मयंक शर्मा
खंडवा १८ सितम्बर ;अभी तक; नर्मदा नदी में आई बाढ़ से इंदौर-खंडवा हाईवे पर स्थित मोरटक्का ब्रिज को काफी नुकसान पहुंचा है। शनिवार को पुल के ऊपर तक पानी बहा। 900 मीटर लंबे ब्रिज पर बाढ़ का पानी 10 फीट ऊपर तक बहता रहा। शनिवार को दिन और रात में यही स्थिति बनी रही। रविवार सुबह पानी के उतरने के बाद ब्रिज जर्जर हालत में दिखाई दिया।रेलिंग भी बह गई। तीन दिन से इंदौर-खंडवा रोड बंद है। एनएचएआई इंदौर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांजल ने कहा कि इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ब्रिज के हालात की जांच करेगी। मरम्मत के बाद वाहनों का आवागमन शुरू करे्रगा।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने भी ट्वीट कर बाढ़ के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।ओंकारेश्वर नगर पंचायत के पूर्व पार्षद मनीष पुरोहित ने कहाकि यह कृत्रिम बाढ़ थी। रात में लोग बेफिक्र होकर सोए हुए थे। सुबह उठते ही यहां के मुख्य घाटों को जलमग्न देखा। अंदाजा नहीं था कि घाट से 30 से 40 फीट ऊपर मुख्य मंदिर मार्ग तक नर्मदा का जलस्तर पहुंच जाएगा।श् ओंकारेश्वर के राजा राव पुष्पेंद्रसिंह ने कहा, ये बाढ़ नहीं लोगों का उजाड़ने की साजिश थी।
ओंकारेश्वर मे रहने वाले नाश्ता दुकान संचालक दिनेश वर्मा का दो मंजिला घर है। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह 9 बजे हमें घर खाली करने की सूचना दी। तब तक पानी हमारे घर के अंदर आ चुका था।
हम अपना सामान भी सुरक्षित नहीं रख पाए। जान बचाने के लिए रिश्तेदार के घर रुके। रविवार सुबह तक एक मंजिल पूरी तरह डूब गई। गृहस्थी का सामान राशन बह गया। इसी घाट पर लोधा लोवंशी अन्न क्षेत्र परमार्थ ट्रस्ट की खिड़की-दरवाजे, राशन, रजाई गद्दे बह गए। ट्रस्ट के रमेश चंद्र लोधा ने बताया कि यहां संन्यासियों को भोजन करवाया जाता है।
उधर यह जानकारी मिली है कि आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट उंची आकार ले गयी प्रतिमा तक जाने के लिए नर्मदा नदी पर कोई ओवरब्रिज नहीं है। नमदा के इस पार से उस पार जाने के लिए नर्मदा नदी पर एक रपटा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि बारिश के दौरान गुरूवार को ओंकारेश्वर डैम अपनी भराव क्षमता (196 मीटर) के करीब था। प्रशासन ने गेट इसलिए नहीं खुलवाए, क्योंकि पानी में रपटा डूब जाता और मुख्य मंत्री का काफिला रपटे से नहीं निकल पाता।
ओंकारेश्वर में देश के 12 ज्योर्तिलिंग में से एक है। शनिवार को यहां नर्मदा का पानी सीढ़ियों तक आ गया था। ओंकारेश्वर बांध के पास ही ब्रह्मपुरी घाट है। मातृ रक्षा संगठन के रंजीत भंवरिया ने कहा कि आदि शंकराचार्य मूर्ति अनावरण कार्यक्रम के चलते ओंकारेश्वर बांध प्रबंधन ने लगातार हो रही बारिश के बावजूद बांध के गेट नहीं खोले। पानी को रोक कर रखा। ऐसा शासन के निर्देश पर किया गया। सीएम काफिला यहां से रवाना होते ही देर रात 1 बजे से गेट खोलकर पानी छोड़ा गया।
