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जनजाति समूह के उत्थान के लिए भाजपा सरकार कर रही है निरंतर कार्य

मयंक शर्मा
खंडवा २४ फरवरी ;अभी तक;  मध्यप्रदेश में विलुप्त हो रही जनजातियों को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 हजार करोड़ रुपए का बड़ा बजट ट्रायबल डिपार्टमेंट को दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उन्हें विलुप्त हो रही जनजाती सहरिया, बैगा और भारिया के बारे में रिपोर्ट दी थी। पीएम ने इसमें काम करने व आदिवासियों के उत्थान के लिए यह भारी बजट दिया है।
                            विजय शाह को जमीनी कार्यशैली को अंजाम देने के लिए जाना जाता है। आदिम जाति के उत्थान के लिए यह बड़ा मिशन होगा। खालवा-रोशनी जैसे उनके विधानसभा क्षेत्र में कोरकू समाज के लोगों का जीवनस्तर सुधरा है। उसके लिए तो श्री शाह कम या बिना बजट में ही लोगों को मुख्य धारा में ले आए। आज क्षेत्र के विकास का देश-विदेश में जिक्र होता है। अब तीन विलुप्त हो रही जनजातियों पर काम करने का उन्हें मौका मिला है। 29 फरवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंचायत स्तर की कई योजनाओं का शुभारंभ एवं भूमि पूजन करेंगे जिसमें हरसुद विधानसभा क्षेत्र के खालवा क्षेत्र को भी बड़ी  सौगात प्राप्त हुई है उसका भी वर्चुअल भूमि पूजन करेंगे
                                 प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि आदिम जाति कल्याणमंत्री विजय शाह शुक्रवार को खंडवा पहुंचे और पत्रकारों से रूबरू होकर जिला पंचायत अध्यक्ष पिंकी वानखेड़े के शपथ समारोह में भी शामिल हुए,  पत्रकारवार्ता मे पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि  यह प्रदेश के विकास के लिए बड़ी बात है। ये तीन जनजातियां बहुत ही कठिनाई से जी रही हैं। समुद्र तल से 8 हजार मीटर नीचे कई लोग रह रहे हैं। देश समृद्धि के नए आयाम छू रहा है। ऐसे में इन जनजातियों के उत्थान के लिए बड़ा मिशन चलाना जरूरी है। इसके लिए बजट भी भरपूर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के सहयोग से मिला है। जल्द बड़ा काम मध्यप्रदेश में शुरू कर दिया जाएगा।
                               श्री शाह ने बताया कि प्रदेश के 22 जिलों में आदिवासियों के समग्र विकास के लिए विधिवत काम होगा। इनके जीवनस्तर को सुदृढ़ बनाने के लिए इन्हें अच्छे और व्यवस्थित मकान बनाकर दिए जाएंगे। इनके स्वास्थ्य के लिए चिकित्सकों की व्यवस्था और जरूरी दवा गोली व उपचार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएँगी। अच्छे व ट्रेंड शिक्षकों की नियुक्ति कर पढाई लिखाई होगी। इन्हें सामान्य व सामाजिक स्तर का ज्ञान व तकनीकी कौशल भी सिखाया जाएगा। विजय शाह के मुताबिक 23 सौ करोड़ का बजट भारी होता है। इसके लिए दो महीने में ही टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
                                 प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह को जो विभाग मिलता है। वे कुछ नया ही करते हैं। अब एससी-एसटी के छात्रावासों के माहौल को तनावरहित करने पर काम कर रहे हैं। यह विभाग संभाले हुए उन्हें डेढ़ महीना ही हुआ है।
                               श्री शाह ने बताया कि ट्रायबल के छात्रावासों में कुशल अधीक्षकों के न होने से कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। वहां रह रहे एससी-एसटी के छात्र-छात्राओं को वह माहौल मिल पाने में परेशानियां सामने आ रही थीं। इसके पीछे का कारण यह है कि छात्रावासों में लगभग 4570 अधीक्षकों के स्थान पर स्कूलों के शिक्षक ही अधीक्षक का काम कर रहे थे।
                                ऐसा होने से स्कूलों में शिक्षकों की कमी हो गई है। ट्रायबल में करीब 18 हजार शिक्षक कम हैं। इससे करीब पांच हजार शिक्षक अपने स्थानों पर जाकर मूल काम करने लगेंगे। अधीक्षकों में गणित, साईंस और फिजिक्स, केमेस्ट्री जैसे विषयों के पारंगत शिक्षक दूसरा काम कर रहे हैं। इन्हें बच्चों का भविष्य संवारने के काम में फिर से लगाया जाएगा।
                           लंबे समय से कई शिक्षक अधीक्षक बने हुए हैं। वे पढ़ाना भूल सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो उन्हें फिर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। पढ़ाने की मुख्य धारा में लाया जाएगा। कई वरिष्ठ शिक्षक तो एक लाख रुपये तक का वेतन पा रहे हैं। इनके स्थान पर ऐसे अनुभवी अधीक्षक भर्ती किये जाने की ट्रायबल विभाग की योजना है, जो निर्धारित वेतन में काम करेंगे।
                         अधीक्षकों की भर्ती में निर्धारित योग्यता के साथ बीपीएड, एमपीडब्लू, बीएससी नर्सिंग, मनोविज्ञान और इसी तरह की योग्यता वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसा करने के पीछे श्री शाह ने कारण बताया कि छात्रावासों में बच्चों को पेयरेंट्स जैसा माहौल मिलना चाहिए। न कि कड़क शिक्षक जैसा। बच्चों को घर जैसा वातावरण मिलना जरूरी है।
                                बच्चों को खुशनुमा और अच्छा माहौल देने के लिए खेल शिक्षक, नर्सिंग डिप्लोमाधारी, बच्चों की मानसिकता समझकर उनका एकाकीपन दूर करने जैसी कई योग्यता वालों को अधीक्षक बनाकर भर्ती किया जाएगा। इनका वेतन अभी निर्धारित नहीं हुआ है, लेकिन न्यूनतम 35 हजार रुपए व भविष्य में 70 हजार रुपए तक सैलरी जैसे नियमों पर विचार किया जा रहा है।

 

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