प्रदेश

2.5 करोड़ मूल्य का 16000 क्विंटल गेहूं पाउडर की शक्ल में तब्दील

आनंद ताम्रकार
बालाघाट १० सितम्बर ;अभीतक;  जिले में वारासिवनी अनुविभागीय मुख्यालय स्थित वेयर हाउस कारपोरेशन द्वारा खाद्यान्न भंडारण के लिये किराये पर लिये गये गोदामों में वर्ष 2021-2022 की अवधि में आया 33000 बोरा, 16000 क्विंटल गेहूं कीट प्रकोप होने की वजह से पाउडर की शक्ल में तब्दील हो गया और वह उपयोग के काबिल नही रहा।
                                आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कल्पतरु वेयरहाउस खापा मेंहदीवाडा में स्टेग नंबर 33, 16360 बोरे, 8182.10 क्विंटल, श्वेता वेयर हाउस नेवरगाव स्टेग नंबर 45, 2773 बोरा, 1375.05क्विंटल, हर्षित वेयर हाउस बुधाटोला तुमाडी स्टेग नंबर 52, 13975 बोरा, 6858.17क्विंटल गेहुं भंडारित किया गया था।
इन्ही गोदामों में धान भी भण्डारित की गई थी जो कीटग्रस्ति होने से खराब हो गये धान में लगे कीड़े गेहूं में भी लग गए उसके कारण गेहुं क्षतिग्रस्त हो गया।
                             गोदामों में भंडारित खाद्यान्न को सुरक्षित रखने तथा कीडग्रस्त ना होने के लिये औषधि उपचार करने की जिम्मेदारी गोदाम मालिक और वेयर हाउस कारपोरेशन की होती है लेकिन लापरवाही के चलते लगभग 2.5 करोड़ मूल्य का गेहूं बरबाद हो गया।
                            नागरिक आपूर्ति निगम के कर्मचारी अधिकारी खराब गेहूं को अपग्रेड कर उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं में वितरित किये जाने की कवायद में लगे हुये है।
                        समय समय पर गोदामों में भण्डारित खादन्न की स्थिति एवं स्टॉक सत्यापन किया जाना चाहिए लेकिन अधिकारियों ने भण्डारित गेहूं का निरीक्षण ही नहीं किया और गेहूं की मात्रा बरबाद हो गई।
                       कल दिनांक 9 सितंबर को जिला खाद्य अधिकारी सुश्री ज्योति बघेल ने कल्पतरु वेयरहाउस में रखे गेहूं का निरीक्षण किया और गेहुं की स्थिति देखकर इसकी डिलेवरी ना किये जाने के निर्देश दिये वहीं हर्षित वेयर हाउस के गोदाम में कीड़े लगे गेहूं को साफ कर अपग्रेड करने के निर्देश दिये। अपग्रेड करने के बाद भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं को वितरित किया जा सकेगा। समयाभाव के कारण श्वेता वेयर हाउस में जिला खाद्य अधिकारी नहीं पहुंच पाई।
जानकारी मिली है की श्वेता वेयर हाउस के मालिक ने क्षतिग्रस्त गेहूं का मूल्य निगम को दिये जाने कहा गया है। क्षतिग्रस्त गेहूं का पंचनामा बनाया गया है।
यह विडम्बना ही कहा जाये की विगत 2 वर्षों से उपभोक्ताओं को गेहूं का आवंटन ना मिलने का हवाला देकर गेहूं नहीं दिया जा सका वहीं दूसरी ओर गेहूं की उपलब्धता होने के बावजूद उपभोक्ताओं में वितरित ना होकर करोड़ों रुपये का गेहुं कीड़े चट कर गये।

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