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छोटी बात को लेकर हुए विवाद में सिर पर पत्थर मारकर हत्या करने वाले आरोपी को हुआ आजीवन कारावास
विधिक संवाददाता
इंदौर ७ मई ;अभी तक; जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि दिनांक 03.05.2023 को माननीय न्यायालय श्रीमान् गिर्राज प्रसाद गर्ग, सत्ताईसवें अपर सत्र न्यायाधीश महोदय, इन्दौर, जिला इंदौर ने थाना रावजी बाजार, इन्दौर, जिला इन्दौर के अपराध क्रमांक 253/2015 एवं न्यायालयीन सत्र प्रकरण क्रमांक 824/2015 में निर्णय पारित करते हुए आरोपी अंकित पिता विनोद कुमार गर्ग, उम्र 35 वर्ष, निवासी ग्राम शैगाँव जिला खरगोन को धारा 302 भारतीय दण्ड विधान में आजीवन कारावास व कुल 2000/- रुपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। प्रकरण में अभियोजन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक श्री जी.एस. सिसोदिया द्वारा की गई।
अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 26.06.15 को फरियादी शांतिबाई सुबह 07:30 बजे घर के बाहर बने शौचालय जा रही थी, तभी पड़ोस में रहने वाली कृष्णाबाई पत्नी विनोद गर्ग उसे पुरानी बात को लेकर अश्लील व क्षोभजनक गालियाँ देने लगी, जिस पर पास ही मौजूद फरियादी के पति सुरेन्द्र राठौर ने आपत्ति जताते हुये कृष्णाबाई को गालियाँ देने से मना किया तो कृष्णाबाई ने उसके बाल पकड़कर उसे जमीन पर गिरा दिया। उसके पति सुरेन्द्र बीच बचाव करने लगे तभी कृष्णाबाई का बेटा अंकित गर्ग आया और जमीन पर पड़े हुये पत्थर को उठाकर सुरेन्द्र को मार दिया, जिससे उसके पति को माथे पर चोट आई, जिससे वे बेहोश हो गये। उसके पति होश में नहीं थे, फिर भी अंकित व कृष्णा ने मदद करने की बजाये कहने लगे कि अभी तो सिर फोड़ा है, अब ज्यादा बहस करने की कोशिश तो जान से खत्म कर देंगे, जिसके बाद पड़ोसी अंकुर के साथ वह उसके पति को ईलाज के लिये एम.वाय अस्पताल ले आए, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। थाना रावजी बाजार में आरोपीगण के विरुद्ध अपराध क्रमांक 253/15 धारा 294,323,506,34 भा.दं.वि. के तहत अभियुक्त अंकित व कृष्णाबाई के विरूद्ध प्रकरण की प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई और प्रकरण विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन अंकित किए गये। दौराने ईलाज आहत सुरेन्द्र की मृत्यु हो जाने पर अभियुक्तगण के विरुद्ध धारा 302 भा.दं.वि. का इजाफा किया गया एवं आरोपीगण को गिरफ्तार किया गया एवं संपत्ति जप्त की गई। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियुक्तगण के विरुद्ध भा.द.वि. की धारा 323,294,506,307,302,34 के अंतर्गत अभियोग पत्र संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिस पर से अभियुक्त को उक्त दण्ड से दण्डित किया गया।