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टिकट की आस में खंडवा के कांग्रेसी दावेदार पहुंचे भोपालः भाजपा उम्मीदवारों की भी तीन सीटों पर टकटकी

मयंक शर्मा
खंडवा १७ अक्टूबर ;अभी तक; जिले में विधानसभा चुनाव के परिणामों से पहले अधिकृत प्रत्याशियों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।  पार्टी पदाधिकारी और स्वयं दावेदार भी टिकट को लेकर पसोपेश में है। जिन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिए है, वहां भी प्रति़द्वंद्वी के अभाव में संशय की स्थिति बनी हुई है।  अगले 24 से 28 घंटे में दोनों प्रमुख दलों के अधिकृत चुनावी तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।
                   खंडवा विस का इतिहास देखा जाए तो यहां 1952 से लेकर 2018 तक हुए कुल 15 चुनाव और एक उपचुनाव में 6 बार कांग्रेस का कब्जा रहा। यह आजादी के बाद लोकतंत्र का शुरुआती दौर था। एक बार भारतीय जनसंघ और एक बार जनता पार्टी यहां से जीतीं। 1990 के बाद हुए आठ चुनाव में कांग्रेस जीत को भूला बेठी है या कहें कि कांग्रेस ने खंडवा विस को हार की प्रयोगशाला बना लिया है।

खंडवा जिले की चार सीटों में से एक पर भाजपा प्रत्याशी घोषित कर चुकी है,। जबकि कांग्रेस ने 2 सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित किये है। कांग्रेस के इतिहास में पिछले 33 साल मेंखंडवा सीट के लिये हुए 7 चुनाव और एक उपचुनाव में किसी भी प्रत्याशी को दोबारा मौका नहीं मिला है। खंडवा विधानसभा से अंतिम बार वर्ष 1985 में कांग्रेस की नंदा मंडलोई ने जीत दर्ज कराई थी। 1990 में कांग्रेस ने नंदा मंडलोई को दोबारा मौका दिया, लेकिन वेहार गयी।हालांकि गैर कांग्रेस के रूप मे 1967 में भारतीय जनसंघ के कृष्णराव गद्रे ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के गोविंद प्रसाद गीते ने यहां जीत दर्ज की थी,।

                         अजजा वर्ग के लिए जिला मुख्यालय की आरक्षित खंडवा सीट पर भाजपा का कब्जा 1990 से है। पिछले तीन चुनाव में विधायक रहे देवेंद्र वर्मा इस बार भी भाजपा के प्रबल दावेदार माने जा रहे है। चर्चा है कि सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल से पटरी नहीं बैठने तथा संघ के कुछ नेता यहां बदलाव के पक्ष में होने से प्रत्याशी की घोषणा उलझी हुई है। वहीं कांग्रेस में पिछले चुनाव में शिकस्त के बाद इस बार चहरे बदलने की चर्चा है लेकिन प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ की नजदीकियों की वजह से पूर्व प्रत्याशी की दावेदारी से भोपाल से लेकर दिल्ली तक अजमाइश जारी है।
                          अजा वर्ग के लिए आरक्षित पंधाना सीट से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी रूपाली बारे को तय कर दिया है। अब भाजपा किस पर दाव लगाती है इसे लेकर पसोपेश की स्थिति बनी हुई है। यहां पिछले तीन चुनाव में जीत के बाद भ्नए चेहरे को मौका देने की परंपरा के चलते विधायक राम दांगोरे को ेडैजर झोन में खडा कर रख है।

अजा वर्ग के लिए आरक्षित हरसूद विधानसभा भाजपा का गढ़ है। यहां से लगातार सात बार चुनाव जीत चुके कद्दावर आदिवासी नेता विजय शाह को भाजपा ने फिर मौका दिया है।  विजय शाह के अभेद गढ में उनके सामने कांग्रेस से अभी तक प्रत्याशी तय नहीं हो सका है।

जिले की एकमात्र सामान्य सीट पर राजपूत और गुर्जर समाज का वर्चस्व रहा है। इसे देखते हुए कांग्रेस ने यहां से उपचुनाव में प्रत्याशी रहे उत्तमपाल सिंह पर फिर विश्वास जताया है। अब भाजपा से अधिकृत प्रत्याशी का इंतजार है। एक धड़ा पूर्व विधायक लोकेंद्रसिंह तोमर के परिवार से तो एक धड़ा राजपूत समाज के समाजसेवी के पक्ष में प्रयासरत है। वहीं, कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक नारायण पटेल की पुन दावेदारी डैजर झोन में है।

चुनाव में टिकट के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही अब अंतिम सूची का इंतजार बेसब्री से हो रहा है। टिकट के लिए कांग्रेसी दावेदार अंतिम समय तक दिल्ली-भोपाल में जोर रहे है। सोमवार को खंडवा से तीन उम्मीदवार भोपाल पहुंचे और पीसीसी चीफ से मुलाकात की। कांग्रेस ने जिले की दो विधानसभाओं में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। पंधाना और मांधाता में अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा हो चुकी है। अब खंडवा और हरसूद विधानसभा के उम्मीदवारों को अगली सूची का इंतजार है। सूची आने से पहले अपनी दावेदारी पक्की करने सोमवार को खंडवा विधानसभा से हुकुम वर्मा, मोनिका मंडरे और सुनील आर्य भोपाल पहुंचे। यहां पीसीसी कार्यालय में तीनों ने ही अपने-अपने समर्थकों के साथ कमलनाथ से मुलाकात की। इधर टिकट की दौड़ में शामिल पिछली बार के प्रत्याशी कुंदन मालवीय खंडवा में ही हैं। वहीं, चुनाव (।ेेमउइसल म्समबजपवद 2023 उच) के लिए नौकरी से इस्तीफा देने का दावा करने वाले मनीष पचोरे भी भोपाल में डेरा डाले हुए है।
मंगलवार को कांग्रेस ने अपना चुनावी वचन पत्र जारी कर दिया है। संभावना है कि इसके बाद बची हुई 86 सीटों की घोषणा हो सकती है। वहीं, भाजपा से जिले के तीन विधायक भी टकटकी लगाए घोषणा का इंतजार कर रहे हैं।
उधर भाजपा ने जिले की एकमात्र विधानसभा हरसूद में प्रत्याशी घोषित कर दिया है। मांधाता, खंडवा और पंधाना में प्रत्याशी का नाम सामने आना बाकी है। तीनों सीटों पर ही वर्तमान में भाजपा के विधायक है, जिनकी धड़कनें बढ़ी हुई है। सूत्रों के मुताबिक पंधाना विधायक राम दांगोरे भोपाल से दिल्ली पहुंच चुके है और बड़े नेताओं से संपर्क साध रहे है। इधर, खंडवा विधायक देवेन्द्र वर्मा भोपाल से खंडवा लौट चुके है। मांधाता विधायक नारायण पटेल क्षेत्र में नजर नहीं आ रहे हैं। भाजपा पांचवीं सूची संभवतरू मंगलवार को केंद्रीय चुनाव कमेटी की बैठक के बाद घोषित हो सकती है।


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