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टैलेंट ऑफ मंदसौर ने दी पदमश्री पंकज उधास को श्रद्धांजलि

महावीर अग्रवाल 
मन्दसौर २८ फरवरी ;अभी तक;  टैलेंट ऑफ मंदसौर परिवार एवं जनभागीदारी समिति लता मंगेशकर संगीत महाविद्यालय मंदसौर अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिवेदी, गायक आशीष मराठा, नरेन्द्र भावसार, अजय डांगी, श्रीमती चंदा डांगी, तबला वादक गीत अखण्ड शर्मा, श्रीमती ललिता मेहता, दीपक मिश्रा, डॉ. अनुश्री लड्डा, समीर खान,  डॉ. के.एल. राठौर, अजय शर्मा, जैकी बादशाह, मनीष रिछावरा के  द्वारा गजल सम्राट पंकज उधास जी के चित्र पर माल्यार्पण किया। साथियों ने उनकी गायी गजले गाकर उन्हें श्रद्धांजलि प्रदान की।
                           इस अवसर पर हिमांशु वर्मा ने कहा कि उर्दू अदब की गायकी ‘गजल’ जाने माने गायकों के बस की बात रही है, उनकी गाई गजलों को गाना और निबाह लेना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन पंकजजी उधास ने मुश्किल गजलों को भी सरल अंदाज में गाया, यही कारण है कि उनकी गाई गजलों को आम आदमी ने भी गाकर उसका लुत्फ उठाया। ‘‘चिट्ठी आई है, चांदी जैसा रूप और जिये तो जिये कैसे बिन आपके’’ गजले आम आदमी की पसंद बनी हुई है।
                          इस अवसर पर हिमांशु वर्मा ने ‘‘मैं तेरे साथ हूं, जहाँ तू है, दिल की धरती का  आसमां तू है’’ सुनाई। नरेन्द्र सागोरे ने ‘‘चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल’’ गाकर पंकजजी को याद किया। स्वाति रिछावरा ने ‘‘थोड़ा आहिस्ता कीजिये बातें, धड़कने कौई सुन रहा होगा’’ सुनाकर गजल की गायकी का एहसास करायसा।
रानी राठौर और नंदकिशोर राठौर ने ‘‘जिये तो जिये कैसे, बिन आपके, लगता नहीं दिल कहीं, बिन आपके’’ सुनाकर गजल के विरह का एहसास कराया। राजकुमार अग्रवाल ने ‘‘हुई महगी बड़ी शराब, थोड़ी-थोड़ी पिया करो’’ सुनाकर पीने वालों को नसीहत दी। वाईस ऑफ गजल महेश त्रिवेदी ने ‘‘ए गमें जिंदगी, मुझको दे मशवरा’’ और ‘‘निकलों ना बेनकाब जमाना खराब है’’ गजले सुनाकर समां बाधा। लोकेन्द्र पाण्डे ने बहुत उम्दा स्वरों में ‘‘आप जिनके करीब होते है वो बडे खुशनसीब होते है’’  सुनाकर गजल प्रेमियों की दाद बटोरी।
अंत में सभी ने मिलकर ‘‘चिट्टी आई है आई है, चिट्ठी आई है’’ कालजयी गजल गाकर पंकज उधास को शब्दांजलि प्रदान की।

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