बांधवगढ़ में हाथियों की मौत के बाद अब हाथी टास्क फ़ोर्स बनेगा
रवीन्द्र व्यास
वैसे तो आंकड़ों में मध्य प्रदेश में 150 हाथी होने की बात कही जाती है | पर पिछले कुछ वर्षो में मध्य प्रदेश के जंगलों में छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों से हाथियों के आने का सिलसिला लगातार जारी है | बांधवगढ़ नेशनल पार्क में सबसे ज्यादा लगभग ७० हाथियों का बसेरा है | और यहीं दस हाथियों की मौत हो जाना एक रहस्य मय पहेली से कम नहीं है | यह वही बांधवगढ़ नेशनल पार्क है जो कुछ समय पहले सर्वाधिक बाघों की मौत होने के कारण सुर्ख़ियों में आया था | भारत में एक साथ १० हाथियों की मौत का यह पहला मामला है | जाहिर तौर पर इसकी जांच के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने अपनी जांच पड़ताल शुरू कर दी है | असल में बांधवगढ़ इलाका मानव और वन्यजीव के संघर्ष के लिए भी जाना जाता है | अपने समूह के १० साथियों की मौत के बाद हाथियों के नाराज रूप को भी लोगों ने देखा | इनने तीन लोगों को कुचला जिनमे दो की मौत हो गई | वन्य जीव विशेषज्ञ और स्थानीय ग्रामीण मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं |
बांधवगढ़ नेशनल पार्क उमरिया जिले में 1536 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है | बाघों की बड़ी आबादी के कारण यह देश दुनिया के वन्यजीव प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र है | जानकार बताते हैं कि वर्ष 2018-19 में 40 जंगली हाथियों का एक दल ओडिशा और छत्तीसगढ़ के रास्ते यहां आ गया था | तब से हाथियों की संख्या बढ़ते बढ़ते ७० से ज्यादा हो गई है |
हाथियों की मौत का रहस्य
बांधवगढ़ में जब हाथियों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो शुरू में 4 की मौत होना और 6 हाथियों को गंभीर बताया गया था।अब कुल बीमार सभी 10 जंगली हाथियों की मौत हो चुकी है | बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन ने विषैले कोदों को हाथी की मौत का जिम्मेदार मानते हुए लगभग ७ एकड़ क्षेत्र में लगी कोदों की फसल पर ट्रेक्टर चलवाकर नष्ट कर दिया |
पार्क के जिस सलखनियां बीट में हाथियों की मौत हुई | प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट में का गया कि कोदों की फसल खाने से हाथियों की मौत हुई है | पार्क की इस रिपोर्ट पर सलखनिया गाँव के किसानो ने ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है | ग्रामीणों का कहना है कि कोदो की जिस फसल को हाथियों ने खाया है और यह घटना हुई। और इसी आधार पर हमारी कोदों की फसल नष्ट कर दी गई | अब हमारे मवेशी वही कोदों तीन दिनों से खा रहे हैं जिन्हें कुछ नहीं हुआ है । ग्रामीण मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं ।
हाथियों की मौत के मामले में प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत ने पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है.| वाइल्डलाइफ के प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीएन अम्बार्ड ने पत्रकारों को जो जानकारी दी वह भी सवालों के घेरे में है | उन्होंने कहा है कि पोस्टमार्टम के दौरान मृत हाथियों के पेट में मिले कोदो के दाने मौत का कारण हो सकते हैं. इससे पहले भी मध्य प्रदेश में दूषित मिलेट्स के कारण वन्यजीवों की मौत की घटनाएं हो चुकी हैं |
मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ संस्थानों से बातचीत की जा रही है | जिनमे स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब सागर, आईवीआरआई बरेली, डब्ल्यूआईआई देहरादून प्रमुख हैं | जिस कोदों को खाने से हाथियों की मौत होने बात कही जा रही है , उसके जहरीले होने की भी जांच की जा रही है.| बांधवगढ़ नेशनल पार्क प्रबंधन ने जिन किसानों की फसल नष्ट की है उनको इसका उचित मुआवजा देने की बात कह रहा है | फसल के अलावा प्रबंधन आस पास के जल श्रोतों की भी जांच करा रहा है |
नाराज हुए गजराज
02 नवंबर को अपने साथियों के यूँ ही चले जाने से नाराज गजराज ने तीन लोगों को कुचल दिया | जिनमे दो लोगों की दो लोगो की मौत हो गई । एक की मौत उमरिया जिले के चंदिया तहसील के बांका गांव के पास धमोकर बफर रेंज, में दूसरी की मौत उमरिया वन मंडल के चंदिया रेंज के जंगल में चंदिया तहसील के देवरा गांव में हुई।
03 नवंबर को खितौली रेंज के बगदरा बीट में नाराज गजराज की पहचान कर उसे रेस्क्यू कर लिया गया। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ और ए पी सीसीएफ वाइल्ड लाइफ के नेतृत्व में वन्यजीव पशु चिकित्सकों, रेस्क्यू दल, क्षेत्र संचालक , उप संचालक, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की टीम सहित कुल 40 कर्मियों ने हाथी को पकड़ लिया।
अब मध्य प्रदेश शासन के निर्देश पर एसआईटी और एस टी एस एफ की टीमें हाथी की मौत के मामले में सभी संभावित पहलुओं पर जांच कर रही।
हाथियों की मौत के बाद सीएम मोहन यादव के निर्णय
उमरिया के हमारे फील्ड डायरेक्टर निलंबित
मध्यप्रदेश में बनेगा हाथी टास्क फोर्स
हाथी मित्र दल का होगा गठन
वन्य जीव जन हानि में अब ८ लाख के स्थान पर मिलेंगे २५ लाख
पार्क एरिया से लगे किसानों को कृषि वानिकी से जोड़ा जाएगा
हाथियों पर रेडिओ ट्रेकिंग लगाई जायेगी
हाथियों की मौत के मामले में सीएम मोहन यादव _ ने कहा कि बांधवगढ़ में हाथियों की मौत उमरिया के अंदर पिछले दिनों जो हमारे फॉरेस्ट एरिया में 10 हाथियों की मृत्यु के समाचार आए थे वह दर्दनाक थे | मैंने अपने वन मंत्री दिलीप अहिरवार फॉरेस्ट अधिकारियों को भेजा । जो प्रारंभिक रिपोर्ट मिली है उसमें कीटनाशक या ऐसा कोई दूसरा पक्ष इन्वॉल्व है उसकी जानकारी तो नहीं आई है ।पोस्टमार्टम रिपोर्ट दो-तीन दिन में आना बाकी है ।
प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया है की फील्ड डायरेक्टर की निगरानी में हाथियों का दल आया था। यद्यपि यह बात भी सही है कि हाथियों का बड़े दल के रूप में आना दो-तीन साल में हमारे लिए एक नया प्रयोग भी है एक नया अनुभव भी है। बड़ी संख्या में हाथियों का आना और खास तौर पर सीधी ,उमरिया इन जिलों में उनकी मौजूदगी दिख रही है। ऐसी स्थिति में हमारे सभी फील्ड डायरेक्टर को सजग और सतर्क रहने की जरूरत है।
इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी उमरिया के हमारे फील्ड डायरेक्टर का छुट्टी से ना आना उनकी मौजूदगी में हाथियों का दल जब आया था तो उनकी चिंता की जाना थी जो नहीं की गई ऐसी स्थिति में भी फील्ड डायरेक्टर का छुट्टी से ना लौटना और फोन बंद करना उनकी लापरवाही मानी गई है | इस कारण फील्ड डायरेक्टर को सस्पेंड किया है और उनके सहायक को भी निलंबित किया गया है।
