्या में सुबह 7.30 से 8.30 एवं शाम को 5.30 से 7 बजे तक पधार कर धर्म लाभ प्राप्त करें। शिवानी ने बताया कि शास्त्रों में भगवान श्री गणेश जी की स्थापना को लेकर सुन्दर उल्लेख है।
श्री गणपति जी को क्यों बैठाते है ?
हम सभी प्रत्येक वर्ष भगवान श्री गणपति जी की स्थापना करते हैं ! साधारण भाषा में श्री गणपति को बैठाते हैं ! लेकिन क्यों.. ? किसी को मालूम है क्यों…? नहीं ना… चलो आज पढ़ते है । हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना की है । लेकिन लिखना उनके वश का नहीं था । ’अतः उन्होंने इस कार्य के लिए श्री गणेश जी की आराधना की और गणपति जी से महाभारत लिखने के लिए प्रार्थना की ।
श्री गणपति जी महाराज ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ ! इस कारण श्री गणेश जी को थकान तो होनी ही थी । लिखने के दौरान उन्हें पानी पीना भी वर्जित था । अतः गणपती जी के शरीर का तापमान बढ़े नहीं । इसलिए वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप किया और भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा-अर्चना की.। मिट्टी का लेप सूखने पर भगवान श्री गणेश जी के शरीर में अकड़न आ गई । इसी कारण श्री गणेश जी का एक नाम पर्थिव गणेश भी पड़ा । महाभारत का लेखन कार्य 10 दिनों तक चला और वह अनंत चतुर्दशी को लेखन कार्य संपन्न हुआ। वेदव्यास जी ने देखा कि श्री गणपती महाराज का शारीरिक का तापमान फिर भी बहुत बढ़ा हुआ है और उनके शरीर पर लेप की गई मिट्टी सूखकर झड़ रही है । तो वेदव्यास ने उन्हें जल में डाल दिया । जिससे उन्हें ठंडक मिल सके ।
इन दस दिनों में महर्षि वेदव्यास ने श्री गणेश जी को खाने के लिए विभिन्न पदार्थ दिए…। विशेष गणपति जी को मोदक प्रिय है । इसलिए मोदक का भोग लगाया जाता है । तभी से गणपती बैठाने की प्रथा चल पड़ी…। आज भी वह परम्परा चालू है…। इसे विधिवत करने से सर्व मनोरथ भी सिद्ध होते है। बस- अगर मान मर्यादाओ को ध्यान देकर ये उत्सव मनाएंगे तो बापा गणपति जी हम सब पर प्रसन्न होंगे और हमें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देंगे। 10 दिनों तक श्री गणेश जी की आरती व भोग प्रसाद जरूर लगाएं…। गणपति जी का विसर्जन साफ सुथरी बड़ी नदी, तालाब या सागर-समुन्द्र में ही करें… छोटे स्थानों पर नहीं करे ! उत्सव भक्ति भाव से मनाना चाहिए । फिल्मी नाच- गाने आदि नहीं होना चाहिए..!सभी पर श्री गणपति महाराज का आशीर्वाद बरसता रहे.. गणपति बप्पा मोरिया… मंगल मूर्ति मोरिया