प्रदेश

ग्रामीणों की भावनाओं को नजर अंदाज किया जाना चुनाव में कांग्रेस पार्टी के लिए खतरे का संकट

मयंक शर्मा
खंडवा ११ जुलाई ;अभी  तक; खंडवा जिला कांग्रेस कमेटी की जिम्मेदारी पूर्व शहर अध्यक्ष अजय ओझा को सौंपने के बाद पार्टी में विरोध शुरू हो गया है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर डा. मुनीश मिश्रा की तैनाती के बाद जिलाध्यक्ष के पद पर भी ब्राम्हण नेता अजय ओझा की नियुक्ति के बाद इसका विरोध अंदरूनी तौर पर शुरू हो गया था। अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल कई नेताओं ने एक ही समाज और दोनों व्यक्ति शहर के होने कांग्रेस की बागडौर सौंपने पर अचरज जाहिर कर अपनी प्रतिक्रिया में इसे अव्यवहारिक बताया था।
                              कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का आरोप है कि इस नियुक्ति से जिले में गुटबाजी फिर सिर उठाएंगी। जो पार्टी संगठन और समर्पित ग्रामीण नेता व कार्यकर्ताओं के लिए ठीक नहीं है। संगठन में अन्य समाजों में संतुलन जरूरी है। जिले में ओबीसी मतदाताओं 52 प्रतिशत से अधिक है। इस पद पर आदिवासी नेता की नियुक्ति के बाद हटाने से आदिवासी समाज में नाराजगी है। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को एक जाजम पर लाने के लिए सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व और एकजुटता जरूरी है।
                           इसके चलते एक बार फिर कांग्रेस जिलाध्यक्ष का पद होल्ड होने की संभावना जताई जा रही है। इस संबंध में जल्द ही वरिष्ठ कांग्रेसी भोपाल कूचकर आला नेताओं के समक्ष अपनी बात रखेंगे। स्थानीय स्तर पर भी बैठकों को दौर शुरू हो गया है। खंडवा जिले में गुटबाजी का शिकार होने से लंबे समय से हार का सामना कर रही कांग्रेस में संगठन को मजबूत बनाने के लिए शहर और जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर केंद्र से प्रदेश स्तर तक विचार-विमंर्श के बाद भी सामजस्य कायम नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस से कार्यकारी जिलाध्यक्ष अशोक पटेल, राणा सज्जन सिंह, कड़वा पटेल, हरेराम पटेल, पप्पन दादा, रघुनाथ पटेल सहित करीब 12 दावेदार थे।1990 के बाद खंडवा  सहित समूचे जिले मे भगवा ही  लहालहा रहा है।
                                श्री पटेल ने  कहा कि कांग्रेस में संगठन को मजबूत बनाने के लिए शहर और जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर केंद्र से प्रदेश स्तर तक विचार-विमंर्श के बाद भी सामजस्य कायम नहीं हो पा रहा है। इन्हे नजर अंदाज कर शहर के ऐसे व्यक्ति जिस पर गुट विशेष की छाप और वर्तमान में कांग्रेस प्रदेश महासचिव, हरदा जिला प्रभारी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य की जिम्मेदारी के बाद ओझा को ग्रामीण अध्यक्ष बनाने से पार्टी के निर्णय और नियुक्ति को ग्रामीण क्षेत्र के नेताओं की अवेहलना माना जा रहा है। वहीं नवनियुक्त जिलाध्यक्ष ओझा के बयान 20 वर्ष से कांग्रेस की बागडोर ग्रामीण नेताओं के हाथ में होने के बावजूद नतीजा सबके सामने होने की बात से वरिष्ठ नेताओं का आक्रोष और गहरा गया है।
                                     कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष रहे पूनम पटेल ने कहा कि उनके कार्यकाल में ग्रामीण क्षेत्रों के सहयोग से ही खंडवा से अरूण यादव को जीता कर संसद में भेजा था। जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष कांग्रेस का बना था। पांच जनपदों में कांग्रेस का कब्जा था।वहीं पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष ओंकार पटेल के समय भी मांधाता सीट कांग्रेस ने जीती थी। वर्तमान में भी खंडवा जनपद, हरसूद नगर परिषद सहित कई पंचायतों पर कांग्रेस का कब्जा है। यदि ग्रामीणों की भावनाओं को नजर अंदाज किया जाता है तो आने वाले चुनाव में पार्टी के लिए संकट की स्थिति बन सकती है।

 

Related Articles

Back to top button