प्रदेश

फटाका कारोबारी ने 32 लाख रुपये सरेंडर किए, करोड़ों की कर चोरी पकडी गई।

आनंद ताम्रकार

बालाघाट ३१ अक्टूबर ;अभी तक;  मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में बारूद से बने फटाकों और दवाइयों के कारोबारियों के तीन ठिकानों में स्टेट जीएसटी की टीमों ने छापा मारकर करोड़ों रूपयों की जीएसटी टैक्स की चोरी पकडी है।

                                        बालाघाट में फटाका एण्ड फटाका एवं दर्द गो फार्मा कंपनी तथा कटंगी में कमर अली युसूफ अली के नाम से चल रही फर्मों में कार्यवाही करते हुये जीएसटी अधिकारियों ने संबंधित प्रतिष्ठानों से 18.50 लाख रुपये तथा कटंगी में 13 लाख 54 हजार रुपये की पेनल्टी जमा कराई है।  26 अक्टूबर को जबलपुर की जीएसटी टीम ने इन दो फर्मों में दबिश दी थी इसी के साथ एक अन्य टीम ने कटंगी में कमर अली यूसूफ अली के प्रतिष्ठानों तथा घरों में जांच की।

बालाघाट में हुई जांच का नेतृत्व असिस्टेंट कमिश्नर मनीष जैन तथा कटंगी में रविन्द्र सनोडिया ने जांच की जिसमें स्टॉक का मूल्यांकन करतें दस्तावेजों की गहन छानबीन की गई।

कटंगी के खरपडिया ग्राम में स्थित फैक्टरी में जांच के दौरान शैफी सेवा आश्राम एण्ड बारूद वाला (फटाका एंड फटाका) फर्मों की छानबीन की इन सभी फर्मों में जीएसटी की बड़ी पैमाने में चोरी किये जाने का खुलासा हुआ।  लगभग 3 दिन तक चली छानबीन के पश्चात टैक्स चोरी के मामलों में पेनाल्टी के तौर पर लगभग 32 लाख रूपये फर्म के संचालकों से सरेंडर करवा ली गई है।
जीएसटी विभाग द्वारा इस जांच में इन महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा हुआ है संचालकों ने फटाकों का विक्रय कच्चें कागजों में किया गया।
फटाके किसे बेचे गये, कहां ले जाये गये, कहां से लाये गये, फटाकों का कितना स्टाक था जिसका उल्लेख नही है।

ऐसे भी फटाके पाये गये जिनके उत्पादन एवं विक्रय पर सुप्रीम कोर्ट तथा एनजीटी ने रोक लगा रखी है क्योंकि ऐसे फटाकों से प्रदूषण फैलता है जिसका दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है।

बालाघाट जिला नक्सल प्रभावित जिला है जिसके कारण फटाकों तथा बारूद से बनी सामग्री के आवाजाही तथा उसके भंडारण की जानकारी पुलिस को दिया जाना अनिवार्य किया गया है। इसके बावजूद करोड़ों के फटाकों का निर्माण कर कच्चे कागजों पर अवैध रूप से बेच दिये गये। विगत कई वर्षों से चल रहें बारूद और फटाकों के इस अवैध कारोबार से पुलिस तथा जिला प्रशासन आज तक कैसे अनभिज्ञ रहा, प्रशासन का सूचना तंत्र की खामोशी सोचनीय है?

यह बताया जा रहा है कमर अली युसूफ अली फर्म द्वारा बारूद के कारोबार में पिछले 30-40 वर्षों से एकाधिकार बना हुआ है। राजनीतिक तथा प्रशासनिक संरक्षण के चलते इनके सामने आज तक कोई नया कारोबारी इस कारोबार में सामने नही है।

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