यह बात भी सही है कि हाथियों के लिए हमारे बांधवगढ़ और जितने भी रिजर्व फॉरेस्ट है वह बड़े आकर्षक हैं ।क्योंकि हमारे अंदर का प्रबंध है वह बड़े उत्तम प्रकार का है। इसलिए हाथियों के दल ने यहां से जाना बंद कर दिया है | पहले वह छत्तीसगढ़ और राज्यों से आकर वापस चले जाते थे। हम मान कर चल रहे हैं कि यहां बड़े पैमाने पर हाथियों ने डेरा डाला है ।जो मध्य प्रदेश की बाकी फॉरेस्ट गतिविधि का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से हमें इनका स्थाई प्रबंध करना होगा | शासन स्तर पर यह निर्णय कर रहा है की हाथी टास्क फोर्स बनाकर इनको बाकी अन्य वन्य प्राणियों के साथ कैसे क्या-क्या करना चाहिए और क्या के सावधानियां रखना चाहिए इसलिए हमने दीर्घकालिक योजना बनाने का निर्णय लिया है| जिसमें अन्य राज्यों के बेस्ट प्रैक्टिशनर को शामिल किया जाएगा | हाथियों के बड़े-बड़े राज्य हैं जैसे कर्नाटक केरल असम यहां हम अपने अधिकारियों को भेजेंगे | ताकि सह अस्तित्व की भावना के साथ हाथियों को साथ बफर एरिया कोर एरिया में बाकी का जनजीवन प्रभावित न हो और हाथियों की सुरक्षा में भी कोई खतरा न हो इसमें हमने गंभीरता से विचार किया है | एक बात देखने में यह भी आई है कि जो नजदीक के बफर एरिया के बाहर के मैदानी इलाके की जो फसलें हैं उसमें सोलर पैनल फेंसिंग कर कर उनकी फसलें सुरक्षित करें | ताकि वन्य जीव उनकी फसलें नष्ट न कर सके और मनुष्य के लिए भी सुरक्षा का काम करेगी | हमने वन विभाग से कहा है ऐसे इलाकों में कहां-कहां खेती हो रही है उनको कैसे बचा सकते हैं इसलिए हाथी मित्र के एक दल बनाने का भी निर्णय किया है | ताकि बफर क्षेत्र हाथी और मानव के सह अस्तित्व को स्थाई कर सकें | हमें एक दूसरे के साथ जीना सीखना पड़ेगा यह कटु सत्य है|
जनहानि इसमें अभी जो घटना घटी है उसमें अभी ₹8 लाख रु प्रति व्यक्ति देते थे उसको 25 लख रुपए प्रति व्यक्ति किया है | जो दो व्यक्ति के साथ दुर्घटना घटी है उनके अभिभावकों को हमने इस व्यवस्था से जोड़ा है| साथ ही कृषि वानिकी भी हमने बजाय परंपरागत खेती करने का किसानों को प्रोत्साहित करेगी हम इसमें इंसेंटिव देंगे ताकि वह इस क्षेत्र में फॉरेस्ट की व्यवस्थाओं से जुड़े और उन्हें इसका लाभ मिले |
एक और बड़ी बात है की जो अकेले हाथी घूमते हैं दल से अलग हो जाते हैं इनको रेडियो ट्रैकिंग का भी हमने निर्णय किया है | ताकि हाथी की गतिविधियों को नजर में रखा जा सके | ताकि भविष्य में इस तरह की घटना ना हो| इस संबंध में ठोस कार्यवाही के रूप में सामने आएगी हम और कई विशेषज्ञ बुलाना चाह रहे हैं जो जो इस घटना की पुनरावृत्ति होने से रोकने में मदद करेंगे मेरी अपनी और आप सबके माध्यम से अपील है कि हाथियों का दल स्थाई रूप से मध्य प्रदेश में रहने लगा है जिन-जिन जिलों में हाथियों की बसाहट हो गई है वहां भी हम प्रबंध कर रहे हैं | जिला प्रशासन के माध्यम से वहां जन जागरूकता का अभियान चलाएंगे और कोशिश करेंगे कि जैसे मध्य प्रदेश के अंदर टाइगर और अन्य प्राणी स्थाई रूप से निवास करते हैं अभी यह भी हमारे जंगल का हिस्सा बन गए हैं आने वाले समय में हम इस तरह से फॉरेस्ट डेवलप करेंगे जिसमें हाथियों की बसाहट के साथ हमारे सह अस्तित्व की भावना पुष्ट हो सके | मैं अपनी ओर से सरकार के नाते से वन मंत्री भारत सरकार से भी बात की है कि वह हमारा मार्गदर्शन करें ताकि हमारे फॉरेस्ट विभाग ठोस कार्यवाही कर सके और दोबारा इस तरह की घटना ना हो हमें इस घटना का बेहद दुख है l