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भारतीय संस्कृति का संरक्षण में संस्कृत भाषा से सम्भव – श्री अरुण जैन, पी.जी. कॉलेज में संस्कृत सम्भाषण वर्ग का हुआ समापन

महावीर अग्रवाल

मन्दसौर १९ जनवरी ;अभी तक;  राजीव गाँधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मन्दसौर के संस्था प्राचार्य डॉ. एल.एन. शर्मा ने बताया है कि महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा एड ऑन पाठ्यक्रम के अन्तर्गत केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली एवं संस्कृत भारती मन्दसौर के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 19 जनवरी 2024 को पिछले दस दिनों से चल रहे संस्कृत सम्भाषण वर्ग का समापन समारोह एवं संस्कृतानुरागी संस्कृत शिक्षकों का जिला सम्मेलन श्री कुशाभाऊ ठाकरे प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि श्री अरुण जैन विभाग प्रचारक एवं श्री पुरुषोत्तम जी मोड अध्यक्ष, संस्कृत भारती मन्दसौर रहें। कार्यक्रम के प्रारंभ में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप दीपन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.एल.एन. शर्मा एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. के.आर. सूर्यवंशी द्वारा आगंतुक अतिथियों का शॉल-श्रीफल एवं पुष्प मालाओं से स्वागत किया गया।

कार्यक्रम में समागत अतिथियों, संस्कृत शिक्षकों एवं संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं का शाब्दिक स्वागत करते हुए संस्था प्राचार्य डॉ. एल.एन. शर्मा ने कहा कि इस सत्र में बी.ए. प्रथम वर्ष में 400 विद्यार्थियों ने संस्कृत विषय को चुना है । यह महाविद्यालय के लिए गौरव की बात है। यह जिले में एकमात्र महाविद्यालय है जहां संस्कृत में अध्ययन-अध्यापन हो रहा है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में समागत माननीय अरुण जैन ने कहा कि भारतीय संस्कृति के संरक्षण में संस्कृत भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसे देववाणी का दर्जा दिया गया है जो कि एक पवित्र भाषा है। अंग्रेजों ने फूट डालो शासन करो की नीति अपनाकर अंग्रेजी भाषा को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए संस्कृत भाषा के महत्व को लगातार कम करने का प्रयास किया तथा कई सारे मिथक हमारे समाज में प्रचारित-प्रसारित किये। हमें आने वाली पीढ़ी को संस्कृत का महत्व समझना होगा ताकि वे इस भाषा को सहज रूप से आत्मसात कर सके।

विषय प्रवर्तन करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यवंशी ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की संस्कृत विषय की प्रावीण्य सूची में संस्कृत विभाग के विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्राप्त होता है। इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी संस्कृत में अध्ययन-अध्यापन की ओर प्रवृत्त होंगे। समारोह की अध्यक्षता कर रहें जनभागीदारी अध्यक्ष माननीय श्री चंदवानी जी ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी हम सबको सामूहिक रूप से निभानी है। महाविद्यालय में संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए और प्रयास किए जाएंगे। संस्कृत भारती मन्दसौर के अध्यक्ष माननीय श्री पुरुषोत्तम जी मौड ने कहा कि एड-ऑन पाठ्यक्रम में विद्यार्थी जितना भी सीखे हैं उस आधार पर संस्कृत भाषा का उपयोग दैनिक जीवन में धीरे-धीरे सभी को प्रारंभ करना चाहिए। ताकि परिवार के और सदस्यों को भी इससे प्रेरणा मिल सके।

कार्यक्रम संयोजक प्रो. अनिल कुमार आर्य के संयोजन एवं वरिष्ठ शिक्षक केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली ओमप्रकाश द्विवेदी के मार्गदर्शन में  दिनांक 09 जनवरी से 19 जनवरी तक संचालित इस संस्कृत सम्भाषण वर्ग में संस्कृत विभाग के बी.ए. एवं एम.ए. के 100 विद्यार्थियों के साथ बी.एस.सी., बी.कॉम. के विद्यार्थियों ने संस्कृत में धारा प्रवाह से वार्तालाप का अभ्यास किया एवं संस्कृत सम्भाषण में निपुण हुए। अतिथियों द्वारा सम्भाषण वर्ग में भाग लेने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए। कार्यक्रम में छात्रा निधि, हेमलता एवं शीला द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। छात्र देवांश मालवीय द्वारा रामगीत की प्रस्तुत दी गई। छात्र गणेश उपाध्याय एवं विनय शर्मा द्वारा संस्कृत गीत प्रस्तुत किया एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. प्रीति श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में विद्यार्थी चंचल कुमावत द्वारा संस्कृत स्तोत्र पर शास्त्रीय नृत्य कत्थक की प्रस्तुति दी गई। साथ ही विद्यार्थी सोनू राठौड़ एवं रवि शर्मा द्वारा संस्कृत सम्भाषण वर्ग के अपने अनुभव संस्कृत में प्रस्तुत किए गए। समापन समारोह में नगर के गणमान्य नागरिक, मीडिया कर्मी, संस्कृत भारती के कार्यकर्ता, संस्कृत शिक्षक, महाविद्यालयीन अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के प्रो. अनिल कुमार आर्य द्वारा किया गया एवं आभार प्रदर्शन संस्कृत विभाग के ही प्रो. पंकज शर्मा द्वारा किया गया।

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