सिद्धार्थ पांडेय
जबलपुर १९ सेप्टेम्बर ;अभी तक; एमबीबीएस कोर्स पूर्ण करने के 6 माह बावजूद भी सरकार द्वारा पदस्थापना या एनओसी दिये जाने के मांग करते हुए करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि सरकार ने अनुबंध किया था कि एमबीबीएस कोर्स पूर्ण करने के बाद उन्हें एक साल तक ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देनी होगी। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विषाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता डॉक्टर सिध्दार्थ कसाना, डॉ सोनाली अग्रवाल सहित अन्य पांच की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि उन्होने साल 2017 में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला लिया था। उनका कोर्स मार्च 2022 में पूर्ण हो गया था। इसके बाद उन्होने एक साल तक इंटरषीप का कार्यकाल पूर्ण किया। दाखिला लेते हुए सरकार ने एक अनुबंध किया था कि कोर्स पूर्ण होने के बाद वह प्रदेष के ग्रामीण क्षेत्रों के एक साल तक सेवाएं प्रदान करेंगे।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए अधिवक्ता आदित्य संघी ने युगलपीठ को बताया कि सभी याचिकाकर्ता दूसरे प्रदेष के निवासी है। कोर्स व इंटरषीप पूर्ण किये 6 माह से अधिक का समय हो गया है,परंतु सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में उन्हें पदस्थ नहीं किया गया है। सरकार उन्होने एनओसी भी प्रदान नहीं कर रही है। उनके प्रदेष में डॉक्टरों की सीट रिक्त है। कोर्स पूर्ण करने के बावजूद भी याचिकाकर्ता विगत 6 माह से सिर्फ समय काट रहे है। याचिका में प्रमुख सचिव तथा संचालक मेडिकल एजुकेषन तथा संचालक स्वास्थ सेवा को अनावेदक बनाया गया था। युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में निर्धारित की है।