प्रदेश

अंधाधुंध अवैध रेत उत्खनन के कारण घट रहा भू-जल स्तर

दीपक शर्मा

पन्ना १३ अप्रैल ;अभी तक; जिले के अजयगढ़ क्षेत्र की जीवनदायिनी केन नदी में रेत माफिया के द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ से बिना टेंडर एग्रीमेंट के दिन-रात अंधाधुंध रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। जिसका दुष्परिणाम क्षेत्र में तेजी से घट रहे जलस्तर के रुप में सामने आ रहा है।

                                अटल भूजल योजना के तहत सरकार द्वारा पन्ना जिले के अजयगढ़ क्षेत्र के भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर केन नदी में दर्जन भर से अधिक रेत माफियाओं के द्वारा आधा सैकड़ा दैत्याकार प्रतिबंधित मशीनों से केन नदी के बीरा, फरस्वाहा, चांदीपाठी, मोहाना, उदयपुर, रामनई, बरकोला इत्यादि घाटों में अंधाधुंध रेत का अवैध उत्खनन किए जाने से यहां का जल स्तर सुधरने के बजाय तेजी से घट रहा है। जबकि बिना किसी प्रयास के गुनौर, पवई, शाहनगर क्षेत्र के भूजल स्तर में सुधार बताया जा रहा है। रेत माफिया की करतूतों से एक ओर जहां शासन के राजस्व को भारी हानि हो रही है। वहीं जलस्तर भी तेजी से गिरावट आ रही है जो भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।

तेजी से गिर रहा जलस्तर क्षेत्र के लिए अशुभ संकेत भूजल विभाग की ओर से सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक अजयगढ़ क्षेत्र सेमी क्रिटिकल श्रेणी में आ गया है, यहां पिछले वर्ष 8.16 मीटर की गहराई पर भूजल था जो अब 8.66 मीटर की गहराई तक पहुंच गया है, जबकि पन्ना, गुनौर, पवई और शाहनगर में भूजल स्तर सुधरा है, अजयगढ़ क्षेत्र में भूजल स्तर सुधारने के लिए जन अभियान परिषद अंतर्गत अटल भूजल योजना संचालित है जिसमें अब तक करोड़ों खर्च हो चुके हैं लेकिन भूजल स्तर गिरता ही जा रहा है, यह अंधाधुंध रेत के अवैध उत्खनन का ही दुष्परिणाम बताया जा रहा है, कई ग्रामों के हैण्डपंपों से पानी निकलना बंद हो चुका है। अनगिनत कुएं भी जल विहीन हो रहे है। घटते जल स्तर के कारण फसलें भी प्रभावित हो रही है। और प्रकृति को घोर क्षति का सामना करना पड़ रहा है शायद इसी वजह से कुछ समय से प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोत्तरी बताई जा रही है। प्रतिदिन सैकड़ों डंफर रेत का उत्खनन, हो रहा है। प्रतिदिन आधा सैकड़ा दैत्याकार प्रतिबंधित मषीनों से सैकड़ों डंफर रेत का अवैध उत्खनन चल रहा है। जबकि यहां कोई टेंडर एग्रीमेंट नहीं है। रेत माफिया जिम्मेदारों की सांठ-गांठ काले आरनामों को अंजाम दे रहे हैं। मषीनों से रेत लोड करने के लिए रेत माफिया के गुर्गों के द्वारा मनमानी वसूली करने के बाद बीरा चैकी के पास 3000 रुपये प्रति डंफर और 300 रुपये प्रति ट्रैक्टर ट्रॉली से अवैध वसूली की जाती है। इसके बाद फॉरेस्ट चैकियों में 200 रुपये राषि निर्धारित है। पन्ना पहुंचने पर बड़ा डाक घर तिराहा में यातायात एवं चौकी का नजराना दिया जाता है। आरटीओ कार्यालय के पास आरटीओ के कमीषन की वसूली की जानकारी भी सूत्रों के माध्यम से प्राप्त हुई है। खनिज विभाग का हिस्सा भी माफियाओं के द्वारा नियमित रूप से पहुंचाया जाता है।

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