नाबालिग अवस्था में हुए अपराध के कारण कर दिया नौकर से वंचित
सिद्धार्थ पांडेय
जबलपुर १३ अप्रैल ;अभी तक; नाबालिग अवस्था में हुए अपराध के कारण नौकरी से वंचित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने एडीजी चयन तथा एसपी पुलिस अधीक्षक को निर्देष जारी किये है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सिध्दांत के आधार पर चयन के संबंध 30 दिनों में निर्णय लें।
छिंदवाड़ा निवासी अमित वर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उसने पुलिस भर्ती 2020 के लिए आवेदन किया था। आवेदन फॉर्म में उसने नाबालिग अवस्था में किये गये अपराध का उल्लेख किया था। अपराध में उसे 800 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया था। चयन के बाद दस्तावेज वेरीफिकेषन के दौरान पुलिस अधीक्षक बालाघाट ने नाबालिग उम्र में किये गये अपराध के कारण उसे अयोग्य करार कर दिया।
याचिका में कहा गया था कि जूविनाइल जस्टिस केयर एवं प्रोटक्शन आफ चिल्ड्रन एक्ट 2015 की धारा 3 में स्पष्ट रूप से प्रावधान किया गया है कि 18 वर्ष की आयु के पूर्व किसी भी प्रकार के अपराध पर वयस्कता प्राप्त करने पर यह माना जाएगा कि, उसने पूर्व में कोई अपराध नहीं किया है । अवयस्कता की आयु में किए गए अपराध का उल्लेख नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी इस संबंध में मार्गदर्शी सिद्धांत प्रतिपादित किए गए हैं। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने उक्त आदेष जारी किये। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेष्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की।