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*पश्चिम रेलवे द्वारा ‘कवच’ के क्रियान्वयन में उल्लेखनीय प्रगति* 

महावीर अग्रवाल
मन्दसौर १५ नवंबर ;अभी तक ;   पश्चिम रेलवे स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) तकनीक ‘कवच’ की स्थापना में लगातार आगे बढ़ रहा है, जो ट्रेन सुरक्षा और परिचालन दक्षता को काफी हद तक बढ़ाती है। अनुसंधान अभिकल्‍प एवं मानक संगठन (RDSO) द्वारा विकसित, कवच को ट्रेन टकरावों को रोकने, खतरे में सिगनल पासिंग (SPAD) से बचने में लोको पायलटों की सहायता करने और निरंतर गति पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली CENELEC के EN50126, 50128, 50129 और 50159 (SIL-4) सहित अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करती है तथा 200 किमी प्रति घंटे तक की गति को समायोजित करने के लिए बनाई गई है।
                                            पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कवच कई महत्वपूर्ण सुरक्षा सुविधाएँ प्रदान करती है। यह सुनिश्चित करती है कि ट्रेनें अनुमेय गति सीमा के भीतर चले और गति की रियल टाइम निगरानी प्रदान करती है, जिससे लोको पायलटों को नियंत्रण बनाए रखने में मदद मिलती है। यह प्रणाली लोको पायलट के कैब के भीतर सीधे सिगनल पहलुओं और निरंतर गति पर नियंत्रण को प्रदर्शित करके दुर्घटनाओं को रोकने में भी सहायता करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह ट्रेन की संभावित दुर्घटनाओं को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, जिससे नेटवर्क पर समग्र सुरक्षा में सुधार होता है।
                                        श्री विनीत ने बताया कि पश्चिम रेलवे पर, वर्तमान में वडोदरा-अहमदाबाद खंड सहित मुंबई सेंट्रल-नागदा खंड पर 90 लोको के साथ 789 किलोमीटर पर कवच का काम चल रहा है। अब तक, पश्चिम रेलवे ने महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है, कुल 789 किलोमीटर में से 503 किलोमीटर तक लोको परीक्षण सफलतापूर्वक किए गए हैं और 90 में से 73 लोकोमोटिव पहले ही कवच प्रणाली से लैस हो चुके हैं। इस खंड को चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य है।
                                       श्री विनीत ने आगे बताया कि वडोदरा-अहमदाबाद सेक्शन ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन, जो 96 किलोमीटर तक फैला है, पर कवच सिस्टम के वर्जन 4.0 का उपयोग करके लोको ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है, और किसी भी शेष समस्‍याओं को हल करने के लिए आगे के परीक्षण चल रहे हैं। इसी तरह, विरार-सूरत-वडोदरा सेक्शन (ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन) 336 किलोमीटर में, 234 किलोमीटर पर परीक्षण पूरा हो चुका है, और शेष हिस्से पर काम प्रगति पर है। वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन (गैर ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन) 303 किलोमीटर में, 173 किलोमीटर पर लोको ट्रायल पूरा हो चुका है। अंत में, मुंबई सेंट्रल-विरार उपनगरीय सेक्शन (ऑटोमेटिक सिगनलिंग सेक्शन), जो 54 किलोमीटर तक फैला है, पर टावर का निर्माण और ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाने का काम वर्तमान में प्रगति पर है। इसके अलावा, अहमदाबाद, राजकोट और रतलाम मंडल में कुल 1569 किमी के ट्रैक साइड कवच कार्य के लिए बिड आमंत्रित की गई हैं, जिनमें से 836 किमी के लिए बीड खोली गई हैं।
                                           श्री विनीत ने आगे बताया कि पहली बार आरएफआईडी, सिगनल, लेवल क्रॉसिंग गेट आदि के स्थानों की सटीक पहचान करने के लिए LiDAR (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सर्वेक्षण किया गया है। OFC बिछाने में तेजी लाने के लिए, पश्चिम रेलवे ने हॉरिजेंटल डायरेक्‍शनल ड्रिलिंग (HDD) की विधि अपनाई है, जो सतह से 3 मीटर नीचे केबल बिछाने में मददगार है। यह विधि पारंपरिक मैनुअल ट्रेंचिंग की तुलना में तेज़ और सुरक्षित दोनों है और आवश्यक समय और श्रम को काफी कम करती है। इसके अलावा, सुरक्षा बढ़ाने और अतिरिक्त रिले रूम खोलने से बचने के लिए, पश्चिम रेलवे अनुसूचित रोलिंग ब्लॉक का उपयोग कर रहा है और जंपर्स का शेड्यूल पहले से बना लिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि इनडोर रिले रूम में वायरिंग में कम से कम समय लगे।
                                                पश्चिम रेलवे कवच प्रणाली के सफल कार्यान्वयन के माध्यम से यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने और परिचालन दक्षता में सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। पहले से ही हासिल की गई महत्वपूर्ण प्रगति के साथ पश्चिम रेलवे निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने स्थापना और परीक्षण लक्ष्यों तय को पूरा करने के लिए सही रास्ते पर है, जो रेलवे सुरक्षा नवाचार में एक बड़ा कदम है।

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