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कन्याकुमारी का “विवेकानंद शिला स्मारक” हिंदुत्व का जागृत चेतना केंद्र है
*रमेशचन्द्र चन्द्रे*
मंदसौर २९ मार्च ;अभी तक; भारत के तमिलनाडु प्रांत कन्याकुमारी के पवित्र स्थल पर समुद्र के किनारे से 500 मीटर दूर समुद्र की लहरों पर तैरता हुआ दिखाई देता है *विवेकानंद शिला स्मारक* जहां पर 1892 में स्वामी विवेकानंद ने संपूर्ण विश्व में हिंदू संस्कृति को विस्तारित करने का स्वप्न देखा था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उस समय के तमिलनाडु प्रांत के प्रांत प्रचारक श्री दत्ता जी दिदोलकर_* के विचार एवं स्वामी चिद्भवानंद की प्रमुखता में एक समिति बनाई गई और उक्त शिला पर स्वामी विवेकानंद की भव्य प्रतिमा बनाने का निर्णय किया गया।
उक्त निर्णय की खबर वहां की ईसाई मिशनरियों एवं कैथोलिक चर्च को लगी तो वह हिंदुत्व के विकास को रोकने के लिए सक्रिय हो गई* और उन्होंने आनन-फानन में इस शिला का नाम *सेंट जेवियर रॉक* के नाम से रखकर एक चर्च के प्रतीक बड़े *क्रॉस* की प्रतिमा वहां स्थापित कर अपना अधिकार सिद्ध करने का प्रयास किया।
*ईसाई मिशनरियों ने वहां इस तरह का जहर घोल दिया कि ईसाई नाविक, हिंदुओं को शिला पर ले जाने से भी मना करने लगे* इससे क्रुद्ध होकर संघ के दो स्वयंसेवक लक्ष्मण एवं बालन समुद्र में तैर कर शिला पर पहुंचे और रहस्यमई ढंग से चर्च का प्रतीक क्रॉस गायब हो गया।
बहुत ही संघर्ष पूर्ण एवं तनाव की स्थिति में श्री मन्मथनाथ पदमनाभन् की अध्यक्षता में विवेकानंद शिला स्मारक समिति का गठन किया गया और 12 जनवरी 1963 को विवेकानंद के चित्र की प्रतीकात्मक स्थापना की गई और *इस कार्य को करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सर कार्यवाह श्री एकनाथ जी रानाडे को शिला स्मारक के निर्माण हेतु दायित्व दिया गया*।
श्री एकनाथ जी के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के अथक प्रयासों से समाज में ₹1 दो रुपया, ₹5 एकत्रित करने का अभियान चलाया गया। उस समय की लगभग सभी प्रदेश सरकारों ने एक एक लाख रुपए स्मारक समिति को भेंट दिए थे।
उस समय के तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम भक्तवत्सल ने पूर्ण सहयोग किया किंतु *केंद्रीय मंत्री हुमायूं कबीर ने पर्यावरण का हवाला देते हुए इस काम को रोकने का पूरा प्रयास किया* किंतु एकनाथ जी के प्रयास के कारण उस समय के विभिन्न पार्टी के 323 संसद सदस्यों ने अपनी स्वीकृति प्रदान की और इसके कारण उस समय के गृहमंत्री *पंडित लाल बहादुर शास्त्री ने* इस कार्य का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
2 सितंबर 1970 को राष्ट्रपति वीवी गिरी ने शिला स्मारक पर समारोह का उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम 2 माह तक चला जिसमें भारत की जानी मानी हस्तियों सहित *श्रीमती इंदिरा गांधी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए कहा कि- यह स्मारक विश्व में हिंदुस्तान की पहचान बनेगा*
आज भी शिला स्मारक समिति के तत्वावधान में विभिन्न जनकल्याणकारी कार्य संचालित किए जाते हैं तथा *विश्व भर के लोग लाखों की संख्या में इस शिला स्मारक पर आकर शांति तथा गर्व का अनुभव करते हैं*
यह शिला स्मारक “हिंदुत्व” का जागृत चेतना केंद्र है।