प्रदेश
2024-25 अफीम नीति घोषित, अफीम नीति में कई पट्टे हुए बहाल
महावीर अग्रवाल
मंदसौर २९ अक्टूबर ;अभी तक ; केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 अफीम नीति घोषित कर दी। इस अफीम नीति से कई अफीम किसानों के पट्टे बहाल हुए है। केन्द्र सरकार द्वारा सांसद सुधीर गुप्ता के सुझावों और किसानों के फिर एक बार किसान हितेषी अफीम पॉलिसी को जारी किया है। उक्त बात सांसद गुप्ता ने कही।
सांसद गुप्ता ने बताया कि नई अफीम पॉलीसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाईसेंसधारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस मिलेगा। ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की, जिन्होंने तोल केन्द्र पर पोस्त भूसा प्रस्तुत किया तथा जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस मिलेगा।
सांसद गुप्ता ने बताया कि नई अफीम पॉलीसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाईसेंसधारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस मिलेगा। ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की, जिन्होंने तोल केन्द्र पर पोस्त भूसा प्रस्तुत किया तथा जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस मिलेगा।
ऐसे किसान जिनके लाइसेंस अपील के निपटान हो गया है वो भी किसान को फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या जिन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की। वे किसान भी पात्र होंगे।
उन्होने बताया कि अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाईसेंस के तहत पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखण्ड में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते हैं। सांसद गुप्ता ने बताया कि किसान जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वे किसान जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वर्ष 1995-96 मृतक होने की स्थिति में उनके वैध उत्तराधिकारी भी लायसेंस प्राप्त कर सकेंगे।
इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के लिए भी नोटीफिकेशन जारी हुआ है। सीपीएस पद्धति जिसमें लेंसिंग के माध्यम से रस नहीं निकाला जाता, में वे किसान पात्र होंगे। जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो वे किसान भी पात्र होंगे। इसी के साथ ही सीपीएस पद्धति के अंतर्गत जिन किसानों ने 675 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम दी उनके लायसेंस भी केवल 1 वर्ष के लिए ही रोके गए है उन्है पुनः सीपीएस पद्धति से खेती करने का मौका मिलेगा। ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे।
सीपीएस पद्धति में भी सभी पात्र किसानों को केवल एक प्लॉट में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि काश्तकार चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की भूमि को पट्टे पर ले सकता है। जो काश्तकार इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024–25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे। वही मौजूदा लाइसेंस धारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी जानकारी पहले से ही नारकोटिक्स विभाग के पास है। पिछले वर्ष के किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। इस ऐतिहासिक नीति पर सांसद सुधीर गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का आभार प्रकट किया।