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योग रूचि विजयजी म.सा. के मुखारविन्द से आराधना भवन नईआबादी में चातुर्मास प्रवचन प्रारंभ
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २० जुलाई ;अभी तक; श्री सहस्त्रफणा पार्श्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर (आराधना भवन) के हॉल में योग रूचि विजयजी म.सा. आदि ठाणा 2 के मंगलमयी प्रवचन प्रारंभ हो चुके है। आराधना भवन श्रीसंघ की विनती पर मंदसौर में चातुर्मास करने पधारे आचार्य श्री जिनसुन्दरसूरिश्वर के परम शिक्ष्य पन्यास प्रवर श्री योग रूचि विजयजी म.सा. के चातुर्मास की चार माह की अवधि में प्रतिदिन प्रातः 9 से 10 बजे तक आराधना भवन मंदिर के हाल में प्रवचन हो रहे है।
चातुर्मास के शुभारभ अवसर पर योग रूचि विजय जी म.सा. ने कहा कि चातुर्मास की चार माह की अवधि में हमें पाप कर्म से बचने के लिये कई प्रकार के पचकारण लेने चाहिये। चार माह प्रतिदिन प्रभुजी की प्रतिमा की पूजा एवं प्रतिक्रमण करना ही चाहिये। अहिंसा का पूरी तरह पालन हो इसके लिये जमीकंद (आलू, प्याज व अन्य पदार्थ) का त्याग करें। 4 माह की अवधि में पति पत्नी यदि ब्रह्मचर्य का पालन करते है तो यह भी एक प्रकार का तप ही है। 4 माह की अवधि में साधु-साध्वियों के मुखारविन्द से जिनवाणी सुनना है तो प्रतिदिन प्रवचन में भी जाना चाहिये। प्रवचन श्रवण करने से धर्म एवं धर्म आराधना की ओर प्रवृत्त होने की प्रेरणा मिलती है। यदि हम अपने मन मस्तिष्क को जिनवाणी में लगायेंगे तो हमारा जीवन सद्कर्म की ओर प्रवृत्त होगा। 4 माह की अवधि में खानपान पर नियंत्रण रखे। जमीकंद का उपयोग नहीं करे। हरे पत्तों की सब्जियों का उपयोग नहीं करें। खानपान के प्रति आसक्ति को छोड़े तथा सात्विक भोजन ही करें। 4 माह की अवधि (चातुर्मास) में हमे क्या आहार करना है और क्या नहीं इसका विवेक रखे। अहिंसा का पूरी तरह पालन करना है तो हमें अनावश्यक यात्रा से भी बचना पड़ेगा। राजा कुमारपाल व श्रीकृष्णजी 4 माह की अवधि में नगर के बाहर यात्रा नहीं करते थे। हमें भी चातुर्मास की वधि में अनावश्यक रूप से यात्रा करने से बचना चाहिये। धर्मसभा का संचालन दिलीप रांका, महेश जैन तहलका ने किया ।