अजीविका मिशन योजना में व्याप्क फर्जीवाडा
दीपक शर्मा
पन्ना १३ अप्रैल ;अभी तक; कल्दा क्षेत्र मेंआजीविका मिशन के द्वारा आज से लगभग 7 वर्ष पूर्व सीएलएफ के माध्यम से महिलाओं एवं उनके परिवार के जीवोपार्जन के लिए 6-7 गाड़ियां पूरे क्षेत्र में चलाई गई थी। जिससे पहाड़ के लोगों के लिए आवागमन के साधन सुगम हो हो सके तथा लोगों को रोजगार भी मिल सके अब लोगों के द्वारा बताया जा रहा है कि, हमें जो गाड़ियां मिली थी वह सब गाड़ियां नए मॉडल की थी जिनके इंजन 1 साल या किसी गाड़ी के डेढ़ साल बाद खत्म हो गया। वह गाड़ियां सब गारंटी पीरियड में थी। जिले के अधिकारियों के द्वारा वह गाड़ियां एजेंसी पहुंचा दी गई और आज पांच वर्ष बाद भी उन गाड़ियों का कोई अता पता नहीं है।
इस संबंध मे कल्दा निवासी बलराज सिंह द्वारा बताया गया कि मेरी पत्नी के नाम से 7 वर्ष पूर्व अजीविका मिशन द्वारा मुझको गाड़ी दी गई थी। जिसको बाकायदे मैंने एक डेढ़ वर्ष उस गाड़ी को चलाया तथा समय-समय पर अपने परिवार के भरण-पोषण के बाद जो भी राशि बचत में आईं वह मैं निम्नानुसार ऑफिस के कर्मचारियों को देता था। डेढ़ वर्ष बाद जब गाड़ी का इंजन खत्म हो गया तो मेरे द्वारा आजीविका मिशन के अधिकारियों से फोन पर बात की गई तो उनके द्वारा मेरी गाड़ी को ले जाकर बनवाने के लिए एजेंसी में खड़ा करवा दिया। इसके बाद मैं अपनी गाड़ी के बारे में जिले के अधिकारियों से बार-बार पूछता हूं कि मेरी गाड़ी मुझे वापस करवाई जाए जिससे मैं अपने परिवार का भरण पोषण कर सकू तो अधिकारियों के द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा तथा मेरी गाड़ी का मुझे ही अता पता नहीं कि कहां है अब मैं शासन प्रशासन से मांग करता हूं कि मेरी गाड़ी मुझे वापस दिलाई जाए जिससे मैं अपने परिवार का भरण पोषण कर सकू। इस प्रकार अजीविका मिशन के माध्यम से और भी अनेक योजनाए आदिवासी बहुल्य क्षेत्रो में जिला पंचायत के माध्यम से संचालित की जा रही है। लेकिन अधिकांश योजनाये सिर्फ कागजो तक ही सीमित है। जैसे मशरूम, सेड बनाकर मशरूम लगाई गई थी उसमें करोडो रूपये खर्च किये लेकिन वर्तमान समय में उक्त योजना भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ गई।