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पीजी कॉलेज में हुआ विशेष व्याख्यान का आयोजन

महावीर अग्रवाल

मंदसौर एक जून ;अभी तक; आज दिनांक 1 जून 2024 को पीजी कॉलेज मंदसौर में बीए प्रथम वर्ष के व्यक्तित्व विकास विषय की मौखिक परीक्षा का आयोजन किया गया। इसी अवसर पर बाह्य परीक्षक के रूप में दलोदा कॉलेज के प्राचार्य डॉ डीसी गुप्ता सर  एवम् पिपलिया मंडी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर के श्रीवास्तव पधारे ।

व्याख्यान के प्रारंभ में विषय परिवर्तन करते हुए व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रम की संयोजक का डॉ वीणा सिंह ने कहा कि जब भी ऐसे ज्ञानी जनों के संपर्क में हम आते हैं, ज्ञान गंगा हमारी तरफ खुद चलकर आती है, हमें इसका लाभ लेना चाहिए और अपने ज्ञान में बढ़ोतरी करनी चाहिए।

मौखिक परीक्षा के बाद परीक्षक दव्य ने सभी विद्यार्थियों को व्यक्तित्व के विकास में किन बातों पर ध्यान देना चाहिए इस विषय पर समझाया। डॉ आर के श्रीवास्तव ने व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों को किस प्रकार से विस्तार प्रदान किया जाए, किस प्रकार ज्ञानिजनों एवम् गुणिजनों के संपर्क में आकर हमारा व्यक्तित्व और परिष्कृत होता है, इस बारे में विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया।
डॉ डी सी गुप्ता ने रामचरितमानस के कई श्लोक और उदाहरण देकर सर ने विद्यार्थियों को प्रेरित किया। व्यक्तित्व के विकास का लाभ हमें वहां मिलता है जहां हम कभी किसी समारोह या कार्यक्रम में जाते हैं तब हम देखते हैं कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका आभामंडल ऐसा होता है जिससे हर व्यक्ति प्रभावित होता है, भारत की संस्कृति में नमस्कार का बहुत महत्व है ,घर में जब छोटा बच्चा समझ लेना शुरू करता है तब किसी के घर आने पर हम उसे नमस्ते करना ही बताते हैं ,परंतु आजकल यह प्रथा विलुप्त होती जा रही है ।विद्यार्थी अपने प्राध्यापकों को भी नमस्कार नहीं करते।
विद्या ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् । पात्रत्वात् धनम् आप्नोति धनाद् धर्मं ततः सुखम् ॥
इस श्लोक से सर ने समझाया कि विद्या विनय देती है ।परंतु आजकल जो लोग ज्यादा पढ़ रहे हैं उनकी विनय खत्म होती जा रही है ।विनय का यह मतलब नहीं की किसी के आगे झुक जाए हम परंतु व्यावहारिक बात यह होती है कि किसी से मिलने पर हमें नमस्कार तो करना ही चाहिए। नमस्कार से बात की शुरुआत होती है। विद्या ऐसी होनी चाहिए जो विनय दे क्योंकि विनय से ही पात्रता आती है। पात्रता आने के बाद ही आपको काम मिलना शुरू होगा ,जिससे कि धान की प्राप्ति होगी और धन कमाने के बाद दान धर्म में मन लगाएंगे तब सुख की प्राप्ति होगी। यदि हम में योग्यता नहीं होगी तो हमारी कमाई भी नहीं होगी ,तब ऐसी स्थितियां कायम होगी जो किसी के लिए भी सही नहीं होगी ।विद्यार्थी जीवन सबसे अनमोल समय होता है इसका लाभ उठाना चाहिए ।यदि इस समय में लग्न के साथ मेहनत कर ले तो हम जो चाहे वह पा सकते हैं। विद्यार्थियों को दो चीजों पर मजबूत पकड़ होनी चाहिए पहला कंप्यूटर और दूसरा अंग्रेजी भाषा। यह दोनों चीज भविष्य में बहुत काम आएंगी।गूगल से हमें सारी जानकारी मिल जाती है और अंग्रेजी सीखे बगैर हम उन्नति नहीं कर सकते यह दोनों हमारे व्यक्तित्व में निखार लाते हैं।
लोचन मोरपंख कर लेखा॥ तेसिर कटु तुंबरि समतूला। जे न नमत हरि गुर पद मूला॥
इस श्लोक से सर ने यह समझाया कि अपने गुरु और प्रभु जिनके बीच पूरा संसार है को यथायोग्य प्रणाम करना सीखना चाहिए। आपस में भी जब मिले तब अभिवादन करना चाहिए। संगति अच्छी रखें क्योंकि संगति से भी कई बातें हम सीखते हैं। कोई व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता हर व्यक्ति में कोई कमी होती है संपूर्ण सिर्फ परमात्मा है। शिव भोले भी हैं और संघारक भी थोड़ा भक्ति भाव देखकर प्रसन्न हो जाते हैं और गलती देखकर संघार करने में भी संकोच नहीं करते। अपने आसपास के लोगों में यदि कोई  विशेषता है तो उसे आत्मसात करें ।
सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥
इस अंतिम श्लोक में सर ने यह बताया कि अच्छी संगति पा कर मूर्ख भी सुधर जाता है बिल्कुल वैसे ही जैसे जब लोहा पारस पत्थर से छु जाए तो लोहा भी सोना बन जाता है ।ऐसे लोगों की संगत करें जिसे हमारे व्यक्तित्व में सुधार आए ।अच्छी संगत होना बहुत आवश्यक है।
अंत में सर ने यह बताया कि यदि हमें हमारे व्यक्तित्व में निखार लाना है तो हमें हमारी संगति अच्छी रखनी चाहिए। अपने बड़ों एवं छोटों से प्रेम से और आदरपूर्वक बात करनी चाहिए और सभी के प्रति प्रेम और आदर भावना होनी चाहिए।
प्राचार्य डॉ एल एन शर्मा, व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रम की संयोजक डॉ वीणा सिंह, डॉ प्रीति श्रीवास्तव, डॉ गोरा मुवेल, प्रो सचिन शर्मा एवम् व्यक्तित्व विकास पाठ्यक्रम की पूरी टीम उपस्थित रहे।

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