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जीवन में विनय का गुण होना जरूरी -साध्वी श्री रमणीक कुंवर जी
महावीर अग्रवाल
मंदसौर २६ जुलाई ;अभी तक; मानव जीवन में विनय का गुण सबसे ज्यादा महत्व रखता है बिना विनय के जीवन में गुरु की कृपा नहीं मिलती । गुरु की कृपा व ज्ञान पाना है तो सर्वप्रथम गुरु के प्रति आदर भाव लाये तभी ज्ञान की प्राप्ति होती है। विनय के अभाव में ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है ।
उक्त उदगार परम पूज्य जैन साध्वी श्री रमणीक कुंवर जी महाराज साहब ने शास्त्री कॉलोनी स्थित श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में आयोजित धर्मसभा में कहे । आपने शुक्रवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि जीवन में गुरु की कृपा पाना है तो विनय का गुण लाये। विनय तत्व को जीवन में लाना है तो गुरु के प्रति श्रद्धा भाव का होना जरूरी है । आपने कहा कि गुरु का महत्व अपने जीवन में समझो शास्त्रों का मत है कि देव वह गुरु यदि सामने खड़े हो तो सर्वप्रथम गुरु को ही प्रणाम करना चाहिए। लंका पति रावण के पास सब कुछ था लेकिन उसके पास गुरु नहीं था इसी कारण उसने सीता हरण जैसा पाप किया। राम के पास वन गमन में साधन नहीं थे लेकिन उन पर गुरु कृपा थी इसी कारण राम लंका विजय में सफल रहे । आपने कहा कि गुरु की कृपा के बिना आत्मा का उद्धार संभव नहीं है।
चौथमल जी म.सा. के जीवन से प्रेरणा लेने – साध्वी श्री रमणीक कुंवर जी म.सा. ने कहा कि श्री जैन दिवाकर चौथमल जी महाराज साहब का संपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादाई है वह जन-जन की आस्था के केंद्र रहे। उन्होंने कई अजैनी को भगवान महावीर का संदेश देकर जैन बना दिया । परम पूज्य श्री सौभाग्यमल जी महाराज साहब, प्रताप मुनि जी महाराज व रमेश मुनि जी महाराज साहब का जीवन भी हम सभी के लिए प्रेरणादाई है।
धर्म सभा में साध्वी श्री चंदनाश्रीजी महाराज साहब ने भी अपने विचार रखें । धर्म सभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे। संचालन पवन पोरवाल ने किया ।
उक्त उदगार परम पूज्य जैन साध्वी श्री रमणीक कुंवर जी महाराज साहब ने शास्त्री कॉलोनी स्थित श्री जैन दिवाकर स्वाध्याय भवन में आयोजित धर्मसभा में कहे । आपने शुक्रवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि जीवन में गुरु की कृपा पाना है तो विनय का गुण लाये। विनय तत्व को जीवन में लाना है तो गुरु के प्रति श्रद्धा भाव का होना जरूरी है । आपने कहा कि गुरु का महत्व अपने जीवन में समझो शास्त्रों का मत है कि देव वह गुरु यदि सामने खड़े हो तो सर्वप्रथम गुरु को ही प्रणाम करना चाहिए। लंका पति रावण के पास सब कुछ था लेकिन उसके पास गुरु नहीं था इसी कारण उसने सीता हरण जैसा पाप किया। राम के पास वन गमन में साधन नहीं थे लेकिन उन पर गुरु कृपा थी इसी कारण राम लंका विजय में सफल रहे । आपने कहा कि गुरु की कृपा के बिना आत्मा का उद्धार संभव नहीं है।
चौथमल जी म.सा. के जीवन से प्रेरणा लेने – साध्वी श्री रमणीक कुंवर जी म.सा. ने कहा कि श्री जैन दिवाकर चौथमल जी महाराज साहब का संपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादाई है वह जन-जन की आस्था के केंद्र रहे। उन्होंने कई अजैनी को भगवान महावीर का संदेश देकर जैन बना दिया । परम पूज्य श्री सौभाग्यमल जी महाराज साहब, प्रताप मुनि जी महाराज व रमेश मुनि जी महाराज साहब का जीवन भी हम सभी के लिए प्रेरणादाई है।
धर्म सभा में साध्वी श्री चंदनाश्रीजी महाराज साहब ने भी अपने विचार रखें । धर्म सभा में बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे। संचालन पवन पोरवाल ने किया ।