जातीय समीकरणों का इलाका दमोह लोकसभा क्षेत्र, अतीत के दोस्त आज के प्रतिद्वंदी
दमोह लोकसभा सीट जीतने के लिए 35 वर्ष से तरस रही कांग्रेस
1962 में अस्तित्व में आई दमोह संसदीय सीट , शुरुआत में में अनुसूचित जाति के आरक्षित की गई थी | देश में यह कांग्रेस का दौर था और यहां से कांग्रेस की सहोद्रा बाई राय सांसद चुनी गई थी | 1967 में यह सीट सामान्य हो गई , कांग्रेस के मणिभाई जे पटेल सांसद चुने गए | 1971 का लोकसभा चुनाव यहाँ दिलचस्प रहा | इस चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व राष्ट्रपति वी वी गिरी के पुत्र वराहगिरी शंकर गिरी को प्रत्याशी बनाया , वे एक दिन सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए आये और चुनाव जीत कर चले गए | स्थानीय लोग बताते हैं कि चुनाव प्रचार भी उन्होंने उड़न खटोले से किया था ,और ऊपर से पर्चे फेके थे | आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के नरेंद्र सिंह जू देव सांसद चुने गए | 1980 में कांग्रेस के प्रभुनारायण और 1984 में कांग्रेस के ही डालचंद जैन यहां से सांसद चुने गए | १९८४ कांग्रेस की जीत का अंतिम चुनाव था , इस चुनाव में कांग्रेस को 51. 41 फीसदी और बीजेपी के नरेंद्र सिंह को 40 . 06 फीसदी वोट मिले थे |
दमोह लोकसभा सीट को जीतने के लिए कांग्रेस ने बंडा के पूर्व विधायक तरबर सिंह लोधी को प्रत्याशी बनाया है || यहां बीजेपी ने भी दमोह के पूर्व विधायक राहुल भैया लोधी को प्रत्याशी बनाया है | दोनों ही माननीय २०१८ में कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे | सरकार बदली राहुल का दिल भी बदला और बीजेपी में आ गए , इसका उन्हें पुरस्कार भी मिला निगम के अध्यक्ष बन गए | उप चुनाव हुआ तो कांग्रेस के अजय टंडन से हार गए | बीजेपी ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया है , हालांकि इलाके में उनके प्रति लोगों की नारजगी कम नहीं हुई है पर ये चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा जा रहा है जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है |
आठ विधानसभा क्षेत्रो वाले दमोह लोकसभा क्षेत्र में सात विधान सभा क्षेत्रों में बीजेपी का कब्जा है तो मात्र छतरपुर जिले की बड़ामलहरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का कब्जा है | सागर जिले की देवरी , रहली, बंडा , दमोह जिले की पथरिया, दमोह, जबेरा,और हटा पर बीजेपी का कब्जा है | दमोह लोकसभा क्षेत्र को लोधी बाहुल्य सीट मानकर यहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही लोधी बिरादरी के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है | जातीय समीकरणो में उलझे राजनैतिक दल यहां के सियासी समीकरणों को समझने में एक बड़ी चूक कर गए हैं | कांग्रेस के सामने एक अच्छा अवसर था जिसका वह प्रत्याशी चयन में लाभ लेने से चूक गई |
कटनी जिले की जनपद सदस्य किन्नर अखाड़े की पीठाधीश्वर दुर्गा मौसी भी यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं | कटनी जिले मुड़वारा तहसील के कनवारा गांव से सरपंच चुनी गई थी सात साल सरपंच भी रही | इसके बाद दुर्गा मौसी मुड़वारा के क्षेत्र क्रमांक 11 चाका से जनपद सदस्य का चुनाव जीता था।
2019 में प्रयागराज में कुंभ के दौरान उन्हें किन्नर अखाड़े का पीठाधीश्वर बनाया था। इसके बाद हरिद्वार में महामंडलेश्वर की घोषणा की गई। किन्नर अखाड़े को जूना अखाड़े ने अपना समर्थन देकर शामिल किया था। इसमें बग्गी पर सवार होकर पेशवाई धूमधाम से निकाली गई थी। अमृत स्नान कराया गया था।
जीते सांसद
1962 सहोद्रा बाई राय कांग्रेस
1967 मणिभाई जे पटेल कांग्रेस
1971 वराहगिरी शंकर गिरी कांग्रेस
1977 नरेंद्र सिंह यादवेंद्र सिंह जनता पार्टी
1980 प्रभु नारायण रामधन कांग्रेस
1984 डाल चंद जैन कांग्रेस
1989 लोकेंद्र सिंह बीजेपी
1991 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
1996 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
1998 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
1999 रामकृष्ण कुसमरिया बीजेपी
2004 चंद्रभान सिंह लोधी बीजेपी
2009 शिवराज सिंह लोधी बीजेपी
2014 प्रहलाद सिंह पटेल बीजेपी
2019 प्रहलाद सिंह पटेल बीजेपी