प्रदेश
कर्मों की होली जलाने के लिए स्व आत्मा में रमण करना होगा- मुनि श्री संयतसागरजी
महावीर अग्रवाल
मन्दसौर २६ मार्च ;अभी तक; श्री दिगंबर जैन महावीर जिनालय जनकुपुरा में मुनिसंघ के सानिध्य में चल रहे 10 दिवसीय श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान महोत्सव में बडी संख्या में श्रद्धालुगण जिनालय में पूजन विधान की सामूहिक क्रियाएं सम्पन्न कर रहे हैं।
डॉ चंदा भरत कोठारी ने बताया कि अजमेरा परिवार द्वारा आयोजित महोत्सव में सकल दिगंबर जैन समाज मंदसौर व अन्य अनेक शहरों से श्रद्धालुगण आकर पूजन में सम्मिलित हो रहे हैं। विधान पूजन के दौरान हुए मुनि संघ के प्रवचनों में मुनि श्री संयतसागर जी महाराज ने कहा कि सिद्ध भगवान बनने के लिए सिद्धचक्र मंडल विधान पूजन की जाती है। भगवान को इतनी भक्ति के साथ अर्घ्य समर्पित करें कि हमारा संसार ही छूट जाए। उत्कृष्ट साधना से ही सिद्धत्व की प्राप्ति होती है। राग द्वेष से निरंतर कर्मों का आश्रव होता है जो हमारे संसार चक्र परिभ्रमण का कारण है। आपने कहा कर्मों की होली जलाने के लिए स्व आत्मा में रमण करना होगा। इष्ट का वियोग व अनिष्ट का संयोग होने पर व्यक्ति विचलित हो जाता है,जबकि पूर्वाेपार्जित कर्मों के कारण ही सुख दुख की प्राप्ति होती है।
मुनि श्री साध्यसागर जी महाराज ने धर्मसभा में कहा निज स्वरूप की पहचान करने के लिए सिद्ध चक्र विधान निमित्त बनता है। समाज में अखंडता बनी रहे इसके लिए अपनी भावनाएं पवित्र रखें अपनी आत्मा से निकलने वाली ऊर्जा विश्व के समस्त प्राणियों के लिए कल्याणकारी हो ऐसे भाव बनाकर पूजन करें। डॉ. कोठारी ने बताया प्रातः काल 6.30बजे से महोत्सव की मांगलिक क्रियाएं, अभिषेक शांतिधारा देव शास्त्र गुरु पूजन, नंदीश्वर द्वीप पूजन व भगवान महावीर स्वामी की पूजन श्रद्धा पूर्वक की गई। उसके पश्चात साज संगीत के साथ श्रीमती अर्चना कोठारी व आनंद जैन शास्त्री ने मंडल विधान पूजन प्रारंभ करवाई जो दोपहर 2 बजे संपन्न हुई। इस दौरान अंतिम 424 अर्ध्य भेंट किए गए।जिनमें जल चंदन अक्षत नैवैद्य दीप धूप और फल शामिल थे।
मुनिश्री ने दान पूजा को श्रावक का परम कर्तव्य बताया। विधानाचार्य पंडित श्री अरविंद जैन ने पूजन समाप्ति पर दीर्घ शांति पाठ कराया तथा एक सौ आठ मंत्रों का जाप किया गया। सायं छः बजे जनकुपुरा निवास से दिव्य महाआरती की शोभायात्रा निकली। बेंडबाजांे के साथ निकली शोभायात्रा में श्री अशोक कुमार, संतोषबाई, अभयकुमार, सुनिता तथा रीद्धिमा अजमेरा आदि ने महाआरती लेकर नगर में भ्रमण किया।
शोभायात्रा धानमंडी, बड़ा चौक, गणपति चौक होते हुए जिनालय में पहुंची जहां सैकड़ो की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य करते हुए महावीर स्वामी की महाआरती में भाग लिया। धर्मसभा के दौरान डॉ. राजकुमार अजयकुमार बाकलीवाल ने मुनिश्री से तारबंगला मंदिर की ओर विहार करने का निवेदन किया। ललितपुर के मनोहर भाई ने मुनिसंघ के पाद प्रक्षालन किये। अजमेरा परिवार की महिलाओं ने संघ के हाथों में जिनवाणी भेंट की। मुनि श्री शीलसागर जी महाराज ने मंगलाचरण किया। श्री पवन कुमार अजमेरा एडवोकेट ने आभार व्यक्त किया।
मुनि श्री साध्यसागर जी महाराज ने धर्मसभा में कहा निज स्वरूप की पहचान करने के लिए सिद्ध चक्र विधान निमित्त बनता है। समाज में अखंडता बनी रहे इसके लिए अपनी भावनाएं पवित्र रखें अपनी आत्मा से निकलने वाली ऊर्जा विश्व के समस्त प्राणियों के लिए कल्याणकारी हो ऐसे भाव बनाकर पूजन करें। डॉ. कोठारी ने बताया प्रातः काल 6.30बजे से महोत्सव की मांगलिक क्रियाएं, अभिषेक शांतिधारा देव शास्त्र गुरु पूजन, नंदीश्वर द्वीप पूजन व भगवान महावीर स्वामी की पूजन श्रद्धा पूर्वक की गई। उसके पश्चात साज संगीत के साथ श्रीमती अर्चना कोठारी व आनंद जैन शास्त्री ने मंडल विधान पूजन प्रारंभ करवाई जो दोपहर 2 बजे संपन्न हुई। इस दौरान अंतिम 424 अर्ध्य भेंट किए गए।जिनमें जल चंदन अक्षत नैवैद्य दीप धूप और फल शामिल थे।
मुनिश्री ने दान पूजा को श्रावक का परम कर्तव्य बताया। विधानाचार्य पंडित श्री अरविंद जैन ने पूजन समाप्ति पर दीर्घ शांति पाठ कराया तथा एक सौ आठ मंत्रों का जाप किया गया। सायं छः बजे जनकुपुरा निवास से दिव्य महाआरती की शोभायात्रा निकली। बेंडबाजांे के साथ निकली शोभायात्रा में श्री अशोक कुमार, संतोषबाई, अभयकुमार, सुनिता तथा रीद्धिमा अजमेरा आदि ने महाआरती लेकर नगर में भ्रमण किया।
शोभायात्रा धानमंडी, बड़ा चौक, गणपति चौक होते हुए जिनालय में पहुंची जहां सैकड़ो की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य करते हुए महावीर स्वामी की महाआरती में भाग लिया। धर्मसभा के दौरान डॉ. राजकुमार अजयकुमार बाकलीवाल ने मुनिश्री से तारबंगला मंदिर की ओर विहार करने का निवेदन किया। ललितपुर के मनोहर भाई ने मुनिसंघ के पाद प्रक्षालन किये। अजमेरा परिवार की महिलाओं ने संघ के हाथों में जिनवाणी भेंट की। मुनि श्री शीलसागर जी महाराज ने मंगलाचरण किया। श्री पवन कुमार अजमेरा एडवोकेट ने आभार व्यक्त किया।