ज्ञानवापी मस्जिद का खंडवा के शिव मंदिर से कनेक्शन
मयंक शर्मा
खंडवा २५ जुलाई ;अभी तक; ज्ञानवापी मस्जिद पर आए कोर्ट के फैसले के बाद खंडवा के एक प्राचीन शिव मंदिर को लेकर स्मरण हो रहा है कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट देख, कोर्ट ने माना कि यहां प्राचीन मंदिर था। जिसे महादेगढ के नाम से मौजूदा समय मं पहचान है।
हिन्दू नेता अशोक पालीवाल ने बताया कि फैसना में जिला प्रशासन का लिखा मान्य किया गया था कि यह भूमि, नगर को जल प्रदाय करने वाली कंपनी द्वारा निर्मित बाउंड्री वॉल के भीतर पश्चिम दिशा में स्थित है। इस बाउंड्री वॉल के भीतर एक शिवलिंग एवं नंदी हैं,। जहां हिन्दू धर्मावलम्बियों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। शिवलिंग अस्थाई रूप से टीन व बल्ली से ढ़का हुआ है। इस बाउन्ड्रीवॉल में किसी प्रकार का स्थाई अतिक्रमण नहीं है।
प्रशासन के इस तथ्य और न्यायालय के फैसले के बाद तब जाकर विवाद का अंत हुआ। पुरातत्च विभाग पे सर्वे के आधार पर एक शिव मन्दिर का सर्वे कर कार्बन डेटिंग के आधार पर इसे बारहवीं सदी का बताया था।
खंडवा में विवादित शिव मंदिर स्थल का फैसला हुआ था। इस मामले की जानकारी लेने ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू धर्म के पक्षकार वकील खंडवा भी आया था।
उन्होंने बताया कि खंडवा का बाहरवीं सदी में बना यह मंदिर समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुका था। खुले आसमान के नीचे चट्टान में उत्कीर्ण शिवलिंग के नजदीक कुछ लोगो ने भैंसों का तबेला बना रखा था। जब इस शिवलिंग के रखरखाव की बात सामने आई तो क्षेंत्रीय नेता मोहम्मद लियाकत पवार द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगा दी गई। याचिकाकर्ता मो. लियाकत पवार द्वारा बताया गया कि मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है। मामला कोर्ट में पहुंचा, तो जिला प्रशासन से जवाब मांगा गया। जिला प्रशासन ने इसके प्राचीन होने का सर्वे पुरातत्व विभाग से करवाया। कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व इंदौर के तकनीकी सहायक डॉ जीपी पांडेय ने जांच के बाद 13 फरवरी वर्ष 2015 को कलेक्टर कार्यालय को जो रिपोर्ट सौंपी, उसके अनुसार नगर के इतवारा बाजार में स्थित कुंडलेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग 12वीं सदी के होने जिक्र किया।
पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की प्राचीन मंदिर का धार्मिक के अलावा पुरातत्व की दृष्टि से बहुत महत्व है। 12वीं 13वीं सदी में निर्मित प्राचीन अवशेष में मंदिर के गर्भ गृह में बलुआ प्रस्तर जलाधारी सहित शिवलिंग है। प्राचीन मंदिर का एकमात्र खंबा आज भी अवशेष के रूप में है, जबकि शिवलिंग के कुछ हिस्से खराब हो चुके हैं। यह मंदिर शिवलिंग के पास प्राचीन चट्टानों को काटकर जलाधारी बनी हुई है। शिवलिंग के पास प्राचीन खंडित नंदी की प्रतिमा है। नंदी के गर्दन पर मणि माला पीठ पर और नितंबों पर घंटी के माला का अलंकरण है, जो परमार काल के समय से मेल खाता है।
ज्ञातव्य है कि ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातत्व सर्वे के लिए कोर्ट ने परमिशन दे दी है। कोर्ट ने वजु स्थल छोड़कर बाकी पूरे कैम्पस की जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। वाराणसी कोर्ट ने वजु स्थल को छोड़कर बाकी पूरे कैंपस का बिना नुकसान पहुंचाए साइंटिफिक सर्वे किए जाने को कहा है।