खंडवा में ओंकारेश्वर बांध के गेट खोलने के कथित बिलब के पीछ सनसनीख्ेज जानकारी है।लोगों का आरोप है कि बांध के गेट खोलने की सूचना समय पर नहीं दी गई। शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का निरीक्षण किया था।सीएम के सत्कार के कारण प्रशासन ने जानबूझकर बांध का पानी रोका। उनके जाते ही रात में पानी छोड़ दिया। इससे नर्मदा में आई बाढ़ में दुकानें, घर और आश्रम बह गए। ओंकारेश्वर में नर्मदा घाट से करीब 50 मीटर दूर तक का इलाका डूब गया। 127 लोगों को रेस्क्यू करना पड़ा। नर्मदा का पानी अब उतर चुका है और हर तरफ तबाही का मंजर है।
कांग्रेस नेता उत्तमपाल सिंह पुरनी ने कहा कि इस आपदा के की दोषी मप्र सरकार, कलेक्टर और बंाध प्रशासन है। उन्होने कहा कि सीएम के दौरे ने तीर्थनगरी में तबाही ला दी।मुख्यमंत्री के दौरे को देखते हुए प्रशासन ने ओंकारेश्वर बांध का पानी रुकवा दिया था। उनके जाते ही आधी रात को अचानक पानी छोड़कर तबाही मचा दी गई। मैं खुद मौके पर गया तो रेस्क्यू किए गए लोगों को दोपहर 2 बजे तक भोजन तक नहीं मिला था। इस आपदा की दोषी सरकार, कलेक्टर और बंाध प्रशासन है।
यह भी कहा जा रहा है कि रात में बगैर कोई सूचना के अचानक छोड़े गए पानी की वजह से कई परिवार बेघर हो गए। दुकानदारों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा। सर्वे में 150 से ज्यादा दुकानें, करीब 100 मकान और 50 धर्मशाला, होटल और रेस्ट हाउस में नुकसान की जानकारी मिली है।
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लोगों के आरोपों को लेकर इन्होने कहा कि गलत भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसी बारिश का अनुमान पूर्व से नहीं था। पूरे प्रदेश में एक साथ एक दिन में पहली बार इतनी बरसात हुई। नर्मदा ही नहीं, बल्कि सारी नदियां उफान पर थीं। इन सबके बावजूद इस तरह आधारहीन और तथ्यहीन बातें करना गलत है।
बांध से पानी रिलीज करने का प्रोटोकॉल होता है। बांध से वाटर रिलीज करने का मैनेजमेंट होता है। तमाम प्रोटोकॉल का पालन होता है। ऐसे गंभीर मामले में भला किसी विशेष की विजिट के चलते पानी कैसे रोक सकते हैं। हमने रात में ही डैम के आधे गेट खोलकर 25 हजार क्यूमेक्स पानी छोड़ने का निर्णय लिया। फिर इंदिरा सागर बांध से पानी की आवक हुई तो ओंकारेश्वर बांध के सारे 23 गेट खोले गए। डैम का पानी मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि गुजरात तक जाता है।
अनूपसिंह
कलेक्टर खंडवा
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शुक्रवार रात डैम के गेट खोले गए थे। तब 12 हजार क्यूमेक्स पानी छोड़ने से शुरुआत की थी। शनिवार सुबह तक सभी 23 गेट पूरी क्षमता के साथ खोल दिए थे। रविवार को भी गेट खुले रहे। सोमवार को दोपहर 12 बजे गेट बंद किए हैं। प्रशासन की ओर से आदेश है कि शाम 5 बजे तक गेट बंद रखना है, ताकि ओंकार पर्वत पर सामग्री ले जा रहे ट्रक आ-जा सकें। शाम 5 बजे फिर से गेट खोल दिए गये। अभी इंदिरा सागर बांध के गेट भी बंद हैं।
संजय कुमार
ओंकारेश्वर बांध परियोजना