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एक पक्ष यह भी…. जो कांग्रेस के संकट काल में कांग्रेस के नहीं हुए वे भाजपा के कैसे होंगे ?
रमेशचन्द्र चन्द्रे
मन्दसौर १० मार्च ;अभी तक; जब दानवीर कर्ण, अपने मित्र दुर्योधन की गलतियों के लिए श्री कृष्ण से क्षमा मांगने गए तब कृष्ण ने कर्ण के समक्ष एक रहस्य उद्घाटन किया की कुंती तुम्हारी मां है और कहा कि- तुम अधर्मी दुर्योधन का साथ छोड़कर पांडवों के साथ आ जाओ तो, उनके बड़े भाई होने के नाते वह पूरी तरह तुम्हारा सम्मान करेंगे। स्वयं भीम तुम्हें चरण पादुका पहनाएंगा, धर्मराज युधिष्ठिर चंवर ढुलायेंगे, स्वयं वीर अर्जुन, महल के बाहर तुम्हारी सुरक्षा में तैनात रहेंगे तथा तुम्हें परिवार में कैबिनेट का दर्जा मिलेगा।
उक्त बात सुनकर अंगराज करण ने कहा कि, हे कन्हैया! मैं जानता हूं कि दुर्योधन, अधर्म के रास्ते पर चल रहा है और कुरुक्षेत्र में मेरे सहित समस्त कौरव वंश का विनाश होने वाला है, किंतु इन सब का ज्ञान होते हुए भी, मैं दुर्योधन का साथ नहीं छोड़ सकता क्योंकि मैं जब उपेक्षित था तथा जिसने मुझे बचपन से ही सहारा देकर महत्वपूर्ण बनाया उसका साथ मैं कदापि नहीं छोड़ सकता।
महाभारत के उक्त प्रकरण को देखते हुए, यदि कांग्रेस के संकटकाल में कांग्रेस के बड़े-बड़े महारथी और जीवन भर जो कांग्रेस के मंच पर हर तरह के लाभ प्राप्त करते रहे, अब अपनी उम्र के चौथे चरण में जाकर कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं, उनकी क्या विश्वसनीयता है कि वह भाजपा का साथ भी लंबे समय तक निभाएंगे? इससे अच्छा तो यह होगा कि, कर्ण की तरह कौरवों के साथ अपने आप को जोड़े रखे तो कम से कम राजनीति के इतिहास में उनका नाम किसी कोने में दर्ज भी हो सकेगा?