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लीकेज पर लीकेज  लीकेज ही लीकेज  हर तरफ लीकेज

महावीर अग्रवाल
मन्दसौर  १६ नवंबर ;अभी तक ;   कोटड़ा बुजुर्ग।लगभग 1600 करोड़ से अधिक लागत से किसानों को चंबल का पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध कराने के लिए सूक्ष्म जल आवर्धन योजना प्रारंभ की गई है, गत वर्ष 10  नवंबर को प्रारंभ भी कर दी पर योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई । किसान लगातार हैरान परेशान हो रहे हैं, आधिकारिक फोन नहीं उठाते और नहीं जवाबदार सही से जबाव दे पा रहे।
अथ लीकेज कथा,,,
                          जब से इस योजना का शुभारंभ हुआ  तब से सिर्फ लीकेज ही लीकेज चारों तरफ हो रहे हैं, लीकेज होने के कारण यह योजना किसानों के लिए घाटे का सौदा सिद्ध हो रही है । इससे अच्छा होता अगर मात्र 100 करोड़ ही लगाकर  जितने भी गांव में नदी नाले हैं उन पर स्टॉप डैम बना दिए जाते हैं तो किसान 100 करोड़ की बजाय 200 करोड़ रुपए का राजस्व प्रतिवर्ष सरकार को दे सकते थे  पर पूंजीपतियों की जेब में पैसा डालने और अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के जब गर्म करने के चक्कर में किसानों को लॉलीपॉप थमा दिया।
365 दिन बीत जाने के बाद एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ जिस दिन इसमें लीकेज नहीं हुआ प्रतिदिन कहीं ना कहीं से लीकेज की खबर आ जाती है इस वर्ष फिर 5 नवंबर से अभी तक लगातार 10 घंटे भी एक दिन नहीं चली कल भी मात्र 40 मिनट चली वह भी इतना लो प्रेशर था कि किसान एक क्यारी भी नहीं पिला सके और जिन किसानों के खेत थोड़े  ऊंचाई पर है वह तो पहुंचा ही नहीं।
                                     झाड़ियां से झांक रहा भ्रष्टाचार,,, कहीं-कहीं तो सिंचाई  की पाइपलाइन जो 600 एमएम की बाहर झांकने लगी है एक बरसात में ही वह बाहर आ गई थी और उसपर जब मीडिया में समाचार प्रकाशित हुई तो गिट्टी सीमेंट का लेप कर उस पर झाड़ियां काट कर डाल दी ताकि भ्रष्टाचार छुप जाए पर लाख कोशिश के बावजूद भ्रष्टाचार छुप नहीं रहा सरेआम भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है।
क्या कहता है अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का बहुत मौन,,,
                                 अधिकारी और जनप्रतिनिधि सब मौन है 10 नवंबर 2024 को जब लाइन सिंचाई लाइन डाली थी तो अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों साथ ऑफशोर कंपनी के अधिकारियों के साथ मिलकर खूब ठुमके लगाए पर अब जब चारों तरफ लीकेज दिखाई दे रहे हैं तो ना तो अधिकारियों की और ना ही जनप्रतिनिधियों की आवाज सुनाई दे रही है।
इनका कहना है
गत वर्ष भी मैंने मसूर बो दी थी पर एक पानी  ही पिला पाया एक दाना पैदा नहीं हुआ
शालिग्राम किसान
5 तारीख से अभी तक 12 दिन में सिर्फ आठ क्यारियां ही पानी पिला सका,रोज सुबह से शाम तक खेत की मेड़ पर बैठकर लाइन चलने का इंतजार करता हूं मजदूरी करने में नहीं जा पा रहा।
दुर्गा शंकर भील किसान ,कोटड़ा बुजुर्ग

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