भिण्ड से डॉ.रवि शर्मा-
भिंड ४ नवंबर ;अभी तक; दीपावली के लिए शहर में फूड विभाग के संरक्षण में कई जगह नकली छेना व रसायनिक पदार्थो से बनी मिठाईयां जल्द ही बाजार में उतरने को तैयार है । 100 रुपये किलो में बिकने वाला छेना केमिकल, क्रीम और सेंथेटिक दूध से बनाया जा रहा है । एक तरफ लोगो को खिलाने के लिए जहरीली मिठाईयां तैयार की जा रही है वही दूसरी ओर फूड विभाग के अधिकारियो ने मोटी रकम लेकर मौन धारण कर लिया है। जहरीली मिठाईयो का कारोबार शहर के मध्य ओर शहर के वाहर दो दर्जन से ज्यादा मोहल्लो में डेयरी ओर खुद के मकानो में मावा के साथ छेना व रसगुल्ले व जहरीली मिठाईयां तैयार कर शहर की प्रसिंध्द आधा सैकडा से ज्यादा मिठाईयों की दुकानों पर सप्लाई कर रहे है।
त्योहारो पर मिठाईयों के जरिये खुशियो को बॉटा जाता है परन्तु फूड विभाग के अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त दुकानदार मिठाई के नाम पर जहरीले केमिकल युक्त पदार्थ से बनी मिठाईयो को धडल्ले से बेचा जा रहे है लेकिन आप इस दीपावली बाजार से मिठाई खरीदने वाले है, तो सावधान हो जाए क्योकि यह मिठाई आपके व आपके परिवार के स्वास्थ्य को जहरीला होने के कारण शरीर में कई बीमारियां पैदा कर सकती है क्योकि दीपावली व अन्य त्योहारो के समय जिले में मिठाईयों की मांग बहुत होती है । मिलाबटखोर इसी का फायदा उठाकर मावे व मिठाई में मिलावट कर उसकी मात्रा तो बढा देते है लेकिन इसकी गुणवत्ता पूरी तरह से खत्म हो जाती है इसका नतीजा लोगो के बीमार हो जाने जैसे उल्टी, दस्त, घबराहट आदि जैसी कई बीमारियां मौत के रूप में सामने आती है।
देखने में सुंदर व खाने में जहरीली मिठाईयां
मिलावटी मिठाईयों को सस्ते और हानिकारक रासायनिक पदार्थ व रंगो का इस्तेमाल कर बाजार में इतना सजाकर ओर आकर्षक बनाकर बेचा जाता है इसके नकारात्मक परिणमों के जाने बिना आप उसे खरीदकर घर ले आते है और उसे बच्चे व परिवार के लोग उसे स्वाद से खाते है। लेकिन इसके परिणाम आपके और परिवार के लिए बेहद घातक हो सकते है।
फूड विभाग दुकानदारों से मोटी रकम लेकर नही करता कार्रवाही
एक प्रसिध्द मिष्ठान दुकान संचालक ने नाम न छापने पर अभी तक न्यूज को बताया कि फूड विभाग के अधिकारियों द्वारा हर साल त्योहारों पर मोटी रकम ली जाती है इस कारण मिलाबट व जहरीली मिठाईयों का धंदा उन्ही के अधिकारियो के संरक्षण में खूव चलता है। विभाग द्वारा कुछ एक दुकानो पर कार्रवाही की जाती है लेकिन यह अंजाम तक नही पहुंचती है क्योकि विभाग की टीम जब दुकानो पर कार्रवाही पर निकलती है उससे पहले ही विभाग के अधिकारी फोन द्वारा दुकानदारो को सूचित कर दिया जाता है ओर एक दो दुकानो पर सैपिल भर लिया जाता है और मामला बीच में ही मेनेज कर लिया जाता है साल में विभाग द्वारा 10-15 दुकानों की सैपलिंग की कार्रवाही की जाती है पर रिपोर्ट कभी जारी नही होती इससे यही समझा जा सकता है कि फूड विभाग के अधिकारी कितनी पारदर्शिता दिखा रहे है इसी बजह से शहर में नकली मिठाईयों के स्टॉल इस बार दीपावली पर सजने के लिए तैयार है
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