महावीर अग्रवाल
मंदसौर १९ सितम्बर ;अभी तक; पूर्व विधायक एव कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डाक्टर सम्पत स्वरूप जाजू ने एक बयान में कहा कि जाजूसागर बांध में बांध के केचमेंट क्षेत्र में अल्पवर्षा के कारण पानी की अवाक नहीं हुई हैं साथ में जिस तरह से पेयजल व्यवस्था का कुप्रबंधन नगरपालिका द्वारा विगत कई वर्षों किया जा रहा है उसके खामियाँज़ स्वरूप नीमच शहर को आने वाले समय में पानी के लिये तरसना पड़ेगा डाक्टर जाजू ने कहा की नीमच की पेयजल समस्या कुप्रबंधन का जीता जागता उदाहरण हैं ! नीमच की पेयजल योजनाओं को भ्रष्टाचार निगल गया जिसका ख़ामियाज़ा शहर भुगत रहा हैं ।
डाक्टर जाजू ने कहा की नीमच शहर की पेयजल समस्या का निराकरण करने और शहर को नियमित सुचारू रूप से पेयजल उपलब्ध हो के लिये लिये विगत बीस वर्षों में अरबों रुपये स्वीकृत हुए उसके बाद भी पेयजल संकट ज्यो का त्यो । आम आदमी पानी के लिये तरस रहा हैं ?
डाक्टर जाजू ने पूछा की अरबों रुपया भ्रष्टाचार के भेट चढ़ा ? कौन ज़िम्मेदार ?
नीमच शहर की जल समस्या पर नीमच नगरपालिका को स्वेतपत्र जारी कर बताना चाहिये कि विगत बीस वर्षों में कब कब ( कौनसे साल के बजट में ) किसकिस मद में और केंद्र और राज्य सरकार की किस किस योजना के तहत धन आवंटित हुआ और उस योजना का धरातल पर क्या कितना क्रियान्वयन हुआ और उसके क्या परिणाम मिले हैं ! इसके अतिरिक्त नीमच नगरपालिका ने स्वयं के बजट में विगत बीस वर्षों में पेयजल के लिये कितनी धन राशि स्वीकृत की और उसके क्या परिणाम मिले ।
नीमच शहर की पेयजल समस्या का निराकरण करने और शहर को नियमित सुचारू रूप से पेयजल उपलब्ध हो के लिये लिये विगत बीस वर्षों में अरबों रुपये स्वीकृत हुए उसके बाद भी पेयजल संकट ज्यो का त्यो हैं ! ज़िम्मेदार बतायेंगे कि अरबों रुपये खर्ब करने के बाद भी शहर का आम आदमी पानी के लिये क्यों तरस रहा हैं ?
डाक्टर जाजू ने बीसवी सदी के नीमच की पेयजल व्यवस्था और इक्सवी सदी के नीमच की पेयजल व्यवस्था की तुलना करते हुए कहा की
बीसवी सदी ( सन् 1947 से 2000) और इक्कीसवी सदी ( सन् 2001 से 2023)तक नीमच शहर की पेयजल व्यवस्था का तुलनात्मक अध्यन करे तो बीसवी सदी के राजनीतिक नेतृत्व और इक्सवी सदी के राजनीतिक नेतृत्व की कार्यशैली , सोच और लीक से हटकर दृढ़इच्छा शक्ति से कार्यों को धरातल पर समयसीमा से पूर्व क्रियान्वयन करने का अंतर स्पष्ट नज़र आता हैं ! बीसवी सदी के राजनीतिक नेतृत्व में शहर की पेयजल समस्या को निपटाने के लिये दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ एक जज़्ज़बा था जिसको उन्होंने अपना कर्तव्य मान कर पूरा किया बीसवीं सदी में केंद्र और राज्य सरकारों की पेयजल की बहुत ही सीमित योजनाये थी और नीमच जैसा छोटा शहर पात्रता में भी दूर दूर तक नहीं आता था ।बीसवी सदी में पेयजल के लिये धनराशि का अभाव था ।
जबकि इक्कीसवी सदी (2000से20023) में बीसवी सदी के विपरीत पेयजल की योजनायें बहुत हैं और नीमच शहर पात्र भी हैं धन की कोई कमी नहीं हैं ।
लेकिन इक्सवी सदी के राजनीतिक नेतृत्व की तथाकथित नेतृत्वशैली और दूरदृष्टि का अभाव एवम् प्रशासन पर नियंत्रण नहीं होने का ख़ामियाज़ा नीमच शहर भुगत रहा हैं और आज नीमच शहर में आगामी समय में पानी का संकट होगा स्पष्ट दिख रहा है ।