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कोई भी राष्ट्र तब बड़ा बनता है जब वहां के नागरिक देश भक्त हों और देश के लिए कोई भी त्याग करने तैयार हो ; मोहन भागवत

मयंक शर्मा

खंडवा/बुरहानपुर १७ अप्रैल ;अभी तक;  कोई भी राष्ट्र तब बड़ा बनता है जब वहां के नागरिक देश भक्त हों और देश के लिए कोई भी त्याग करने तैयार हो। भारत भी आरएसएस (संघ )के माध्यम से इसी और आगे बढ़ रहा है।भारत देश को परम वैभव तभी मिलेगा जब हम अपनी क्षमता में लगातार वृद्धि करते रहेंगे। संगठित शक्ति का लोक कल्याण के लिए उपयोग होना चाहिए। देश के 130 करोड़ लोगों को राष्ट्र के लिए संगठित होना होगा।
मोहन भागवत ने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां का एक शोध सामने आया था जिसमें जापान के बड़े होने के पीछे 9 प्रमुख कारण बताए गए थे।इनमें लोगों के देशभक्त होने, अपने स्वार्थ का त्याग करने, साहस के लिए तैयार रहने और देश व समाज के हित का ध्यान रखकर अनुशासन में रहने के बिंदु प्रमुख थे।

वे  आज सोमवार को बुरहानपुर के सरस्वती नगर में आयोजित बौद्धिक सत्र में बोल रहे थे। दो दिवसीय मालवा निमाड अंचल के दोरे  में  बुरहानपुर नगर मे दूसरे  दिन आयोजित कार्यक्रम में   उन्होंने संघ के नए कार्यालय का लोकार्पण भी किया।  उन्होंने कहा कि संघ का कार्यालय ऐसा होना चाहिए जहां आने वाले व्यक्ति को संघ जैसा वातावरण नजर आए। उन्होने कहा कि लोग किसी स्वार्थ अथवा भय के कारण संघ से नहीं जुड़ते क्योंकि यहां किसी को कुछ नहीं मिलता। आत्मीयता ही एकमात्र वजह है जो लोगों को संघ से जोड़ती है।

मोहन भागवत ने कहा कि यह देश और संस्कृति जैसी भी है हमारी है। हिंदू संस्कृति की रक्षा हमारा दायित्व है। यदि कहीं कुछ गड़बड़ है तो उसे ठीक करना भी हमारा काम है।  इस कार्यालय का निर्माण डा. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा कराया गया है। समिति के अध्यक्ष महेंद्र शुक्ला मौजूद थे।कार्यक्रम में मालवा प्रांत के संघचालक प्रकाश शास्त्री, बुरहानपुर के संघचालक संजय चैधरी मौजूद थे।

गौरतलब है कि डॉ. भागवत दो दिवसीय प्रवास पर बुरहानपुर आए हैं। पहले दिन उन्होंने सुबह पपू गोविंदनाथ महाराज की समाधि का लोकार्पण किया। रविवार दोपहर में धर्म संस्कृति सम्मेलन में संबोधन दिया। वह गुरूद्वारा में दर्शन के लिए भी गये।

0 90 साल पहले 1933 का पत्र।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संस्थापक डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार 9 दशक पहले बुरहानपुर आए थे। आगमन से पहले उन्होंने बुरहानपुर में संघ से जुड़े कुछ लोगों को मराठी में पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि मैं बुरहानपुर आने वाला हूं और संघ की शाखा शुरू करना है।

मौजूदा सर संघ संचालक डाॅ मोहन भागवत 16-17 अप्रेल के दो दिवसीय दौरे  पर बुरहानपुर पहुंचे तोे कुछ देर पत्र ही पढ़ते रहे। यह पत्र आज तक संघ के पास सुरक्षित रखा था।

श्री भागवत रविवार को बुरहानपुर में  आरएसएस के सर संघचालक गोविंदनाथ महाराज के समाधि स्थल का लोकार्पण करने पहुंचे थे जहां संघ की पहले शाखा लगी थी। संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार द्वारा 1933 में लिखा गया यही पत्र फोटो फ्रेम कराकर जब रविवार को समाधि स्थल के प्रमुख पपू जितेंद्रनाथ महाराज ने श्री भागवत को सौंपा तो पत्र में  जिनके नाम भी पत्र में दिए गए हैं देखते रहे। डॉ. केशव बलीराम हेडगेवार ने पत्र में कहा था कि मैं 13 फरवरी 1933 को बुरहानपुर आ रहा हूं। वहां दो दिन रूकुंगा। इसी दिन शाम में गोविंदानाथ महाराज के समाधि स्थल पर संघ की पहली शाखा लगेगी। खास बात यह है कि यहां के लिए जमीन भुस्कुटे परिवार की ओर से दान में दी गई थी। समाधि के जितेंद्रनाथ जी महाराज ने यही पत्र ं फोटो फ्रेम में सौंपा है।
9 सितंबर 1933 में संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने यह पत्र नागपुर से लिखा था। इसके बाद वह बुरहानपुर आए थे और यहां संघ की पहले शाखा लगवाई थी। पत्र में बापू सोनार, बाडु चापोरकर, भुस्कुटे यांसी, अप्पा महाजन सहित करीब पांच छह लोगों के नाम भी लिखे थे।

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