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कृषि भूमि के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रुपये लेकर अनुबंध करने वाले आरोपीगण को हुआ 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास
विधिक संवाददाता
इंदौर १५ मार्च ;अभी तक; जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री संजीव श्रीवास्तव, ने बताया कि दिनांक 14.03.2024 को माननीय न्यायालय – चतुर्थ अपर सत्र न्यायालय, श्रीमान जयदीप सिंह, इन्दौर (मध्य प्रदेश), ने थाना पलासिया, इंदौर, जिला इंदौर के, सत्र प्रकरण क्रमांक 30/2016 अपराध क्रमांक 498/2014 में निर्णय पारित करते हुए आरोपीगण 1. पंकजसिंह गोतम 2. देवेंद्र गोतम, 3. हंसराज कश्यम, निवासीगण इंदौर को धारा 467, 471 भा.दं.वि. में 10-10 वर्ष व धारा 420 भा.दं.वि. में 7-7 वर्ष, का सश्रम कारावास सभी को व कुल 9000/ रुपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। प्रकरण में जिला अभियोजन अधिकारी के निर्देशन में अभियोजन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक श्री हेमन्त राठौर द्वारा की गई।
अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि फरियादी द्वारा एक शिकायती आवेदन पत्र दिया गया था, जिसके अनुसार फरियादी की कंपनी अचल संपत्ति के कारोबार में संलग्न है। आरोपीगण पंकज सिंह, देवेन्द्र सिंह एवं हंसराज कश्यप तीनों ने कॉलोनी विकास करने हेतु फरियादी से संपर्क किया था तथा उनके द्वारा पटवारी हल्का नंबर 18 ग्राम सिरलाय तहसील बड़वाह, जिला खरगौन में खसरा क. 249/1, 249/7 रकबा कमशः 10.87 एवं 20.203 कुल रकबा 31.030 हेक्टेयर अर्थात 76.63 एकड़ भूमि है और आरोपीगण द्वारा जानकारी दी गई कि उक्त भूमि के भूमिस्वामी कस्तूरीबाई, गोविन्द, अशोक, कैलाश, ओमप्रकाश, विष्णु पिता मंगलसिंह होकर उनके नाम पर भूमिस्वामी नाते अंकित हैं, से उनके द्वारा क्रय की गई है। उक्त तीनों आरोपीगण के द्वारा उक्त भूमि के संबंध में 1973-74 से 2012 तक के बी-1 से पी-2 खसरे की नकल, असल ट्रेस नक्शा, ऋण पुस्तिका, नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय खंडवा के द्वारा उक्त भूमि के संबंध में आवासीय परियोजना हेतु आदि दस्तावेज दिये थे और आरोपीगण पर विश्वास करते हुये फरियादी द्वारा उक्त भूमि पर कॉलोनी का विकास करने हेतु एक विकास अनुबंध दिनांक 01.06.2012 को किया गया। उक्त अनुबंध अनुसार फरियादी द्वारा रिफन्डेवल डिपॉजिट राशि 3,68,00,000/- रूपये पेटे 31,00,000/- स्टेण्डर्ड चाटर्ड बैंक लि. के चेक नं. 098045 दिनांक 08.05. 2012 के द्वारा तथा नगद रुपये 69,00,000/- कुल रूपये 1 करोड़ दिये गये। उक्त अनुबंध पर रूपये प्राप्ति स्वरूप आरोपीगण के हस्ताक्षर किये गये। फरियादी द्वारा तीनों आरोपीगण से टीएनसीपी परमिशन इत्यादि कानूनी कार्यवाही हेतु उक्त भूमि के असल अथवा सत्यापित दस्तावेज की मांग की गई, जिसमें आरोपीगण द्वारा टालमटूल की गई और बाद में तीनों व्यक्तियों ने असल अथवा सत्यापित दस्तावेज प्रदान नहीं किये और कहा कि अनुबंध निरस्त कर लो और इसके उपरांत फरियादी द्वारा तीनों आरोपीगण से अनुबंध निरस्तीकरण लेख दिनांक 24.09.2012 लिखवाया और आरोपीगण द्वारा 31 लाख रूपये चैक क्रमांक 647706 स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का प्रदान किया, जिसका भुगतान हो चुका है तथा शेष राशि 75 लाख अदायगी हेतु आरोपी पंकज सिंह द्वारा आईडीबीआई बैंक नंदलालपुरा का चैक कं. 351851 दिनांक 21.11.2012 का प्रदान किया और उक्त चैक स्टेण्डर्ड चार्टर्ड बैंक में भुगतान हेतु प्रस्तुत करने पर दिनांक 22.12.2012 को डिसऑनर हो गया। फरियादी को शंका हुई कि उसके साथ धोखाधड़ी की जा रही है तो फरियादी को पटवारी के यहां से रिकॉर्ड की जानकारी लेने पर पता लगा कि सर्वे नं. 249/1 रकबा 0.385 हेक्टेयर विनोद पिता केसरीमल के नाम पर तथा सर्वे नं. 249/7 रकबा 0.06 हेक्टेयर भूमि कस्तूरीबाई व उनके वारिसान के नाम इत्यादि के नाम पर राजस्व अभिलेख में दर्ज है। उक्त दोनों सर्वे का कुल रकबा 0.450 हेक्टेयर है, जबकि फरियादी को उक्त दोनों सर्वे का कुल रकबा 31.03 हेक्टेयर के दस्तावेज प्रदान कर उसके साथ धोखाधड़ी करते हुये राशि 75 लाख हड़प ली गई है तथा फरियादी को जानकारी है कि आरोपीगण द्वारा शहर में अन्य लोगों के साथ भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर धोखाधड़ी की गई है। फरियादी के उक्त शिकायती आवेदन पत्र की जांच के आधार पर आरोपीगण के विरूद्ध थाना पलासिया, इंदौर पर अपराध क्रमांक 498/2014 अंतर्गत धारा 420, 467, 468 471 भादसं. का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया एवं विवेचना में पाया गया कि आरोपीगण द्वारा फर्जी दस्तावेज बनाकर अपराध किया गया है एवं संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिस पर से अभियुक्तगण को उक्त दण्ड से दण्डित किया।